एक और टी20 वर्ल्ड कप- नोट कीजिए 4 साल में तीसरा। ये टी20 क्रिकेट को ‘सोने के अंडे देने वाली मुर्गी’ बनाने जैसी स्थिति नहीं तो और क्या है? इस बार का वर्ल्ड कप हमेशा इस सवाल के लिए चर्चा में रहेगा कि ये वर्ल्ड कप था किसके लिए? आईसीसी ने अपनी तरफ से इसे कतई वह चर्चा नहीं दी जो इससे पहले किसी और फॉर्मेट के किसी ग्लोबल टूर्नामेंट को दी। ये पहली बार नहीं है कि वेस्टइंडीज में आयोजित हो रहे किसी ग्लोबल टूर्नामेंट के साथ ऐसा हो रहा है। अमेरिका के को-होस्ट होने से तो वे और भी बैक फुट पर हो गए।
ये टी20 वर्ल्ड कप भारतीय टीवी के लिए है- न अमेरिका के लिए, न वेस्टइंडीज के लिए और न वहां क्रिकेट चाहने वालों के लिए। ऐसा लगता है कि ग्रुप राउंड सिर्फ एक मैच का है।अमेरिका में वर्ल्ड कप और न्यूयॉर्क में भारत-पाकिस्तान मैच- बस यही है ग्रुप राउंड। क्रिकेट को किसी भी नए बाजार में लाने की कोशिश गलत नहीं पर जब भी ऐसा होता है तो टूर्नामेंट को लोकल प्रमोट करते हैं- अमेरिका में 1000 में से 999 लोग कह रहे हैं कि वे इस वर्ल्ड कप के बारे में कुछ नहीं जानते। डलास में स्टेडियम के बाहर- डलहॉर्न पार्क में 28 जून की पॉप्सिकल परेड के लिए बड़े बिलबोर्ड लगे हैं- इस वर्ल्ड कप का कुछ नहीं है। जब स्टेडियम के अंदर पहुंचेंगे तभी पता चलेगा कि वर्ल्ड कप चल रहा है।
वैसे भी अमेरिका में न्यूयॉर्क के जिस स्टेडियम की बहुत चर्चा है- विश्वास कीजिए कि वहां भी क्रिकेट मैच स्थानीय लोगों के लिए नहीं है। मैच दुनिया के पहले मॉड्यूलर क्रिकेट स्टेडियम में है जो हार्ट ऑफ न्यूयॉर्क- मैनहट्टन से लगभग 48 किलोमीटर दूर आइजनहावर पार्क, लांग आईलैंड में है। क्रिकेट के लिहाज से यह कैरिबियन में अपनी विरासत छोड़ जाएगा और यही सबसे ख़ास है। क्रिकेट में अमेरिका को एक पहचान बनाने में कई साल लग जाएंगे।
बड़े गर्व से इसकी विशालता और भीड़भाड़ वाले स्पोर्ट्स बाजार के आंकड़े दिए जा रहे हैं और उसमें इस लगभग 30 हजार की क्षमता वाले स्टेडियम में भारत-पाकिस्तान मैच के लिए सभी टिकट न सिर्फ बिकने, ‘कई बार बिकने’ का जिक्र हो रहा है पर न्यूयॉर्क में एशियाई लोगों के अलावा इस मैच में किसकी रूचि है? अरे ये तो एक ऐसा मैच है, जिसके लिए दुनिया के किसी भी देश में टिकट बिक जाएंगे- वियतनाम में भी।
वेस्टइंडीज में क्रिकेट मायने रखता है और इसकी सही सेहत बहुत जरूरी है पर इस तमाशे में मुख्य होस्ट होने के बावजूद वे बैक फुट पर हैं। क्या आप जानते हैं कि आईसीसी से टी20 वर्ल्ड कप के होस्ट के तौर पर अकेले वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड का कॉन्ट्रैक्ट है? कैरेबियन में 55 में से 39 मैच हैं- जिसमें सेमीफाइनल और फाइनल दोनों शामिल हैं। ये टी20 वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले का अनुमान ये है कि इससे वेस्टइंडीज बोर्ड को लगभग 25 मिलियन डॉलर का मुनाफा होगा जो 2025 और 2026 के उन ‘खराब’ क्रिकेट साल में काम आएगा जब भारत या इंग्लैंड में से कोई भी टीम वहां नहीं खेलेगी।
