कुछ साल पहले की बात है। इंडिया अंडर-19 टीम श्रीलंका टूर पर थी और टीम के एक खिलाड़ी का नाम था अर्जुन तेंदुलकर। कुछ पत्रकारों ने भारतीय कोच से इजाजत मांगी कि वे सचिन तेंदुलकर के बेटे का इंटरव्यू लेना चाहते हैं। कोच का जवाब था- ‘अगर क्रिकेट के लिए इंटरव्यू लेना है तो आपका स्वागत है पर सिर्फ किसी के बेटे का इंटरव्यू लेना चाहते हैं, तो कोई इजाजत नहीं है।’ ये है वह परिचय जो अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए युवा अर्जुन तेंदुलकर ने जन्म के बाद से लगातार झेला है और एकदम उसकी तुलना, सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड से करना ‘हॉबी’ बना हुआ है- जानकारों की।
इस दबाव में आगे बढ़ना कितना मुश्किल होता है- इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। एक बहुत अच्छी मिसाल : सर डॉन ब्रैडमैन के बेटे ने जवान होते ही अपने नाम से ‘ब्रैडमैन’ सरनेम हटा दिया था- इस नाम का फायदा मिलना तो दूर की बात, उसका दबाव झेलना उनके लिए मुश्किल हो गया था। जहां भी जाएं- बस सिर्फ उनके पिता के बारे में सवाल।
रणजी ट्रॉफी के नए सीजन के पहले राउंड में एक से ज्यादा बल्लेबाज ने, अपने रणजी डेब्यू पर 100 बनाया पर हर किसी को सिर्फ ये याद है कि ये रिकॉर्ड ‘सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर ने बनाया’- इस शुरुआत ने भी अर्जुन तेंदुलकर को अपनी पहचान नहीं बनाने दी। जितना, अर्जुन के डेब्यू 100 के बारे में लिखा गया- तुलना करते हुए, उससे ज्यादा सचिन तेंदुलकर के 100 के बारे में लिखा गया। अपनी नई टीम गोवा के लिए नंबर 7 पर 57.96 स्ट्राइक रेट से 120 रन (207 गेंदों पर) के साथ ये रिकॉर्ड बना और फर्स्ट क्लास डेब्यू 100 लगाने वाले दूसरे तेंदुलकर बने अर्जुन! सीनियर तेंदुलकर ने 34 साल पहले, संयोग से इसी दिसंबर महीने के इसी हफ्ते में अपना पहला रणजी 100 बनाया था (11 दिसंबर 1988- सचिन तेंदुलकर डेब्यू 100 गुजरात के विरुद्ध और 14 दिसंबर 2022- अर्जुन डेब्यू 100 राजस्थान के विरुद्ध)। हम सभी ‘स्टार किड्स’ को एक ही लेंस से देखने लगते हैं- ऐसे में उनके लिए सफलता और भी मुश्किल हो जाती है। अर्जुन का मुंबई छोड़कर, गोवा के लिए खेलने का फैसला उनके लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है- कम से कम, आगे बढ़ने के लिए और मौके तो मिलेंगे।
अर्जुन ने पिछले साल सीनियर घरेलू क्रिकेट में खेलना शुरू किया था लेकिन मुंबई के लिए सिर्फ दो टी20 मैच ही खेल पाए- गेंदबाजी ऑलराउंडर के रोल में। मुंबई इंडियंस सेटअप का हिस्सा हैं (आईपीएल 2021 और 2022 सीज़न) पर अभी तक बेंच पर ही बैठे हैं। इसीलिए बेहतर अवसर की तलाश में अपना बेस मुंबई से गोवा ट्रांसफर कर लिया। सचिन ने भी कहा था- गोवा जाने से अर्जुन को खेलने का और मौका मिलेगा, जो करियर के इस मुकाम पर बड़ा महत्वपूर्ण है।
अर्जुन का सपना है इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी पहचान बनाने का पर उसके लिए अभी लंबा सफर तय करना है। घरेलू क्रिकेट में, इस एक 100 से काम नहीं चलेगा- मुंबई के ही पृथ्वी शॉ और सरफराज खान की मिसाल हमेशा याद रखें। रन का अंबार लगाने के बावजूद, सरफराज मौके का इंतज़ार कर रहे हैं।
अर्जुन इस सीजन में, सैयद मुश्ताक अली टी20 खेले- सात मैचों में 5.69 के प्रभावशाली इकॉनमी रेट के साथ दस विकेट लिए। विजय हजारे ट्रॉफी में गोवा के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे- 8 मैचों में 32.37 के औसत और 4.98 की इकॉनमी रेट से सात विकेट लिए। उस मुंबई इंडियंस डेवलपमेंट टीम में भी थे जो इस साल इंग्लैंड गई और कई टी20 मैच खेले क्लब टीमों के विरुद्ध। कुमार कार्तिकेय, अनमोलप्रीत सिंह, रमनदीप सिंह और डेवाल्ड ब्रेविस भी उस टीम का हिस्सा थे जिसने क्लब की टीमों के खिलाफ टी20 मैच खेले थे।
अर्जुन के इस डेब्यू 100 ने एक पुरानी खबर को भी, फिर से, चर्चा दिला दी- अर्जुन चंडीगढ़ में डीएवी एकेडमी में युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह से ट्रेनिंग ले रहे हैं। 22 साल के अर्जुन वहां जेपी अत्रे मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट खेलने गए थे और इस मौके का फायदा उठाकर कुछ दिन एकेडमी के लिए निकाल लिए। जेपी अत्रे मेमोरियल टूर्नामेंट चंडीगढ़, मोहाली और पंचकुला में खेला गया। जेपी अत्रे मेमोरियल टूर्नामेंट में 16 टीम ने हिस्सा लिया- इनमें से एक टीम गोवा क्रिकेट एसोसिएशन की थी। भारत के पेसर, युवराज सिंह के पिता और पहले कोच योगराज सिंह, 1980 के दशक में टीम इंडिया के लिए खेले थे- वेलिंगटन में न्यूजीलैंड के विरुद्ध टेस्ट डेब्यू और ब्रिसबेन में इसी टीम के विरुद्ध वनडे डेब्यू। योगराज का कोचिंग का तरीका सबसे अलग है और न सिर्फ युवराज, कई क्रिकेट करियर बनाने में उनका योगदान रहा है।
अर्जुन तेंदुलकर के इस डेब्यू 100 ने योगराज सिंह के दिल को खुश कर दिया होगा। अब ये बात भी सामने आ गई है कि उन्होंने कुछ महीने पहले अर्जुन के एकेडमी में ट्रेनिंग के 60 वीडियो इस संदेश के साथ एक सीनियर जर्नलिस्ट और बोर्ड अधिकारी को भेजे थे- ‘मेरी बात को याद रखना- ये लड़का कई 100 लगाएगा।’ शुरुआत तो हो गई है। योगराज ने भी अर्जुन को कहा था- अगले 15 दिन तक, उन्हें भूल जाना चाहिए कि वह एस तेंदुलकर के बेटे हैं। उन्हें, अपने पिता की छाया से बाहर निकलने की जरूरत है।
- चरनपाल सिंह सोबती