fbpx

नागपुर में टेस्ट शुरू होने में ज्यादा घंटे नहीं बचे और ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड :

  • 2004/05 के बाद से भारत में कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीती है।
  • पैट कमिंस की टीम, 2012 में एलेस्टेयर कुक की इंग्लैंड टीम के बाद, यहां सीरीज जीतने वाली टीम बनने की उम्मीद में भारत आई है।

दोनों लक्ष्य पूरे करने हैं तो बेहतर तैयारी की जरूरत है और क्रिकेट में बेहतर तैयारी का मतलब है मेजबान देश की पिचों के मिजाज को समझना। ये जरूरी था तभी तो मेहमान टीम, वास्तव में, टेस्ट शुरू होने से कई दिन पहले ही टूर शुरू कर देती थीं। ये क्या- ऑस्ट्रेलिया टीम तो 4 टेस्ट की बॉर्डर-गावस्कर सीरीज, भारत में एक भी प्रैक्टिस मैच खेले बिना शुरू कर रही है। ऐसा क्यों हुआ? कम से कम एक प्रैक्टिस मैच खेलने का तो समय था पर वे नहीं खेले। ऑस्ट्रेलिया ने एक बार भी यह आरोप नहीं लगाया कि बीसीसीआई ने किसी प्रैक्टिस मैच के इंतजाम से इंकार कर दिया। तो क्यों नहीं खेले? टेस्ट शुरू होने से पहले ये सवाल, बड़ी चर्चा में है।

उस्मान ख्वाजा ने कहा- भारत में प्रैक्टिस मैच खेलने का कोई मतलब ही नहीं था क्योंकि टूर मैच और टेस्ट के लिए विकेट बिलकुल अलग तरह के होते हैं यानि कि कोई फायदा ही नहीं होता- मसलन प्रैक्टिस मैच में पिच गाबा जैसी ग्रीन टॉप लेकिन टेस्ट एकदम स्पिनिंग विकेट पर खेलने को कह देते हैं। स्टीव स्मिथ ने कहा- पिछले भारत टूर में प्रैक्टिस के लिए मिली तेज पिच पर टेस्ट खेले स्पिन को मदद देने वाली पिच पर। दिग्गज ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर इयान हीली ने उनका साथ दिया और भारत पर निशाना साधते हुए कहा- पैट कमिंस की टीम टूर मैच नहीं खेल रही क्योंकि मेजबान के इंतजाम पर अब हमें भरोसा नहीं है। हीली के शब्द- क्रिकेट देशों के बीच भरोसे को इस तरह टूटते हुए देखना निराशाजनक है और इसे रोकने की जरूरत है। 
मजे की बात ये है कि उनकी इस सोच की चर्चा में खुद टीम इंडिया के एक कप्तान ने उन्हें ‘सही’ ठहरा दिया। हार्दिक पांड्या ने, न्यूजीलैंड के विरुद्ध दो टी20 आई की पिच को खुलेआम शर्मनाक कह दिया और बात इतनी बिगड़ी कि बेचारे लखनऊ के क्यूरेटर तो बर्खास्त हो गए। पांड्या नाराज थे पिचों पर बहुत ज्यादा स्पिन से और यही तो ऑस्ट्रेलिया वालों का डर है। हीली को अभी भी उम्मीद है कि दूसरे और तीसरे टेस्ट के बीच 10 दिन होने से एक टूर मैच खेल सकते हैं। क्या तब तक सोच बदलेगी?

इन सब बातों से ये अच्छी तरह से अंदाजा हो जाता है कि ऑस्ट्रेलिया कैंप में क्या सोच काम कर रही थी? उन्होंने मान रखा है कि टेस्ट स्पिनिंग विकेट पर खेलने पड़ेंगे और इसीलिए खुद ही, तैयारी के लिए, टेस्ट में मिलने वाली पिचों की नकल का इंतजाम कर लिया। पहले तो सिडनी में टूरिंग पार्टी के लिए एक, दो दिन वाला कैंप लगाया जिसमें स्पिनरों की गेंदबाजी पर खूब प्रैक्टिस हुई। उसके बाद टुकड़ों में भारत पहुंची टीम, सीधे पहले टेस्ट के शहर नागपुर नहीं गई – बेंगलुरु में इकट्ठा हुई। रुकी तो बेंगलुरु में लेकिन प्रेक्टिस की लगभग एक घंटा दूर अलूर में 4 दिन के कैंप में। यहां उन्हें मिलीं लगभग वैसी पिच जिसकी वे नागपुर में उम्मीद कर रहे हैं। ये है नया सिस्टम।

