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टी20 विश्व कप- यानि कि टीम इंडिया के लिए बहुत बड़ी चुनौती। भारत की आईसीसी इवेंट्स में कामयाबी की बात पर सवाल एक ही बनता है- क्या इस बार जीतेंगे? ये चुनौती जितनी बड़ी टीम के लिए है, उतनी ही कोच राहुल द्रविड़ के लिए क्योंकि उनका पहला बड़ा इम्तिहान। वे जब से कोच बने हैं- हर हार को ‘प्रयोग और विश्व कप की तैयारी’ से जोड़ कर चुप हो गए- अब उन सभी प्रयोग का नतीजा सामने लाने का समय आ गया है।  
टीम इंडिया की घोषणा हो चुकी है- इस तरह अक्टूबर के, ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप के लिए काउंटडाउन की शुरुआत। टीम की क्रिकेट के सवाल ढेरों और उनमें एक नई चिंता- क्या राहुल द्रविड़, कोच के तौर पर टीम के लिए, वह नतीजे ला पाए जिनकी उन्हें कोच बनाते हुए उम्मीद की थी? एशिया कप वेक-अप कॉल था और टीम सुपर 4 में पाकिस्तान और श्रीलंका दोनों से हार के बाद फाइनल भी नहीं खेल सकी। टाइटल की उम्मीद से खेलने गए थे और फाइनल भी न खेले। 
जब राहुल द्रविड़ 2021 में टीम इंडिया के कोच बने थे तो इस बेमिसाल महान बल्लेबाज और जूनियर क्रिकेट के कामयाब कोच से बहुत उम्मीदें लगाई गई थीं। मौजूदा स्थिति- टीम के लिए टी20 विश्व कप एक बड़े इम्तिहान के तौर सामने। सब मान रहे हैं कि राहुल द्रविड़ के लिए हनीमून खत्म और अब टिके रहने की चनौती सामने है। इसी चुनौती में अगले साल के वनडे विश्व कप को भी जोड़ लीजिए।आईसीसी इवेंट में कामयाबी मिले- यही तो लक्ष्य था राहुल द्रविड़ को लाते हुए।  
ऐसा नहीं है कि उनके साथ टीम कामयाब नहीं रही पर जहां जीत की सख्त जरूरत थी, वहां नहीं जीते- दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज़, इंग्लैंड में इस साल वाला टेस्ट और एशिया कप। दो टीम वाली, अन्य सीरीज में जीत से कहीं बड़ी चुनौती थीं ये और राहुल द्रविड़ के जिस जादुई ‘टच’ की उम्मीद थी- वह नजर नहीं आया। पहले की तरह गलत खिलाड़ियों के साथ, बिना जीत की भूख के खेलती नजर आई टीम।  
बात साफ़ है- राहुल द्रविड़ के साथ भी बहुत संयम दिखा दिया और उनकी टीम इंडिया कोच के तौर पर कामयाबी का ग्राफ तभी सही होगा जब टीम आईसीसी इवेंट जीते और इसीलिए  टी20 विश्व कप चुनौती है। भारत 2022 टी20 विश्व कप टाइटल के टॉप दावेदारों में से एक था लेकिन एशिया कप में प्रदर्शन के बाद सवाल- क्या अब भी टाइटल के लिए फेवरेट हैं? रवींद्र जडेजा टीम में नहीं, कहां तो उन्हें दो खिलाड़ियों के बराबर गिन रहे थे- अब वे टीम से बाहर। मिडिल आर्डर के जूझने को भी जोड़ लीजिए। टी20 विश्व कप शुरू होने से एक महीना पहले तक टीम को ये नहीं मालूम कि प्लेइंग इलेवन के लिए नंबर 1 विकेटकीपर कौन? ऋषभ पंत उम्मीद की कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे और टीम का अगला विकल्प 37 साल के दिनेश कार्तिक हैं जो आईपीएल की दलील पर दावेदार बन गए।  
50 ओवर वाले विश्व कप की बात करें तो जहां एक तरफ अपनी पिचों और जाने-पहचाने माहौल का फायदा, वहीं उम्मीद का दबाव होगा टीम पर। क्या राहुल द्रविड़, विश्व कप के लिए टीम को न सिर्फ बेहतर खेलने, सही टेम्परामेंट के साथ खेलने के लिए तैयार कर पाएंगे? पिछले कोच रवि शास्त्री की तरह द्रविड़ से देश से बाहर जीत की उम्मीद है। टीम ने उनके साथ SENA देशों (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया) के विरुद्ध कोई सीरीज नहीं जीती जबकि अपनी पिचों का पूरा फायदा उठाया। अब भी टी20 विश्व कप की तैयारी के नाम पर, अपनी पिचों पर खेल रहे हैं और कहीं इन सीरीज का प्रदर्शन विश्व कप की मुश्किलों के लिए ‘धोखा’ न बन जाए! 
राहुल द्रविड़ का कॉन्ट्रैक्ट 2023 वनडे विश्व कप तक है। वे जानते हैं कि विश्व कप जीते 11 साल से ज्यादा हो गए। 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी जीत के अतिरिक्त, भारत ने हर आईसीसी इवेंट में कुछ न कुछ गलत किया है। 
2021 टी20 विश्व कप की हार के बाद, कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा के साथ भारतीय टीम के नए दौर की उम्मीद की गई। एक ‘सही’ फैसला था राहुल द्रविड़ को कोच बनाना। किसी भी कोच के लिए इस हाई-प्रोफाइल क्रिकेट टीम की जिम्मेदारी आसान चुनौती नहीं। ऐसे में इस कोच को बदलते कप्तान और ढेरों खिलाड़ियों के साथ टीम को संभालना पड़ा। संयोग से उनके कोचिंग दौर में कई बदलाव /प्रयोग हुए पर एक अच्छे कोच की पहचान तो यही है कि वह टीम पर इसका असर न आने दे। पिछले टी20 विश्व कप में हार के बाद रवि शास्त्री की जगह नए कोच बने और विराट कोहली, उनके सामने ही तीनों तरह की क्रिकेट में कप्तानी से हटे। लगभग 8 महीनों में ऐसी टीम इंडिया के कोच जिसका कोई नियमित कप्तान नहीं- 6 कप्तान के साथ काम कर चुके हैं।  
इस सब के बावजूद, रिपोर्ट कार्ड में सिर्फ मैचों और आईसीसी इवेंट के नतीजे देखे जाते हैं और हर हार के बाद सवाल जो सख्त होते जा रहे हैं। क्या वे ड्रेसिंग रूम में बड़े प्रोफाइल वाले खिलाड़ियों से परेशान हैं? सीनियर टीम को कोचिंग देना क्या उन्हें वैसा ही परेशान करने वाला है जैसा तब हुआ था जब वे कप्तान थे और आखिरकार कप्तानी छोड़ दी थी? कोई नहीं चाहेगा कि उनकी इस नई पारी के साथ भी ऐसा हो पर ट्रॉफी तो चाहिए- सिर्फ ट्रॉफी। टीम और कप्तान भी इस जिम्मेदारी को समझें- आखिरकार फ्रंट पर तो खिलाड़ी ही होंगे और द्रविड़ वह कोच नहीं जो पैवेलियन में प्लेयर्स बॉलकनी से कप्तान को इशारे भेजते हैं। द्रविड़ को साबित करना है -वे सिर्फ ‘अंडर 19 को टाइटल दिलाने वाले कोच’ नहीं।    

  • चरनपाल सिंह सोबती
One thought on “राहुल द्रविड़ के रिपोर्ट कार्ड में भी मैचों और आईसीसी इवेंट के नतीजे देखेंगे”

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