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ये कहना गलत नहीं होगा कि ब्रिस्टल टेस्ट से पहले भारत की तरफ से सिर्फ एक डेब्यू की चर्चा थी और टेस्ट के दौरान भी उसी की चर्चा रही। ये नाम है शफाली वर्मा का। सच ये है कि ब्रिस्टल में भारत की तरफ से 5 लड़कियों ने डेब्यू किया और संयोग ये कि पाँचों ने ‘ग्रेट एस्केप’ में अपने – अपने अंदाज़ में ख़ास योगदान दिया। इन्हीं में एक नाम स्नेह राणा का है। क्रिकेट पंडितों ने मान ही लिया था कि भारत हार के कगार पर है – तब भी भारत ने पूरे सम्मान के साथ टेस्ट ड्रा किया। इस अचानक बदलाव के लिए स्नेह ने बड़ी ख़ास भूमिका निभाई -154 गेंद में 80। स्नेह और 10 वें नंबर की तानिया भाटिया (44) ने नौवें विकेट के लिए 144 रन की साझेदारी कर इंग्लैंड के गेंदबाजों को 30.4 ओवर तक सिर्फ निराश नहीं किया – बौखला दिया। ओवर बचे थे, तब भी स्नेह ने 100 क्यों नहीं बनाए – ये एक अलग किस्सा है। कौन है ये स्नेह राणा?

स्नेह ने टेस्ट के दौरान रिकॉर्ड तो कई बनाए पर कुछ ख़ास जो उनकी सही पहचान देते हैं :

  • ऐसी पहली भारतीय महिला- टेस्ट डेब्यू पर 50+ स्कोर और 4+ विकेट। कुल मिलाकर चौथी महिला बनीं। इससे पहले इंग्लैंड की पारी में 4/131 की गेंदबाज़ी की थी।
  • डेब्यू पर 50+ स्कोर 4 विकेट का रिकॉर्ड बनाने वाली तीसरी भारतीय ऑलराउंडर (पुरुष – महिला दोनों) : 1932 में एल अमर सिंह (विरुद्ध इंग्लैंड), 2021 में वाशिंगटन सुंदर (विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया) और अब स्नेह राणा (विरुद्ध इंग्लैंड)।
  • स्नेह राणा का 80 * का स्कोर
  • महिला टेस्ट क्रिकेट में नंबर 6 या उससे नीचे नंबर की किसी भारतीय बल्लेबाज का सबसे बड़ा स्कोर ।
  • टेस्ट डेब्यू पर नंबर 8 या इससे नीचे बल्लेबाज़ी करते हुए तीसरा सबसे बड़ा स्कोर (अन्य दो : चमानी सेनेविरत्ना 105,1998 में पाकिस्तान के विरुद्ध नंबर 8 पर और शेली निचके 2005 में इंग्लैंड के विरुद्ध नंबर 10 पर 81)।
  • भारत के लिए महिला टेस्ट डेब्यू पर दूसरा सबसे बड़ा स्कोर (रिकॉर्ड : शफाली वर्मा 96)।
  • 104* जो दूसरी पारी में तानिया भाटिया और स्नेह राणा के बीच नौवें विकेट की साझेदारी में जोड़े गए – दूसरी सबसे बड़ी 9 वें विकेट की साझेदारी (रिकॉर्ड : बेवर्ली बोथा और मौरीन पायने 107 रन, जब दक्षिण अफ्रीका ने 1972 में न्यूजीलैंड के विरुद्ध सिर्फ 49 रन पर 8 विकेट खो दिए थे)।

ये तो तय है कि स्नेह राणा के 80* ने भारत को ब्रिस्टल में इंग्लैंड के विरुद्ध टेस्ट ड्रॉ कराने में मदद की।ये रिकॉर्ड तब और भी ख़ास हो जाता है जब ये पता लगे कि यहां तक पहुँचने के लिए स्नेह ने किस तरह की मेहनत की और क्या सफर तय किया? देखिए :

