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नौबत ये आ गई है कि क्रिकेट लॉ बनाने वाले एमसीसी ने भी मान लिया है कि टेस्ट क्रिकेट में ओवर रेट सुधारने के लिए अब तक की उनकी कोई कोशिश/लॉ काम नहीं आए हैं। इसलिए अब वे आईसीसी को, इसके लिए, एक नया तरीका सुझा रहे हैं- धीमे ओवर रेट के संकट को खत्म करने के लिए काउंटडाउन क्लॉक इस्तेमाल करो।  
हाल की एक स्टडी से पता चला है कि धीमे ओवर-रेट की वजह से, टेस्ट में, हर दिन लगभग आधे घंटे से ज्यादा का समय बेकार जाता है। एमसीसी की वर्ल्ड क्रिकेट कमेटी ने ये स्टडी की इस साल जून में, लगभग साथ-साथ खेले गए इंग्लैंड-न्यूजीलैंड टेस्ट और एलवी इंश्योरेंस काउंटी चैंपियनशिप मैचों के विश्लेषण से। स्टडी का नतीजा- चैंपियनशिप मैचों की तुलना में टेस्ट सीरीज में हर रोज 31.5 मिनट का खेल समय बेकार गया। इसमें से, ओवरों के बीच, 20 मिनट से ज्यादा का समय बर्बाद हुआ जबकि डीआरएस, गेंद या अन्य कोई इक्विपमेंट बदलने, साइट स्क्रीन को इधर-उधर करने और गेंदबाज के बाजू के पीछे किसी दर्शक के हिलने/चलने से बल्लेबाज के परेशान होने और तब खेल रुकने में बाकी समय। इसलिए मसला, एक बात का नहीं है पर इनमें से सबसे बड़ी परेशानी ओवरों के बीच लिया समय है।  
तो क्या करें? एमसीसी वर्ल्ड क्रिकेट कमेटी का सुझाव है- ओवर के बीच अधिकतम 45 सेकंड का समय हो जबकि ड्रिंक ब्रेक और डीआरएस प्रोटोकॉल में जरूरी बदलाव हो। इसके लिए ही काउंटडाउन क्लॉक चाहिए। पूरी उम्मीद है कि एमसीसी वर्ल्ड क्रिकेट कमेटी के सुझाव को समर्थन मिलेगा। हो सकता है कि आईसीसी की क्रिकेट कमेटी को और स्टडी के लिए कहा जाए पर इस बात पर सहमति बन रही है कि ओवर रेट सुधारने के लिए कोई रास्ता ढूंढना होगा।  
इसका मतलब है, और स्टडी के लिए समय चाहिए और एकदम काउंटडाउन क्लॉक का प्रयोग शुरू नहीं होगा। अगर सभी को लगता है कि यह एक अच्छा सुझाव है तो इसे भी आजमाने में कोई बुराई नहीं।
ये काउंटडाउन क्लॉक काम कैसे करेगी? ओवर के आखिर में क्लॉक 45 सेकंड की गिनती के साथ शुरू होगी और जब 0 पर आए तो गेंदबाज तैयार हो नए ओवर में गेंदबाजी के लिए।  
प्लेइंग कंडीशन ये है कि टेस्ट मैच में एक दिन में 90 ओवर का खेल हो- जो हो नहीं रहा।धीमा क्रिकेट, दर्शकों की शिकायत की सबसे बड़ी वजह है और उन दर्शकों के साथ धोखा जो महंगी कीमत पर टिकट खरीदते हैं- इंग्लैंड में तो एक दिन के खेल की टिकट आम तौर पर 100 पौंड है यानि कि लगभग 10 हजार रुपये और लॉर्ड्स में तो इस साल टिकट की कीमत 160 पौंड थी। सोचिए किस तरह से ‘धोखा’ हो रहा है स्टेडियम में क्रिकेट देखने वालों के साथ।  
इंग्लैंड-न्यूजीलैंड सीरीज में ओवरों के बीच, औसतन गेंदबाज के बदलाव में, काउंटी क्रिकेट के मुकाबले 10-15 सेकंड ज्यादा समय लगा। कुल मिलाकर, उसी ग्राउंड पर खेले चैंपियनशिप मैचों की तुलना में टेस्ट में हर रोज लगभग 20 मिनट से ज्यादा का खेल समय बेकार गया।