कहीं भी वेस्टइंडीज के वेन्यू की चर्चा नहीं। नोट कीजिए- वहां न तो मैचों की मेजबानी करने वाले हर देश की क्रिकेट एसोसिएशन और न ही वेस्टइंडीज बोर्ड ने ग्राउंड को अपग्रेड किया है (ये कहकर कि हमारे पास पैसा नहीं)- ये काम सरकार ने किया है। केंसिंग्टन ओवल, जहां फाइनल है- वहां 25 मिलियन पाउंड खर्च हुए और उसे आधुनिक बनाया है। हर स्टेडियम में पिच और आउटफील्ड फिर से बनाए हैं। सेंट विंसेंट में नई एलईडी लाइट लगाई हैं।
क्रिकेट वेस्टइंडीज़ के सीईओ जॉनी ग्रेव कहते हैं- ‘हम सुविधाओं के मामले में अपने लिए एक बड़ी विरासत की बात कर रहे हैं। इनका इंतजाम और भारी खर्च हमारी सबसे बड़ी मुश्किल में से एक है। वर्ल्ड कप की मेज़बानी करना और सरकारों को ऐसे स्टेडियमों में इन्वेस्ट करने के लिए कहना, जिनमें 2007 (तब वेस्टइंडीज़ में 50 ओवर का वर्ल्ड कप खेले थे) के बाद से कोई ख़ास खर्चा किया ही नहीं गया- बहुत बड़ी बात है। अमेरिका में जो पैसा खर्च हुआ उसका कहीं कोई जिक्र नहीं क्योंकि कोई दिक्कत नहीं। मजे की बात ये है कि आयोजन के लिए अमेरिका की मदद तो आईसीसी ने भी की- वेस्टइंडीज की नहीं।
इस सब के बावजूद टूर्नामेंट में कैरेबियाई माहौल कहां है? आईसीसी के फन स्क्वाड का टूर्नामेंटों को कॉर्पोरेटाइज करने का इतिहास बड़ा पुराना है और 2007 के वेस्टइंडीज के 50 ओवर के वर्ल्ड कप को भी इसी ने एक बोर और बिना किसी रोमांच वाला आयोजन बना दिया था- बाक़ी की कसर ग्रुप राउंड में ही भारत के बाहर होने से पूरी हो गई। तब इस स्क्वाड की बड़ी आलोचना हुई थी। इसके बाद ही ये तय हुआ था कि आईसीसी कोई ऐसा आयोजन नहीं करेगा जो स्पांसर के लिए परेशानी वाला हो। उस नजरिए से, 17 साल बाद वे गलत नहीं कर रहे और इसलिए ये वर्ल्ड कप लोकल क्रिकेट प्रेमियों के लिए नहीं भारतीय ब्रॉडकास्ट टेलीविजन बाजार के लिए खेल रहे हैं।
भारत में टीम इंडिया के जो मैच आप प्राइम टाइम यानि कि रात 8 बजे से देखेंगे- वे वास्तव में वहां सुबह 10.30 बजे शुरू होंगे। कहां खेलते हैं सुबह 10.30 से टी 20 मैच?आईपीएल में भी डबल हैडर के दिन पहला मैच दोपहर बाद तपती धूप में इसलिए खेलते है ताकि कुछ देर फ्लड लाइट्स चमकें और यहां तो सुबह मैच हैं। इतना ही नहीं अगर आख़िरी 4 में पहुंचे तो अभी से तय कर दिया है कि भारत को गुयाना में सेमीफाइनल खेलना है क्योंकि वह सुबह 10.30 बजे शुरू होगा और भारत में उसे आराम से रात 8 बजे से देख लेंगे- त्रिनिदाद में दूसरा सेमीफाइनल शाम को है यानि कि भारत में सुबह सूर्य देवता के दर्शन वाले घंटे में- वह मैच पाकिस्तान के हिस्से में है। यहां तक कि 29 जून को बारबाडोस में होने वाला फाइनल भी रोशनी में आतिशबाजी के साथ शाम को नहीं होगा- सुबह 10.30 बजे होगा।