  • 27 साल की देहरादून के करीब सिनौला के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखती है। अन्य दूसरी लड़कियों की तरह स्नेह ने भी लड़कों के साथ क्रिकेट खेलना शुरू किया था।
  • जिन पिता भगवान सिंह राणा ने उन्हें क्रिकेट में आगे बढ़ने के लिए हर तरह की मदद की – उनका हार्ट अटैक से लगभग दो महीने पहले ही देहांत हुआ था। स्नेह को इस बात का दुःख है कि पिता उन्हें ऐसा रिकॉर्ड बनाते हुए देखने के लिए जीवित नहीं थे। ब्रिस्टल टेस्ट के बाद घर जो पहला फ़ोन किया ,उसमें यही कहा था।
  • भारत के सेलेक्टर्स भी तारीफ के हकदार हैं – वे पांच साल बाद स्नेह को, इस इंग्लैंड टूर के साथ, इंटरनेशनल क्रिकेट में वापस लाए।
  • स्नेह का क्रिकेट सफर 9 साल की उम्र में लिटिल मास्टर्स क्रिकेट एकेडमी से शुरू हुआ था। पहली कोच – किरण साह। कई मील साइकिल से हर रोज़ ट्रेनिंग के लिए जाती थी।
  • यह याद करते हुए कि स्नेह कैसे एक ऑलराउंडर बनी, किरण ने कहा – ‘हमारी एकेडमी में, लड़कियों को बड़े लड़कों की तेज गेंदबाजी के सामने बैटिंग के लिए मजबूर किया जाता है और इसी से हर तरह से क्रिकेट खेलना आता है।’
  • स्नेह अब रेलवे के लिए खेलती हैं पर अंडर-19 और सीनियर स्तर पर हरियाणा और पंजाब के लिए खेल चुकी हैं । चूंकि उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन को BCCI ने मान्यता नहीं दी थी – इसलिए भारत के लिए खेलने के मौके की तलाश में बाहर निकलीं।
  • 2014 में इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना शुरू किया – 19 जनवरी को पहला वन डे इंटरनेशनल (पहले वन डे में एक प्रभावशाली स्पेल 6-4-7-1 था) और 26 जनवरी को पहला टी 20 इंटरनेशनल।तब भी ऐसे सिर्फ क्रमशः 7 और 5 मैच ही खेले हैं।
  • टीम से बाहर रहने की वजह अगर साधारण क्रिकेट है तो घुटने की चोट भी।
  • इससे पहले सिर्फ एक बार विदेश टूर पर गई थीं- ऑस्ट्रेलिया के 2016 के वन डे टूर पर।
  • बस इरादा पक्का था और स्नेह ने उम्मीद नहीं छोड़ी। वापसी की तलाश में अपनी क्रिकेट को और बेहतर करने के लिए अभिमन्यु क्रिकेट एकेडमी में आ गईं। यहां कोच ने जो सबसे अच्छा काम किया वो ये कि घुटने की चोट से उबर रही स्नेह को यू मुंबा कबड्डी टीम के फिजियो से मिलवा दिया। वह धीरे-धीरे पूरी ठीक हो गई और आलराउंड क्रिकेट पर काम शुरू कर दिया। यहां कोच मनोज रावत थे।
  • स्नेह ने इस साल की शुरुआत में 50 ओवर क्रिकेट की फार्म (लीग राउंड में रेलवे की कप्तान,18 विकेट के साथ सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज,123.07 स्ट्राइक रेट से 160 रन भी और रेलवे को चैंपियन बनाया) के दम पर भारत की टीम में वापसी की और सेलेक्टर्स की तारीफ कि इंग्लैंड टूर के लिए तीनों तरह की क्रिकेट के लिए टीम में चुन लिया।
  • रेलवे कोच और भारत के लिए खेल चुकी नूशिन अल-खदीर, स्नेह की सनसनीखेज टेस्ट डेब्यू पर हैरान नहीं – उन्हें स्नेह की टेलेंट पर विश्वास था। खदीर ने भी उनकी फिटनेस पर मेहनत की।

इसके बाद जो हुआ वह इतिहास है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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