जो टीम इंडिया वर्ल्ड कप खेलने गई उसके 15 खिलाड़ियों में से 12 वास्तव में प्लेइंग इलेवन में आए- यशस्वी जायसवाल, संजू सैमसन और युजवेंद्र चहल टूरिस्ट रहे। टीम देश के लिए बड़ा गौरव लाई- भारत ने अपना दूसरा टी20 वर्ल्ड कप जीता रोमांचक फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर। अगर ग्लोबल आयोजन की बात करें तो 11 साल से चला आ रहा सूखा खत्म हो गया। इसके लिए टूर्नामेंट के दौरान मैच खेले 12 खिलाड़ियों का प्रदर्शन कैसा रहा? इस रेटिंग से किसी भी खिलाड़ी का योगदान कम नहीं हो जाता- ये महज प्रदर्शन का जायजा लेने की कोशिश है :
जसप्रीत बुमराह 10/10 : रिकॉर्ड- 15 विकेट 8.26 औसत और 4.17 इकॉनमी रेट से। वर्ल्ड कप से पहले हर टीम के कैंप में इस नाम की सबसे ज्यादा चर्चा थी और वर्ल्ड कप के बाद भी है- फाइनल में दक्षिण अफ्रीका से जैसे मैच वापस छीना वह इस वर्ल्ड कप का सबसे यादगार मुकाम रहेगा। फाइनल में दो ओवर में 1-6 और उसके बाद दूसरा स्पेल सीधे टाइटल तक ले गया। इसीलिए- प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट और कोई इस चयन को गलत नहीं कहेगा।
रोहित शर्मा 9/10 : रिकॉर्ड- 36.71 औसत से 257 रन 156.70 स्ट्राइक रेट से। भारतीय कप्तान के तौर पर पूरे देश की उम्मीद का पहाड़ था उन पर और ऐसे में खेलना आसान नहीं होता। हर टूर्नामेंट में चैंपियन न बन पाना इस दबाव को बढ़ाता जा रहा था। तब भी मिसाल बन कर खेले- टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन की लिस्ट में नंबर 2 (सिर्फ रहमानुल्लाह गुरबाज 281 से पीछे) और कामयाब कप्तान। टी20 इंटरनेशनल से रिटायर हो गए और करियर में उनके ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सुपर 8 में 41 गेंद पर 92 हमेशा याद किए जाएंगे।
अक्षर पटेल 8/10 : रिकॉर्ड- 92 रन 23 औसत और 139.39 स्ट्राइक रेट से तथा साथ में 9 विकेट 7.86 इकॉनमी रेट से। अचानक ही बल्लेबाजी लाइनअप में उन से उम्मीद बढ़ गई और नंबर 4 पर बैटिंग इसी का सबूत है। पाकिस्तान के विरुद्ध 18 गेंद में 20 और फाइनल में 31 गेंद पर 47 बड़े कीमती रहे। सेमीफाइनल में जॉर्जटाउन में उनकी खब्बू स्पिन जीत में बड़ी ख़ास थी। टीम के वह खिलाड़ी जो उम्मीद से बेहतर खेले।
हार्दिक पांड्या 8/10 : 48 औसत और 151+ स्ट्राइक रेट से 144 रन तथा 11 विकेट 7.64 इकॉनमी रेट से। हार्दिक के करियर में ये टूर्नामेंट और वर्ल्ड कप जीत में उनका ऑलराउंड योगदान ख़ास रहेगा। ये न भूलें कि आईपीएल में कैसे माहौल को झेला और उसके बाद परिवार टूटने की ‘खबर’ के साथ वर्ल्ड कप टीम में शामिल हुए- तब भी बांग्लादेश (27 गेंद में 50* और 1-32), ऑस्ट्रेलिया (17 गेंद में 27*), इंग्लैंड (13 गेंद में 23) के विरुद्ध और फाइनल मैच उनके ख़ास योगदान वाले थे- फाइनल में आखिरी ओवर में 16 रन का बचाव ‘आइसिंग ऑन केक’। एक बार फिर कप्तान की स्कीम में दावेदार बन गए
