पिछले कुछ साल में कई जानकार ने कहा कि इंग्लैंड की काउंटी चैंपियनशिप अपनी चमक को रही है- किसी हद तक वे गलत नहीं। आज दुनिया भर के टॉप क्रिकेटर इसमें नहीं, अलग-अलग देश में टी20 लीग में खेलते हैं। तब भी ये दुनिया की सबसे रोमांचक फर्स्ट क्लास क्रिकेट की घरेलू लीग है और इसी का सबूत चेल्टेनहैम में पिछले दिनों की एक यादगार वर्ल्ड रिकॉर्ड रन चेज़ में मिला। अद्भुत बात ये कि इतनी बेमिसाल क्रिकेट के बाद, दोनों टीम (जो पड़ोसी हैं और जिन्हें सिर्फ रिवर सेवर्न अलग करती है) बराबर- मैच टाई हो गया। स्कोर वर्ल्ड रिकॉर्ड से एक रन कम था तब ग्लूस्टरशायर के विकेटकीपर जेम्स ब्रेसी ने बिना ग्लव्स एक शानदार कैच लिया। उन्होंने क्या हासिल किया इसका सबूत ये कि वे जश्न मनाते ग्राउंड के चारों ओर इतनी तेजी से भागे कि हो सकता है उन्हें किसी एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लेने बुला लिया जाए।
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सीधे मैच पर चलते हैं। ग्लेमोर्गन ने टॉस जीतकर फील्डिंग को चुना और इससे अच्छी शुरुआत और क्या होगी कि ग्लूस्टरशायर को सिर्फ 179 पर आउट कर दिया। मैच की दूसरी पारी में भी 200 का स्कोर नहीं बना और ग्लेमोर्गन की टीम 197 पर आउट हो गई यानि कि इस मुकाम तक दोनों टीम लगभग बराबरी पर थीं और ऐसे में ये अंदाजा लगाना गलत नहीं था कि ये कम स्कोर का मैच रहेगा।
दूसरी पारी शुरू हुई तो ग्लूस्टरशायर 18 रन से पीछे थी और संयोग से एक समय उन का स्कोर 17-2 था यानि कि अभी भी 1 रन से पीछे और 8 विकेट बचे थे। तब भी, ग्लूस्टरशायर ने संभलते हुए 610-5 पारी समाप्त घोषित का स्कोर बना दिया।
इस मैच के एक और हीरो थे ग्लूस्टरशायर के विकेटकीपर ब्रेसी- मैच की तीसरी पारी में दोहरा शतक और विकेटकीपर के तौर पर 10 कैच। उनकी ये क्रिकेट ही उस टीम को मैच में वापस लाई थी जिसका पहले दिन, एक समय स्कोर 88-8 था। ऐसा लग रहा था कि मैच में पहले 22 विकेट गिरने के बाद- किसी ने पिच ‘बदल’ दी। ग्लूस्टरशायर के 610-5 में तीन बल्लेबाज के 100 थे- कैमरन बेनक्रॉफ्ट ने 184, ब्रेसी ने 204* (231 गेंद, 24 चौके) और माइल्स हेमंड ने 121 (110 गेंद) बनाए।
ग्लेमोर्गन को जीत के लिए 593 रन का लक्ष्य मिला। ग्लेमोर्गन ने निराशा नहीं दिखाई और एक असाधारण लक्ष्य हासिल करने का सफर शुरू कर दिया। इसमें दो ख़ास योगदान- मार्नस लाबुशेन का 100 और नॉर्थईस्ट का एक और बड़ा स्कोर। गड़बड़ ये हुई कि इन दोनों में से कोई भी आखिर तक न टिका और वे नहीं जानते थे कि उनकी कोशिश का नतीजा क्या रहेगा? कप्तान सैम नॉर्थईस्ट के 187 पारी में टॉप स्कोर थे और इसी से उनके इस सीजन में 902 रन हो गए और ऑस्ट्रेलियाई मार्नस लाबुशेन ने 119 रन बनाए।
