रावलपिंडी में जैसे ही इंग्लैंड ने बड़ी जीत दर्ज की पाकिस्तान के विरुद्ध- कुछ ही क्षण बाद पिंडी स्टेडियम में मग़रिब की नमाज की आवाज़ सुनाई दे रही थी। ये इस बात का साफ़ इशारा था कि अंधेरा ज्यादा दूर नहीं और पाकिस्तान की 10 वें विकेट की जोड़ी टेस्ट बचाने के बहुत करीब थी। किस्मत इंग्लैंड के साथ थी। ये इंग्लैंड के रन रेट का ही कमाल था कि पाकिस्तान की लंबी और धीमी बल्लेबाजी के बावजूद इतना समय निकल आया कि वे उनके दूसरी पारी के 10 विकेट लेकर टेस्ट जीत सके। इंग्लैंड की 74 रन की जीत उनके साहसी और दुस्साहसी क्रिकेट नजरिए का सबूत है।
कप्तान बेन स्टोक्स ने जीत के फ़ौरन बाद, ड्रेसिंग रूम बालकनी पर ब्रेंडन मैकुलम की तरफ मुट्ठी से निशाना साधा- इस बात की पहचान कि ये मिली-जुली कोशिश का नतीजा है। 1961 के बाद पाकिस्तान में उनकी तीसरी टेस्ट जीत और स्टोक्स-मैकुलम जोड़ी के लिए 8 टेस्ट में से 7 वीं जीत।
जिस टेस्ट में सबसे ज्यादा रन (1,768) बने हों उसमें जीत आसान नहीं क्योंकि बड़े स्कोर बनाने में समय लगता है पर स्टोक्स की पॉलिसी बिलकुल अलग थी जो एकदम सही साबित हुई- एक ओवर में 6 से ज्यादा के रन रेट से बल्लेबाजी और उसके बाद सही फील्ड सेटिंग्स के साथ अटैक। इंग्लैंड का दूसरी पारी समाप्त घोषित करना किसी के लिए बोल्ड फैसला था तो किसी के लिए लापरवाह नजरिया। रावलपिंडी टेस्ट जीतने की चाह में, ऐसी चुनौती दी जिसमें हारने का ख़तरा भी था। इसी से टेस्ट एकदम रोमांचक बन गया। ऐसे टेस्ट खेलें तो टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता को ख़तरा कहां है? पांचवें और आखिरी दिन, अपनी टीम की जीत की उम्मीद में रावलपिंडी स्टेडियम खचाखच भरा था जबकि आजकल टेस्ट देखने कौन आता है?
एक ऐसा टेस्ट जिसमें हर दिन लगभग 15 ओवर कम खेल हुआ पर नतीजा निकला क्योंकि इंग्लैंड ने टेस्ट में 137 ओवर में 6.73 रन रेट से 921 रन बनाए और पाकिस्तान के 252 ओवर में 3.36 रन रेट पर 847 रन पर इंग्लैंड की तेजी ने कसर पूरी कर दी । इस तरह पाकिस्तान ने 115 ओवर में 74 रन कम बनाए- ये है चौंका देने वाला गणित। यही है इंग्लैंड की नई पॉलिसी जिससे वे जीत रहे हैं।
यही है ‘बज़बॉल’- इंग्लैंड की अपनी अलग स्टाइल। रावलपिंडी टेस्ट को जिस स्टाइल से जीते वह उन बड़े क्रिकेट देशों के लिए चेतावनी है जो अभी भी टेस्ट पुराने और बोर अंदाज में खेल रहे हैं। पहले दिन 506 रन 75 ओवर में- टेस्ट के एक दिन में इतने रन इंग्लैंड की किसी टीम ने पहले नहीं बनाए थे। 24 घंटे पहले तो खबर थी कि वायरस का प्रकोप है और 11 फिट खिलाड़ी जुटाना भी भारी पड़ रहा है। तब भी इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने जो किया उसे सालों तक एक मिसाल की तरह से लिया जाएगा।
टेस्ट के पहले दिन पहली बार, चार बल्लेबाज का शतक- ज़क क्रॉली, बेन डकेट, ओली पोप और हैरी ब्रूक। इनमें से डकेट और ब्रुक के पहले 100 थे; तीन 100 एक गेंद में एक रन से भी तेज और डकेट के 100 (105 गेंद) सबसे धीमे थे । ये क्या हुआ? एक दिन में सबसे ज्यादा रन और रन रेट आश्चर्यजनक 6.74 था। इंग्लैंड टीम पूरे टेस्ट को इसी अंदाज में खेली।
ये टेस्ट कोई कंप्यूटर गेम नहीं था जिसमें इंग्लैंड ने 657 (101.0) और 264/7 (35.5) के स्कोर बनाए। अगर खराब रोशनी से खेल न रोका होता और पहले दिन पूरे 90 ओवर खेलते तो क्या होता इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते। रन बरस रहे थे- पहले दिन चाय के बाद के सेशन में रन रेट 8.28 था।
सबक- इंग्लैंड ने तीनों फॉर्मेट के बीच का फर्क बड़ा कम कर दिया है। ऐसे तो टीम टी20 में भी स्कोर नहीं कर रहीं जहां न सिर्फ पॉवर प्ले ओवर, क्रिकेट लॉ भी तेज स्कोरिंग में मदद करते हैं। इंग्लैंड टीम की- निडर क्रिकेट, जिसे सोशल मीडिया ने ‘बज़बॉल’ का नाम दिया। इस स्टाइल से दो साल में दो विश्व कप तो जीत ही चुके हैं और कामयाबी का रिकॉर्ड सबूत है कि उनकी पॉलिसी में दम है।
इस साल वे टेस्ट क्रिकेट को इसी स्टाइल में खेले हैं। नॉटिंघम- विश्व टेस्ट चैंपियन न्यूजीलैंड के विरुद्ध 4.2 रन प्रति ओवर के रेट से 539 रन। दूसरी पारी में, 50 ओवरों में 299 रन टेस्ट जीतने के लिए- ये तो वनडे क्रिकेट में भी आसान नहीं। लीड्स-122 ओवरों में 5 से ऊपर का रन रेट। बर्मिंघम- 76.4 ओवरों में 378 रन का लक्ष्य और टीम इंडिया देखती रह गई। रावलपिंडी- पिच और गेंदबाज कोई भी हों इंग्लैंड टीम की स्टाइल वही। इस सोच की कामयाबी उनके रिकॉर्ड में दिख रही है।
इस साल मई में ब्रेंडन मैकुलम चीफ कोच बने थे और तब से 15 पारियों में से सिर्फ 5 बार इंग्लैंड ने 4 से कम का रन रेट दर्ज किया है। टीम बिना तनाव या दबाव, इस स्टाइल की क्रिकेट खेल रही है- हारने का ख़तरा है तो क्या हुआ? टेस्ट क्रिकेट को टी20 स्टाइल की सोच के साथ खेले। तब भी, कई अन्य बड़ी टीम ऐसे खेलने के बारे में सोचने के लिए भी तैयार नहीं। टेस्ट क्रिकेट को बंधी सीमाओं से बाहर निकालने की जरूरत है।
- चरनपाल सिंह सोबती