खेल की स्पीड में सुधार के अन्य सुझावों में, एक और बड़ा ख़ास ये है कि जब डीआरएस रिव्यू चल रहा हो तो खिलाड़ी झुंड बनाकर पिच के पास न खड़े हों- अपनी-अपनी फील्डिंग स्थिति पर लौट जाएं ताकि रिव्यू के बाद जैसे ही गेंदबाज, अगली गेंद फेंकने के लिए तैयार हो तो वे भी अपनी-अपनी पोजिशन पर हों। बल्लेबाजों के ग्लव्स बदलने और फील्डिंग सब्स्टीट्यूट के उपयोग पर भी कुछ प्रतिबन्ध की जरूरत है।  
ये बड़ा ख़ास सवाल है कि टीमें एक घंटे में 13 ओवर क्यों फेंक रही हैं? ये शायद पहली बार हुआ कि स्टडी में, जो खेल हो रहा है- उसी में झांका गया। सीरीज के सभी 3 टेस्ट में एक स्टॉपवॉच के साथ एक आदमी ड्यूटी पर था और उसने सेकंड दर सेकंड ये रिकॉर्ड किया कि क्या हो रहा था? ठीक है, जो स्टडी से सामने आया वह हर टेस्ट पर ज्यों का त्यों लागू नहीं किया जा सकता पर मोटे तौर पर ये सुझाव सब जगह सही बैठेंगे क्योंकि सही तरीके से खेलने की क्षमता पर ये कोई असर नहीं डालते।  
डीआरएस प्रोटोकॉल : कमेटी का ख़ास सुझाव इसे कम करने पर है। जैसे ही टेलीविजन प्रोडक्शन क्रू को पता चलता है कि फैसला नॉट आउट होगा तो उसे समझने की कोशिश में समय बर्बाद नहीं करना है। इंग्लैंड-न्यूजीलैंड सीरीज के दौरान, डीआरएस में 64 मिनट गंवाए- ज्यादातर प्लेयर रिव्यू के लिए।
ड्रिंक्स : जब कोई विकेट गिरता है या डीआरएस रिव्यू लिया और ड्रिंक्स ब्रेक में 15 मिनट या इससे कम बचे हैं तो फ़ौरन ड्रिंक्स ब्रेक भी ले लो और घंटे के पूरे होने वाला ब्रेक अब नहीं लिया जाना चाहिए।
आईसीसी ने, इस साल की शुरुआत में धीमें ओवर रेट के लिए नए जुर्माने की शुरुआत की। अब सिर्फ कप्तान के बजाए पूरी टीम पर धीमे खेलने के लिए जुर्माना लगाया जाता है और टेस्ट मैचों में, टेस्ट विश्व चैम्पियनशिप रैंकिंग से पॉइंट काट लिए जाते हैं। न्यूजीलैंड के विरुद्ध इस साल के ट्रेंट ब्रिज टेस्ट के बाद, इंग्लैंड पर न सिर्फ मैच फीस का 40 प्रतिशत जुर्माना लगा, 2  पॉइंट भी काट लिए। तब भी, ओवर रेट में सुधार में मदद नहीं मिली।
इंग्लैंड के भूतपूर्व कप्तान माइक गैटिंग की एमसीसी वर्ल्ड क्रिकेट कमेटी के पास खुद लॉ बनाने या नए प्लेइंग कंडीशन लागू करने का अधिकार नहीं लेकिन यह एक प्रभावशाली कमेटी है जिसने हाल ही में पिंक बॉल क्रिकेट और हेलमेट टेक्नोलॉजी पर स्टडी की और इस स्टडी के आधार पर ही आईसीसी ने जरूरी बदलाव किए। इसलिए उनकी इस नई स्टडी का भी असर जरूर होगा।  
लॉर्ड्स में सिर्फ 253.1 ओवर फेंके गए और इसमें पूरे तीन दिन की क्रिकेट शामिल है- क्या ये तरस खाने वाला ओवर रेट नहीं? इस बारे में सोचना होगा। क्रिकेट देखने वालों के साथ इस ‘धोखे’ को रोकना होगा। इसलिए जिन ओवर के लिए तीन दिन और आधा सेशन ले लिए- वास्तव में तो तीन दिन के अंदर 270 ओवर का खेल हो जाना चाहिए था।  
सच तो ये है कि एमसीसी ने मार्च 2019 में भी काउंटडाउन क्लॉक और टेस्ट में फ्री हिट का सुझाव दिया था। तब भी, एक स्टडी को ही इसका आधार बनाया था जिसमें इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेट प्रेमियों ने धीमे ओवर रेट का जिक्र किया। तब ये कहा था कि स्कोर बोर्ड को 45 सेकंड से काउंट डाउन किया जाए- अंपायर ने ‘ओवर’ कहा तो काउंटडाउन शुरू और दोनों टीम के खिलाड़ियों को घड़ी के 0 तक पहुंचने तक तैयार होना होगा। समय बीत जाने के बाद भी कोई टीम तैयार नहीं, तो पहली बार में चेतावनी और पारी में आगे हर बार ऐसा होने पर 5 रन का जुर्माना। तब इस क्लॉक को मंजूरी नहीं मिली थी- एक नई स्टडी के साथ, एक नई कोशिश फिर से हो रही है। 
– चरनपाल सिंह सोबती 

One thought on “ये तो क्रिकेट देखने वाले के साथ ‘धोखा’ हुआ पर करें क्या?”

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