जब ग्लेमोर्गन ने 593 रन के चेज में 592 बनाकर स्कोर बराबर किया तो 9 विकेट गिर चुके थे और नंबर 11, जेमी मैकलेरॉय स्ट्राइक पर थे। आख़िरी गेंद, आखिरी जोड़ी क्रीज पर और जीत के लिए 1 रन की जरूरत- ये था समीकरण। तब अजीत सिंह डेल की गेंद- जेमी के बैट के किनारे छूती हुई उछली और स्टंप के पीछे जेम्स ब्रेसी ने बाजू बाहर निकाल कर कैच लपक लिया। उस से पहले ही विकेटकीपर ब्रेसी ने एक ग्लव उतार दिया था- शायद ये सोचकर कि अगर मैकलेरॉय और नॉन-स्ट्राइकर मेसन क्रेन ने बाई रन लेने की कोशिश की तो स्टंप गिराने में आसानी रहेगी। तब भी, गलत पैर से दाएं ओर डाइव लगाते हुए कैच लपका।
ग्राउंड पर अफरा-तफरी मच गई- ब्रेसी और उनकी टीम के खिलाड़ी ग्राउंड में खुशी में भाग रहे थे, स्टैंड में ग्लूस्टरशायर के समर्थक उछल-कूद कर रहे थे- उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उन्होंने क्या देखा? आखिरी ओवर को YouTube लाइव स्ट्रीम पर 10500 लोग देख रहे थे, कई हज़ार BBC की लाइव कमेंट्री सुन रहे थे। ढेरों नए रिकॉर्ड बने पर मेजबान ग्लेमोर्गन को जीत न मिली। ग्लेमोर्गन ने काउंटी चैम्पियनशिप के इतिहास में चौथी पारी में सबसे बड़े स्कोर का नया रिकार्ड बना दिया पर वे इस बात को भूलेंगे नहीं कि इस मैच को जीत न सके। देखिए कुछ ख़ास रिकॉर्ड :
- 6 साल में काउंटी चैम्पियनशिप में पहला टाई
- ग्लेमोर्गन 592- काउंटी चैम्पियनशिप में चौथी पारी में सबसे बड़ा स्कोर (पिछला रिकॉर्ड : 1925 में मिडिलसेक्स के ट्रेंट ब्रिज में नॉटिंघमशायर के विरुद्ध 502-6)।
- 592- फर्स्ट क्लास क्रिकेट में चौथी पारी में तीसरा सबसे बड़ा स्कोर (इससे बड़े : 1939 में डरबन में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध इंग्लैंड के 654 और 1948 में रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल में महाराष्ट्र के बॉम्बे के विरुद्ध 604)
- जिस मैच में दोनों टीम ने अपनी पहली पारी में 200 भी नहीं बनाए- दूसरी पारी में 500+ बनाए।
- सबसे बड़े कामयाब रन चेज का रिकॉर्ड न बना और अभी भी रिकॉर्ड है- 14 साल पहले साउथ जोन के विरुद्ध दलीप ट्रॉफी मैच में वेस्ट जोन के 536 रन।
- फर्स्ट क्लास क्रिकेट में चौथी पारी में सबसे ज्यादा स्कोर :
- जीत के लिए : 541/7 (वेस्ट ज़ोन) विरुद्ध साउथ ज़ोन, हैदराबाद- 2010
- हार में : 604 (महाराष्ट्र) विरुद्ध मुंबई, पुणे- 1949 (लक्ष्य था 959 रन)
- ड्रा में : 654/5 (इंग्लैंड) विरुद्ध दक्षिण अफ्रीका, डरबन- 1939 (लक्ष्य था 696 रन)
- टाई में : 592 (ग्लेमोर्गन) विरुद्ध ग्लूस्टरशायर, चेल्टेनहैम- 2024 (लक्ष्य था 593 रन)
सिर्फ ऐसे मैच ही नहीं खेले जाते- अजीब स्ट्रेटजी भी देखने को मिलती है। ये वेस्टइंडीज के विरुद्ध लॉर्ड्स टेस्ट से पहले का आख़िरी चैंपियनशिप राउंड था और तब भी- पहले टेस्ट के लिए इंग्लैंड के स्पिनर बशीर को उनकी काउंटी समरसेट ने नहीं खिलाया, टेस्ट में इंग्लैंड के विकेटकीपर जेमी स्मिथ को सरे ने ग्लव्स नहीं दिए और फील्डर थे टीम के मैच में (बेन फोक्स विकेटकीपर थे) और जो रूट, जैक क्रॉली और ओली पोप जैसे कुछ खिलाड़ी मैच ही नहीं खेले।
और देखिए- इस राउंड के बाद 22 अगस्त तक कोई और चैंपियनशिप क्रिकेट नहीं क्योंकि अब वाइटैलिटी ब्लास्ट और द हंड्रेड को खेलना है- पैसा इन्हीं से आता है।
– चरनपाल सिंह सोबती