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अर्शदीप सिंह के इस रिकॉर्ड को ज्यादा नोट नहीं किया गया :

  • टी20 एशिया कप 2022- सबसे ज्यादा विकेट 
  • टी20 वर्ल्ड कप 2022- सबसे ज्यादा विकेट
  • टी20 वर्ल्ड कप 2024- सबसे ज्यादा विकेट 

क्या इन रिकॉर्ड के हिसाब से अर्शदीप की गेंदबाजी का आकलन होता है और भारत के अटैक में उनकी भूमिका को उसी हिसाब से चर्चा मिलती है? कोई भी इसका जवाब आसानी से दे देगा और खुद अर्शदीप का कहना है- भारत के अटैक में जो भूमिका जसप्रीत बुमराह निभा रहे हैं, उस की बराबरी कोई नहीं कर सकता। यहां तक कि वे अपनी कामयाबी का बहुत कुछ श्रेय भी जसप्रीत को देते हैं।

बहरहाल जबकि भारत टी20 वर्ल्ड कप जीत का जश्न मना रहा है- अर्शदीप की अपनी स्टोरी इसी में आगे बढ़ी है। अगर आज सुनील गावस्कर भी ये कह रहे हैं कि अब अर्शदीप को रेड बॉल क्रिकेट में मौका देने का वक्त आ गया है तो समझ लीजिए अर्शदीप इस प्रमोशन के लिए तैयार हैं। वैसे भी टेस्ट टीम में खब्बू तेज गेंदबाज की जरूरत है और इस समय अर्शदीप से बेहतर दावेदार इसके लिए और कोई नहीं।

जसप्रीत बुमराह, कुलदीप यादव, अक्षर पटेल और हार्दिक पांड्या ने फाइनल में कैसी गेंदबाजी की- इसी चर्चा में अर्शदीप का 19वां ओवर भी है। उन आखिरी ओवर के दौरान अगर जसप्रीत, अर्शदीप या हार्दिक में किसी ने भी 1-2 गेंद में लाइन और लेंथ पर कंट्रोल खोया होता तो शायद आज इस वर्ल्ड कप का इतिहास कुछ और होता। केशव महाराज के लिए तब तीन डॉट बॉल दक्षिण अफ्रीका के ताबूत में आखिरी कील साबित हुईं। ऐसा नहीं कि इस पूरे टूर्नामेंट में अर्शदीप (इकॉनमी रेट 7.16) ने जसप्रीत (इकॉनमी रेट 4.17) की तरह रन नहीं दिए पर उसके बाद मजबूती से वापसी की- विकेट चटकाए और भारत के जीत के अभियान को आगे बढ़ाया।

सब ट्विस्ट हैं अर्शदीप की स्टोरी में- उन्हें आईपीएल का प्रॉडक्ट का सकते हैं, पाकिस्तान के विरुद्ध एक मैच के ऐसे विलेन भी रहे कि कई हफ्ते बदनाम किया गया और बात परिवार तक पहुंच गई। क्रिकेट में ये सब नया नहीं- ढेरों क्रिकेटरों के साथ ‘अर्श पर या फर्श पर’ जैसे किस्से जुड़े हैं। इसीलिए जब अर्शदीप के माता-पिता ने बारबाडोस के ग्राउंड में जीत के बाद अपने बेटे को गले लगाया और उसका मैडल भी पहना तो वह उस आलोचना को भूल गए थे। हर आलोचक को चुप करा दिया था।

ऑस्ट्रेलिया में 2022 टी20 वर्ल्ड कप- पाकिस्तान के विरुद्ध पहले मैच से ही ये झलक मिल गई थी कि वह भविष्य का स्टार गेंदबाज बन सकता है। आज उनके नाम इस तरह के रिकॉर्ड हैं

