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कुछ दिन पहले की एक खबर थी कि अगर आईसीसी को 2023 के 50 ओवर वर्ल्ड कप के लिए, टैक्स में छूट नहीं मिली तो बीसीसीआई के 955 करोड़ रुपये दांव पर। संयोग से, टी 20 वर्ल्ड कप की गहमा-गहमी में इस खबर पर कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया गया। 955 करोड़ रुपये की रकम क्या है- बोर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर केंद्र सरकार ने 2023 के वनडे वर्ल्ड कप से आईसीसी को मिलने वाले पैसे पर 21.84 प्रतिशत टैक्स के फैसले को न बदला तो वास्तव में ये टैक्स बीसीसीआई के हिस्से में आ जाएगा और ये बराबर होगा लगभग 955 करोड़ रूपये के। अगले साल 50 ओवर के शोपीस टूर्नामेंट की मेजबानी अक्टूबर-नवंबर में भारत को करनी है।

टैक्स क्या है- ये भारत में कौन नहीं जानता? हर देश में टैक्स का ढांचा अलग- इसीलिए आईसीसी ने नियम बनाया कि मेजबान देश को ही आईसीसी के ग्लोबल टूर्नामेंट की मेजबानी के लिए सरकार से टैक्स में छूट लेनी होगी। पिछला रिकॉर्ड ये बताता है कि भारत के टैक्स नियम इस तरह की छूट नहीं देते हैं। बीसीसीआई को इसीलिए पहले ही करीब 193 करोड़ रुपये (23.5 मिलियन अमरीकी डालर) का नुकसान हो चुका है- सरकार के 2016 आईसीसी टी 20 वर्ल्ड कप की मेजबानी के लिए टैक्स में पूरी छूट न देने की वजह से। बीसीसीआई की, इस रकम की वसूली के लिए लड़ाई आईसीसी ट्रिब्यूनल में है।

आईसीसी का अगला सबसे बड़ा आयोजन, आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023 है। मेजबानी लेते हुए भारत पर शर्त थी कि आईसीसी को टैक्स में छूट दिलाएंगे- ऐसा न कर सके तो खुद टैक्स भरेंगे। टैक्स छूट लेने की आख़िरी तारीख अप्रैल 2022 थी। आईसीसी ने इसे 31 मई 2022 तक बढ़ा दिया। तब भी मसला ज्यों का त्यों है। अब बीसीसीआई ने आईसीसी को सलाह दी है कि पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए, टैक्स में पूरी छूट की उम्मीद छोड़ दें- 2016 में जो हुआ वही इस बार भी हो जाए तो उसी पर तसल्ली कर लें। 2016 के टी20 वर्ल्ड कप के लिए सरकार ने टैक्स में 10 प्रतिशत की रियायत दी थी। अब बीसीसीआई वाले पूरी छूट के बजाए इसी 10 प्रतिशत छूट (बिना सेस) की ही कोशिश कर रहे हैं। इस बीच सरकार ने आईसीसी को 2023 वर्ल्ड कप के आयोजन से ब्रॉडकास्ट कमाई पर 20 प्रतिशत (सेस के बिना) टैक्स का नोटिस भेज दिया है।

अब आप नोट कीजिए :

  • ब्रॉडकास्ट अधिकार से जो पैसा मिलना है उस पर अगर 21.84 प्रतिशत टैक्स का भुगतान किया जाए तो यह रकम 116.47 मिलियन अमरीकी डालर होगी।
  • बीसीसीआई की कोशिश है टैक्स बोझ 21.84 प्रतिशत की मौजूदा मांग से घटाकर 10.92 प्रतिशत हो जाए। ऐसा होने पर टैक्स भुगतान की रकम घटकर लगभग 430 करोड़ रुपये (यूएसडी 52.23 मिलियन) रह जाएगी।
  • रिपोर्ट ये है कि बीसीसीआई लगातार संपर्क में है फाइनेंस मिनिस्ट्री के ताकि 20 प्रतिशत टैक्स के आदेश के जवाब में 10 प्रतिशत की टैक्स रियायत का आदेश तो मिल ही जाए।
  • जो भी टैक्स सरकार, आईसीसी पर लगाएगी यानि कि आईसीसी को मिलने वाले चैक में से रकम कटेगी- आईसीसी उसकी भरपाई बीसीसीआई को उनके हिस्से का पैसा देते हुए. उसमें से काट लेगी। मतलब साफ़ है- जो भी टैक्स लगा वह बीसीसीआई के हिस्से में आएगा।
  • 2016 से 2023 के सालों के लिए आईसीसी के सेंट्रल पूल से बीसीसीआई का हिस्सा 405 मिलियन अमरीकी डालर (लगभग 3336 करोड़ रुपये) है।
  • 2023 इवेंट के ब्रॉडकास्ट अधिकार से 533.29 मिलियन अमरीकी डालर (लगभग 4400 करोड़ रुपये) की कमाई की उम्मीद है।