ऑस्ट्रेलिया की ये सोच सिर्फ पिछले भारत टूर से ही नहीं बनी। अब हर जगह यही हो रहा है। ऑस्ट्रेलिया को 2022 में श्रीलंका में प्रैक्टिस के लिए मिलीं सीमिंग पिच जबकि 2 टेस्ट में स्पिन गेंदबाजों का दबदबा बना रहा। पिछली बार भारत ने इंग्लैंड टूर में जिस पिच पर प्रैक्टिस की वह ‘बैटिंग ब्यूटी’ थी पर जब टेस्ट खेले तो सीम और स्विंग ने क्रिकेटरों के होश उड़ा दिए। 2013 के भारत टूर में ऑस्ट्रेलिया टीम दो प्रैक्टिस मैच खेलने के बावजूद टेस्ट 4-0 से हारी जबकि 2017 में जो एक प्रेक्टिस मैच खेला उसमें उन्हें जो गेंदबाजी मिली उनमें शाहबाज़ नदीम टॉप गेंदबाज थे और टीम में के गौतम के होने के बावजूद, उनका इस्तेमाल सिर्फ दूसरी पारी में हुआ। इसीलिए, ऑस्ट्रेलिया ने टूर मैच खेलना ही बंद कर दिया है। पिछले पाकिस्तान और श्रीलंका टूर में भी कोई प्रैक्टिस मैच नहीं खेला।  

तो ये तो मेजबान का अधिकार हो गया कि जो सही लगे/अपने फायदे में हो, वह करो- उपमहाद्वीप की टीमों को स्पिन तो इंग्लैंड और न्यूजीलैंड को स्विंग का सहारा, ऑस्ट्रेलिया को बाउंस तो दक्षिण अफ्रीका को स्विंग और बाउंस दोनों का सहारा। इसीलिए ऑस्ट्रेलिया टीम अलूर में, पिच पर, हर तरह के टर्न (घिसी-पिटी पिचों, स्लो टर्नर, रैंक-टर्नर, वेरिएबल बाउंस वाली) के इंतजाम के साथ खेली। खेलने का ये इंतजाम चीफ कोच एंड्रयू मैकडॉनल्ड और स्पिन सलाहकार डेनियल विटोरी ने कराया- दोनों रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर टीम के साथ रहे हैं और भारत में मिलने वाली चुनौती को अच्छी तरह से जानते  हैं।

अलुर को चुनने की एक वजह ये भी थी कि किसी को उनकी तैयारी के तरीके के बारे में पता न चले। 2017 टूर में भी यही किया था। दुबई चले गए एक हफ्ते के लिए और जब पुणे टेस्ट में भारत ने रैंक टर्नर विकेट परोसा तो उन्होंने भारत को चौंका दिया और स्टीव ओ’कीफ और नाथन लियोन, भारत के स्पिनरों से ज्यादा प्रभावशाली साबित हुए। इस बार नेट्स के लिए, इस रणजी ट्रॉफी सीजन में 32 विकेट लेने वाले जम्मू-कश्मीर के आबिद मुश्ताक और रविचंद्रन अश्विन के डुप्लिकेट कहे जाने वाले महेश पिठिया को बुला लिया। ऑस्ट्रेलिया टीम को ये भी मालूम है कि टेस्ट उसी विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में है जहां कुछ दिन पहले, एक रणजी ट्रॉफी मैच में गुजरात की टीम चौथी पारी में सिर्फ 72 रन के लक्ष्य के बावजूद 54 रन पर ही आउट हो गई थी और खब्बू स्पिनर आदित्य सरवटे ने मैच में 11 विकेट लिए 100 से भी कम रन देकर।    

  • चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *