सलीम दुर्रानी के देहांत पर मीडिया में उनके बारे में बहुत कुछ लिखा जा चुका है। सबसे ख़ास बात ये कि बड़े दिल वाले क्रिकेटर थे पर संयोग देखिए- जिंदगी के कुछ आख़िरी साल बड़ी तंगी में गुजारे। अगर बीसीसीआई की रिटायर क्रिकेटरों के लिए पेंशन न होती तो उनके साथ क्या होता- इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते।
वे प्यार के लिए खेले। सुनील गावस्कर ने एक बार लिखा था कि अगर कभी सलीम भाई ने अपनी बायोग्राफी लिखी तो उसका टाइटल ‘आस्क फॉर ए सिक्स’ ही होगा- दर्शकों की मांग पर छक्का लगाने के लिए वे मशहूर थे। जिधर से आवाज आई- उधर ही छक्का। उनकी क्रिकेट टेलेंट के प्रभाव को 1960-1973 के बीच 13 साल में खेले 29 टेस्ट, या 1200 से ज्यादा रन और 75 विकेट, जो बाएं हाथ की स्पिन से लिए, से तय नहीं किया जा सकता है। वे इन सब रिकॉर्ड से बेहतर क्रिकेटर थे। अगर उनके समय में आईपीएल होता तो वे सबसे बड़े कॉन्ट्रैक्ट को हासिल करने वाले क्रिकेटरों में से एक होते। 13 साल तक भारत के लिए खेले, दुर्रानी ने 29 टेस्ट में 25.04 की औसत से 1,202 रन बनाए- एक शतक और सात 50 वाले स्कोर। छक्के लगाने के लिए मशहूर थे पर कमाल के स्पिनर भी थे- 75 विकेट भी लिए थे।
88 साल की उम्र में आख़िरी सांस ली- उन्हें कहीं तो अफ़ग़ान लिखा जा रहा है तो कहीं- भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले अफगानिस्तान में जन्मे पहले और एकमात्र क्रिकेटर, किसी के ‘प्रिंस सलीम’, किसी के सलीम भाई और सुनील गावस्कर के लिए सलीम अंकल। ऐसे दौर में जब टेस्ट मैच फीस 250 रुपये थी, वे इस पालिसी से खेलते थे कि एकमात्र एजेंडा था खेलने में मजा लेना और दूसरों को मजा देना। इसी में जो कमाया, उड़ता चला गया।
पता नहीं क्यों, कमाल की टेलेंट के बावजूद, खेलने के ज्यादा मौके नहीं मिले? 1960 के दौर के सबसे स्टाइलिश क्रिकेटरों में से एक के तौर पर टाइगर पटौदी, फारुख इंजीनियर, एमएल जयसिम्हा और अब्बास अली बेग के साथ सलीम दुर्रानी का भी नाम लिया जाता है। एक गजब के खिलाड़ी थे सलीम दुर्रानी जो अपने दिन, बैट या गेंद से मैच विनर थे। उन कुछ क्रिकेटरों में से एक जो एक ओवर में कुछ धमाकेदार स्ट्रोक लगाकर या एक-दो विकेट लेकर मैच का रुख मोड़ सकते थे। एक आक्रामक खब्बू बल्लेबाज, जो किसी भी गेंदबाज की गेंद पर 6 का स्ट्रोक लगा सकता था। मैच का रुख मोड़ने की बात आने पर 1971 के पोर्ट ऑफ़ स्पेन के दूसरे टेस्ट को कौन भूल सकता है?
1971 में क्लाइव लॉयड और सर गारफील्ड सोबर्स को एक ही स्पैल में आउट न करते तो क्या भारत को पोर्ट ऑफ स्पेन टेस्ट में वेस्टइंडीज के विरुद्ध ऐतिहासिक जीत मिलती? हुआ ये कि 1971 की सीरीज में गावस्कर और दिलीप सरदेसाई के ढेरों रन की चर्चा में उनका योगदान वह तारीफ़ नहीं पा सका- जिसका हकदार था। वेस्टइंडीज टूर से लौटने के कुछ ही दिन बाद जब टीम इंग्लैंड गई तो वे टीम में भी नहीं थे- ऐसा उनके साथ पहली बार नहीं हुआ।
सिर्फ यही नहीं और भी कई गलतफहमी में बीता क्रिकेट करियर। इनमें से सबसे ख़ास है- उनका जन्म। चारों ओर बड़ी शान से लिखा जा रहा है कि वे अफ़ग़ान थे, उनका जन्म काबुल में हुआ- ये सब गलत है। वे खुद कहते रहे कि ये गलत है पर काबुल में जन्म को इतनी बार लिखा जा चुका था कि उसे ठीक करना मुश्किल हो गया था। नोट कीजिए-
हर रिकॉर्ड बुक में यही लिखा है कि भारत के टेस्ट क्रिकेटर सलीम दुर्रानी का जन्म काबुल, अफगानिस्तान में हुआ। इसीलिए उन्हें ‘पठान’ बताना, उनसे जुड़ी हर चर्चा का हिस्सा है। वे अफगानिस्तान से जुड़े हैं- इसमें कोई शक नहीं है। सबूत खुद बीसीसीआई ने दिया। जब अफगानिस्तान ने भारत में पहला टेस्ट खेला तो ख़ास तौर पर, उस मौके पर ‘काबुल में जन्मे भारतीय क्रिकेटर’ सलीम दुरानी को बीसीसीआई ने बुलाया था। तब भी यही कहा गया कि वे अफगानिस्तान के काबुल शहर में पैदा होने वाले एकमात्र भारतीय क्रिकेटर हैं। उनके जन्म के सच को उनके खुद के कहने के बावजूद, ठीक नहीं किया गया।
उनके जन्म के शहर और तारीख दोनों पर मतभेद है। जन्म का शहर हर जगह काबुल लिखा है और ज्यादातर जगह तारीख 11 दिसंबर 1934 लिखी है- कई जगह ये तारीख 15 अगस्त भी लिखी है। ज्यादा विवाद जन्म का है। क्या वास्तव में उनका जन्म काबुल में हुआ? माना ये जाता है कि जन्म काबुल में हुआ और जब वे 8 महीने के थे, तब परिवार कराची चला गया था।
विश्वास कीजिए, खुद सलीम दुर्रानी ने कहा- ‘मेरा जन्म काबुल में नहीं हुआ था। वास्तव में, मैं कभी काबुल नहीं गया हूं। मेरे माता-पिता और बड़े अब्बा (दादा) काबुल के थे। मेरे बड़े अब्बा ऑटोमोबाइल इंजीनियर थे। 1930 के दशक के शुरू के सालों में पूरा परिवार कराची चला गया। ‘उनका काबुल का जन्म’ एक मिथक है जिसे खुद दुर्रानी ने सालों से कई इंटरव्यू में ठीक करने की कोशिश की पर गलत रिपोर्टिंग का सिलसिला जारी रहा।
तो सवाल ये उठता है कि उनका जन्म कहां हुआ था? इस सवाल का जवाब एक और गलतफहमी वाला रिकॉर्ड सामने ले आता है। अभी तक जो रिकॉर्ड मालूम है, उसके हिसाब से ये भी माना जाता है कि वे दुनिया के अकेले ऐसे क्रिकेटर हैं जिसका जन्म ट्रेन के सफर के दौरान हुआ था। सलीम दुर्रानी की बात सुनें तो ये भी सच नहीं। वे कहते थे- उनका जन्म ‘खुले आसमान के नीचे’ हुआ था। कहां- जब उनका परिवार काबुल से कराची जा रहा था ऊंट कारवां में, तो रास्ते में, उनकी मां ने उन्हें जन्म दिया था। दुर्रानी कहते हैं- ‘जन्म हुआ, कहीं खैबर दर्रे के पास, लेकिन निश्चित रूप से काबुल में नहीं।’ अगर इसे सही मान लें तो काबुल से कराची के ट्रेन सफर में जन्म वाली बात भी गलत साबित हो जाती है।
खैर वे एक क्रिकेटर के तौर पर ख़ास थे और हमेशा याद रहेंगे।
- चरनपाल सिंह सोबती