  • टी20 वर्ल्ड कप में टीम की पारी में पहली गेंद पर विकेट लेने वाले गेंदबाज की लिस्ट में भुवनेश्वर कुमार के साथ अर्शदीप का भी नाम है। 
  • 17 विकेट- एक टी20 वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट का रिकॉर्ड बराबर।  
  • अर्शदीप के डेब्यू (7 जुलाई 2022) के बाद से, टी20 इंटरनेशनल में दुनिया में सबसे ज्यादा विकेट (52 मैच में 79) और टेस्ट देशों में सबसे ज्यादा मैच की लिस्ट में में संयुक्त नंबर 1 ( सूर्य कुमार यादव के बराबर)। क्या ये टीम में मजबूत मौजूदगी और बेहतर फिटनेस का सबूत नहीं?

किसी भी युवा भारतीय क्रिकेटर के लिए पाकिस्तान के विरुद्ध मैच कभी आसान नहीं होता- एक अलग तरह का दबाव और वही अर्शदीप पर भी था। 2022 एशिया कप- उस मुकाम पर जब आसिफ अली का कैच ऊपर गया, मैच भारत के कंट्रोल में था और ये विकेट ख़ास था। एक आसान कैच था पर शायद लापरवाही हुई और कैच छूट गया। इसका कोई रीटेक नहीं होता- कोई दूसरा मौका नहीं। भारत मैच हार गया और हर निशाने पर अर्शदीप थे- आजकल सोशल-मीडिया ट्रायल सबसे खतरनाक होता है और ये सिलसिला कई महीने चला। आज वही अर्शदीप भारत की वर्ल्ड कप जीत के आर्किटेक्ट में से एक हैं। उस ट्रोलिंग के बाद अपनी हिम्मत टूटने नहीं दी और उसी बदौलत वापसी के इस मुकाम तक पहुंचे हैं।

2020 से पंजाब किंग्स में गेंदबाजी के कोच, दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाज चार्ल लैंगवेल्ट ने अर्शदीप को टीम के एक नए गेंदबाज से मेच्योर होते देखा है और वे कहते हैं कि सबसे बड़ी खूबी है अपनी स्किल पर भरोसा। ये भरोसा ही तो था जिसने लगभग 7 साल पहले कनाडा माइग्रेट होने का आसान मौका छोड़ने के लिए प्रेरित किया था। परिवार में सब चाहते थे कि केनेडियन डॉलर की चमक में वे भी टोरंटो की फ्लाइट पकड़ लें पर अर्शदीप ने तब एक आख़िरी मौका मांगा था और अमरीश पुरी साहब का ऐतिहासिक डायलॉग- जा सिमरन, जी ले अपनी जिंदगी, अर्शदीप की स्टोरी में फिट हो गया। पिता क्रिकेट में आख़िरी कोशिश का मौका देने के लिए राजी हो गए। आज वही पिता बड़े गर्व के साथ बेटे के साथ, मैचों की बदौलत, दुनिया घूम रहे हैं। रही केनेडियन डॉलर कमाने की बात तो वह तो टी20 वर्ल्ड कप के इनाम से ही पता चल जाता है कि क्रिकेट में उससे भी कहीं ज्यादा कमाने का मौका है और अभी तो ये करियर की शुरुआत है।

पिता जिस आख़िरी मौके के लिए राजी हुए- उसके एक साल बाद, अंडर-19 वर्ल्ड  कप में मौका मिल गया और उसके बाद तो शायद ही पीछे मुड़कर देखा है। 2020 आईपीएल में सुर्खियों में, 2021 में, यॉर्कर डालने की सटीकता ने नेशनल कैंप का बुलावा दिलाया, इस दौरान दाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए स्विंग में दिक्कत आई जिस से जूझना पड़ा पर एक सीजन काउंटी क्रिकेट खेलने और कोच की मेहनत से (जिसमें रन-अप को छोटा करना शामिल रहा) आज के मुकाम पर हैं। अगला लक्ष्य अब रेड बॉल क्रिकेट है। 

-चरनपाल सिंह सोबती

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