ये ठीक है कि टैक्स लगाना सरकार का फैसला है और इससे सरकार को पैसा मिलता है, लेकिन यह ब्रॉडकास्टर, मेजबान बोर्ड और आईसीसी के लिए नुकसान है। टी20 वर्ल्ड कप 2016 पर 10 प्रतिशत (बिना सेस) टैक्स लगा और आईसीसी ने इसे बीसीसीआई के सालाना हिस्से में से काट लिया। अब अगर टैक्स की रकम बढ़ी तो उसी हिसाब से कटौती हो जाएगी। दूसरा विकल्प ये है कि टूर्नामेंट ही भारत से हटा लें- न टूर्नामेंट होगा और न कोई टैक्स का विवाद होगा और उस देश में ले जाएं जहां कोई टैक्स नहीं/बहुत कम टैक्स।

सोचने वाली बात ये है कि टैक्स आईसीसी भरे या बीसीसीआई- लगभग 22 प्रतिशत टैक्स की रकम कोई कम नहीं होती। लगभग एक चौथाई पैसा तो गया। इसीलिए बीसीसीआई की कोशिश है बातचीत से कोई बेहतर डील बन जाए। इस मामले में सबसे बड़ी जरूरत है एक पॉलिसी बनाने की क्योंकि मसला सिर्फ 2023 वर्ल्ड कप का नहीं है- इसके बाद भी तो और आईसीसी टूर्नामेंट की मेजबानी करनी है। किसी भी तरह से बीसीसीआई ने खुद को बचाकर बोझ आईसीसी पर डाल दिया तब भी तो उसका असर हर क्रिकेट बोर्ड को मिलने वाले हिस्से पर आएगा।

क्या आपको याद है कि 2011 के 50 ओवर वर्ल्ड कप के समय क्या हुआ था? तब भी मनमोहन सिंह की सरकार ने बीसीसीआई के टैक्स छूट के आवेदन पर चुप्पी साध ली थी- न हां और न इंकार। जब टूर्नामेंट बिलकुल सर पर था तो प्रधान मंत्री को खुद हस्तक्षेप करना पड़ा और फैसला हुआ। तब पूरी छूट मिल गई थी।

2016 टी20 वर्ल्ड कप से पहले भी नौबत ये आ गई थी कि लग रहा था कि टैक्स मुद्दे के विवाद के चलते टूर्नामेंट भारत में नहीं होगा। आईसीसी ने इवेंट को भारत से बाहर ले जाने की धमकी भी दी थी पर आख़िरी समय पर मसला सुलझा लिया गया था। तब टी20 वर्ल्ड कप के लिए मोदी सरकार ने सिर्फ 10 प्रतशत छूट दी थी, पूरी नहीं। आईसीसी ने 23.75 मिलियन डॉलर रोक लिए बीसीसीआई के। बोर्ड में अधिकारी बदलते जा रहे हैं- ये पैसा आईसीसी से वसूल नहीं हो पाया है।

2021 में भी विवाद चला। 2021 टी20 वर्ल्ड कप का आयोजन भारत को मिला था। बीसीसीआई ने कोशिश की टैक्स रियायत की पर सरकार से जवाब आ ही नहीं रहा था। आख़िरी तारीख बढ़ती रही- 31 दिसंबर 2019 से 31 दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 पर फाइनेंस मिनिस्ट्री में फाइल धूल खाती रही। आखिर में आईसीसी ने बीसीसीआई को दो विकल्प दिए- टी 20 वर्ल्ड कप को यूएई ट्रांसफर कर दें/छूट लेने में नाकामयाब तो पूरा टैक्स भरें जो 226.58 करोड़ रुपये से लेकर 906.33 करोड़ रुपये तक हो सकता था। आखिर में टूर्नामेंट ही ट्रांसफर हो गया- कोविड के खतरे ने बीसीसीआई को टैक्स के झगडे से बचा लिया।

मजे की बात ये है कि मौजूदा बीसीसीआई तो एक तरह से केंद्र सरकार का ही एक्सटेंशन (सचिव जय शाह- होम मिनिस्टर अमित शाह के बेटे और प्रस्तावित आईपीएल चीफ अरुण सिंह धूमल- वित्त और कॉर्पोरेट अफेयर्स राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के छोटे भाई) है- तब भी फाइल धूल खा रही है।

पिछली एजीएम में, बीसीसीआई पदाधिकारियों ने इस मुद्दे पर बातचीत की पर कोई सहमति नहीं बन पाई। क्या सरकार के पूरी टैक्स छूट नहीं देने पर बीसीसीआई मेजबानी अधिकार छोड़ दे? कुछ सदस्यों का मानना था वर्ल्ड कप आयोजन इज्जत का सवाल है इसलिए मेजबानी करनी चाहिए और टैक्स बोर्ड भरे। देखें क्या रास्ता निकलता है?

  • चरनपाल सिंह सोबती

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