अर्शदीप सिंह 8/10 : 17 विकेट 12.64 औसत और 7.16 इकॉनमी रेट से। ये टूर्नामेंट अर्शदीप को फ्रंट लाइन में ले आया और इस खब्बू के ओपनिंग और डेथ ओवर स्पेल उन्हें भारत के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज तक ले गए। फाइनल में 2-20 भी ऐसे ही थे। सुनील गावस्कर अब उन्हें रेड बॉल क्रिकेट में मौका देने की बात कर रहे हैं।
सूर्यकुमार यादव 7/10 : रिकॉर्ड 199 रन 28.42 औसत एवं 135.37 स्ट्राइक रेट से। टूर्नामेंट के रन चार्ट में भारत से नंबर 2 और पर कहीं न कहीं टीम के टॉप स्ट्राइक बल्लेबाज के रोल में कमी रही। यूएसए और अफगानिस्तान के विरुद्ध 50 ने इस पुरानी चर्चा को कुरेद दिया कि ऐसी टीमों के विरुद्ध ही रन बनाते हैं पर ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सुपर 8 में 16 गेंद में 31 रन और इंग्लैंड के विरुद्ध सेमीफाइनल में 36 गेंद में 47 बड़े काम के थे और उस पर फाइनल में डेविड मिलर का कैच गजब।
कुलदीप यादव 7/10 : 10 विकेट 6.95 इकॉनमी रेट से। जिस बिलिंग के साथ उन्हें वर्ल्ड कप टीम में ले गए थे उसे दिखाने का मौका सुपर 8 राउंड से प्लेइंग इलेवन में एंट्री से मिला और अपना रोल बखूबी निभाया- ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 2-24 और इंग्लैंड के विरुद्ध सेमीफाइनल में 3-19 बड़े ख़ास थे। फाइनल में 0-45 इस प्रतिष्ठा में फिट नहीं हुए।
ऋषभ पंत 5/10 : रिकॉर्ड- 24.72 औसत से 171 रन 127.61 स्ट्राइक रेट से। चोट से क्रिकेट में वापसी के बाद, वर्ल्ड कप टीम में आ गए- यही कम नहीं है पर जब खेल ही रहे थे तो नॉकआउट राउंड में उनके बैट से टीम को बेहतर योगदान की उम्मीद थी। पाकिस्तान के विरुद्ध 31 गेंद में 42 रन के बाद बैट से नंबर 3 पर खेलने का दबाव उन पर हावी हो गया हालांकि स्टंप के पीछे कामयाब रहे।
विराट कोहली 4/10 : रिकॉर्ड- 18.87 औसत से 151 रन 112.68 स्ट्राइक रेट से। ठीक है एक बल्लेबाज के तौर पर ये टूर्नामेंट विराट कोहली का नहीं था पर फाइनल में जो खेले वह हमेशा चर्चा में रहेगा- 59 गेंद में 76 रन और पारी को ढहने से रोका। एक और वर्ल्ड कप मेडल और टी20 इंटरनेशनल करियर को अलविदा कह दिया। उन की टूर्नामेंट रेटिंग, उन के ‘कद’ का सही जायजा नहीं है।
शिवम दुबे 4/10 : रिकॉर्ड- 133 रन 22.16 औसत और 114.65 स्ट्राइक रेट से। जिस जोरदार स्ट्राइक बल्लेबाज की छवि के साथ उन्हें टीम में चुना और विश्वास के साथ मैचों में खिलाया भी- वह इरादा पूरा नहीं हुआ। फाइनल में 16 गेंद में 27 रन सबसे ख़ास थे। और भी ऐसे केमियो योगदान की टीम को जरूरत थी।
मोहम्मद सिराज 4/10 : 1 विकेट 5.18 इकॉनमी रेट से। टीम में जो एकमात्र बदलाव हुआ उसके लिए ये रिकॉर्ड बहुत कुछ जिम्मेदार था- साथ में ग्रुप स्टेज के बाद की पिचों ने स्पिन का योगदान बढ़ाना जरूरी कर दिया था। तब भी जितना खेले इससे बेहतर योगदान दे सकते थे।
रवींद्र जडेजा 1/10 : रिकॉर्ड 35 रन 11.66 औसत और 159.09 स्ट्राइक रेट से तथा 1 विकेट भी। वे हमेशा चाहेंगे कि ये वर्ल्ड कप उनके करियर रिकॉर्ड में से निकाल दें। एक ही शब्द बहुत है उनकी रेटिंग बताने के लिए- वे फेल रहे और ख़ास तौर पर तब जबकि टीम के एक बड़े खिलाड़ी थे। टी20 फॉर्मेट में क्या अब उनके लिए जगह है?