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रणजी ट्रॉफी का नया सीजन शुरू हो गया। इससे दो ख़ास खबर :
  चेतेश्वर पुजारा सौराष्ट्र टीम में हैं। इतना ही नहीं पहले मैच के लिए कई दिन नेट प्रेक्टिस में शामिल रहे।    अजिंक्य रहाणे मुंबई टीम में हैं। टीम के बाकी क्रिकेटरों के साथ नेट्स पर पसीना बहाया। 
दोनों ने क्यों ऐसा किया जबकि स्टार क्रिकेटर तो रणजी ट्रॉफी खेलना ही भूलते जा रहे हैं? जवाब साफ़ है- दोनों को सही फार्म की तलाश है अन्यथा टेस्ट टीम में जगह दांव पर लगी हुई है। 
तीन और खबर : 
  भारत और बड़ौदा के ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या का पूरा ध्यान वाइट बॉल क्रिकेट में वापसी और ख़ास तौर पर इस सीजन में आईपीएल खेलने पर- इसलिए रणजी ट्रॉफी नहीं खेल रहे। स्पष्टीकरण- पीठ की चोट के लिए रिहेबिलिटेशन अभी जारी। जो हार्दिक सेंट्रल कॉन्ट्रेक्ट खिलाड़ी हैं, 2021 टी 20 वर्ल्ड कप के बाद से किसी भी तरह की क्रिकेट में शामिल नहीं रहे, पिछले साल सैयद मुश्ताक अली टी 20 या विजय हजारे 50 ओवर चैंपियनशिप भी नहीं खेले और उनका आखिरी रैड बॉल मैच दिसंबर 2018 में था- उनके लिए तो रणजी ट्रॉफी, टेस्ट टीम में लौटने का मौका बन सकती थी पर रैड बॉल क्रिकेट की चिंता किसे है?   सीनियर विकेटकीपर रिद्धिमान साहा ने बंगाल रणजी ट्रॉफी अभियान से अपना नाम वापस लिया- इस खबर के सामने आने के कुछ ही घंटे के बाद कि नेशनल सेलेक्टर्स ने उन्हें बता दिया है कि 4 मार्च से मोहाली में शुरू होने वाली श्रीलंका के विरुद्ध दो मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए उन्हें नहीं चुना जाएगा। 37 साल के साहा ने ये अपने आप अंदाजा लगा लिया कि सीनियर टीम अब भविष्य की तरफ देख रही है। नतीजा- जब टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिलना तो रणजी भी क्यों खेलें? 40 टेस्ट खेलने के बाद रणजी ट्रॉफी खेलने के लिए क्या प्रेरणा बची है?
*  ठीक यही इशांत शर्मा ने किया। उनके लिए भी सेलेक्टर्स के पास कुछ नहीं। 
इन ख़बरों से ये तो तय हो गया कि हर किसी के लिए रणजी ट्रॉफी का महत्व अलग-अलग। अगर रणजी ट्रॉफी की 10 फरवरी की शुरुआत चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे के लिए अपने टेस्ट करियर को पटरी पर लाने के लिए एक लाइफ लाइन तो पांड्या, अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर के ग्राफ के लगातार नीचे आने के बावजूद, अभी भी रणजी ट्रॉफी को कोई भाव देने के लिए तैयार नहीं। शायद हार्दिक पांड्या को किसी ने आईपीएल का इतिहास सही तरह बताया नहीं- भले ही कई करोड़ रुपए का कॉन्ट्रेक्ट हो, इसमें कप्तान भी सीजन के बीच में ही हटाए जाते हैं, टीम से निकाले भी जाते हैं और अगला सीजन किसने देखा है?
पुजारा और रहाणे को एहसास हो गया कि टेस्ट टीम में जगह रणजी मैचों में रन तय करेंगे- दोनों भूल गए कि इंटरनेशनल स्टार हैं। रणजी ट्रॉफी से टेस्ट टीम में पहुंचे और वहीं लौट आए हैं।  संयोग से अहमदाबाद में सौराष्ट्र-मुंबई मैच में दोनों आमने सामने हैं। श्रीलंका के विरुद्ध टेस्ट सीरीज, 25 फरवरी से शुरू टी 20 के बाद, मार्च के पहले हफ्ते से खेली जाएगी और रणजी ट्रॉफी में एक बड़ा स्कोर दोनों को आत्मविश्वास देगा और तय करेगा कि टीम इंडिया में जगह बरकरार है या नहीं? उनकी जगह लेने के लिए युवा क्रिकेटर की लंबी लाइन है। इसलिए पुजारा और रहाणे को रणजी ट्रॉफी में मिल रहे मौकों का पूरा फायदा उठाना होगा।
रहाणे : पिछले 13 टेस्ट में 20.82 की औसत से 479 रन, जिसमें दो अर्द्धशतक और 67 सबसे बेहतर स्कोर। आखिरी बार ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध दिसंबर 2020 में शतक मेलबर्न में। तब से, 27 पारियों में 547 रन सिर्फ 20.25 औसत से और इस दौरान औसत 43 से कम होकर 39 से भी कम हो गया है। आखिरी बार रणजी ट्रॉफी खेली थी 2019-20 जब मुंबई ने अपने आठ लीग मैचों में से सिर्फ एक जीता और नॉकआउट में जगह बनाने में नाकामयाब रहे थे।

पुजारा : पिछले 14 टेस्ट में 28.08 की औसत से 702 रन बनाकर थोड़ा बेहतर प्रदर्शन – 91 के सबसे बेहतर स्कोर के साथ 6 अर्धशतक दर्ज किए ।आखिरी बार ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध शतक – लेकिन तीन साल पहले सिडनी में। पुजारा का रिकॉर्ड रहाणे जैसा खराब नहीं हुआ लेकिन इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध उनके हालिया स्कोर ने उनके मामले में ज्यादा मदद नहीं की। अपने पिछले शतक के बाद से- इंग्लैंड के विरुद्ध 91 के उच्च स्कोर के साथ 48 पारियों में 1287 रन 27.38 औसत से और इस दौरान  करियर औसत लगभग 47 से गिरकर 44.25 हो गया है। आखिरी बार 2019-20 फाइनल में रणजी ट्रॉफी खेली थी, जब उनके 66 ने सौराष्ट्र को टाइटल जीतने के लिए बंगाल के विरुद्ध पहली पारी की बढ़त की बदौलत मैच जीतने में मदद की थी।
 बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने भी हार्दिक को कहा था कि रणजी ट्रॉफी में खेलें पर कोई फायदा नहीं हुआ। रणजी ट्रॉफी को पुराने क्रिकेटर कभी नजरअंदाज नहीं करते थे- आज सोच और नजरिया बदल रहा है। अगर आज, रहाणे और पुजारा के लिए भी टीम में जगह का सवाल न होता तो क्या वे खेलते? इतना जरूर है कि ये होना ही था और पहले ही लिख दिया था। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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