वेस्टइंडीज में टी20 बहुत हिट है। कैरेबियन प्रीमियर लीग में ग्राउंड खचाखच भरते हैं, रात में पार्टी करते हैं जबकि टेस्ट क्रिकेट में स्टेडियम खाली पड़े रहते हैं। सब अमेरिका में मैचों के टिकट बिकने की बात कर रहे हैं- वेस्टइंडीज का कहीं जिक्र नहीं। नोट कीजिए- वहां मैचों के टिकट नहीं बिक रहे। इसलिए वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले ही ब्रॉडकास्टर की मांग पूरी करने के लिए लोकल स्कूली बच्चों का इंतजाम शुरू हो गया था- उन्हें मुफ्त मैच देखना, मुफ्त ट्रांसपोर्ट और खाना-पीना देंगे हफ्ते के बीच के दिनों वाले सुबह और दोपहर के मैच देखने के लिए। ब्रॉडकास्टर अच्छा नजारा दिखाने के लिए सीटों पर दर्शक चाहते हैं- उन्हें इससे कुछ लेना- देना नहीं कि वे टिकट खरीद कर आए हैं या मुफ्त। इस समय पूरी दुनिया में, इंग्लैंड को छोड़कर, कहीं सुबह के मैच बड़ी भीड़ नहीं जुटा सकते। इसीलिए वहां स्कूली बच्चे बड़ी डिमांड में हैं और हर मैच के लिए स्कूल बुक कर लिए हैं।
एक ही लक्ष्य है कि भारतीय ब्रॉडकास्टर और स्पांसर खुश रहें। इसमें कुछ गलत भी नहीं- अगर आईसीसी इवेंट दिखाने के लिए, 4 साल के सौदे के लिए डिज्नी स्टार ने 3.2 बिलियन डॉलर दिए तो उन्हें वसूल तो करना है। आईसीसी ने मान लिया है कि इस टी20 वर्ल्ड कप की मेजबानी के लिए 90 प्रतिशत रेवेन्यू भारत से आ रहा है तो इसे भारत के हिसाब से खेलना ही होगा। इसे भारत की अकड़ या बीसीसीआई का दबदबा कहना सही नहीं होगा- ये तो बाज़ार का सच है। आईसीसी के लिए अकेले भारत से 3 बिलियन डॉलर की स्पांसर मनी आ रही है और बाकी सब देश मिलकर लगभग 200 मिलियन डॉलर ला रहे हैं तो ये गिनती अपने आप तय कर देती हैं कि इस टी20 वर्ल्ड कप या अन्य किसी ग्लोबल इवेंट को किसके लिए खेलेंगे?
वेस्टइंडीज ने ये सब फिर भी मान लिया क्योंकि वे अपने खजाने में 25 मिलियन डॉलर की रकम का आना देख रहे हैं। कुछ मुश्किल सालों के लिए ये पैसा काम आएगा। विश्वास कीजिए वे अभी से कह रहे हैं कि 2025 और 2026 का घाटा ये पैसा पूरा कर देगा और तब तक 2027 आ जाएगा- उस साल टीम इंडिया को वहां खेलना है और वे फिर से बराबरी पर आ जाएंगे। हां अगर वेस्टइंडीज टीम जीत के दावेदार की तरह खेली तो इससे मदद मिलेगी। स्टैंड में शंख बजाए जाएंगे, स्टील के ड्रम बजाए जाएंगे और मैच से पहले ग्राउंड पर कार्निवल आर्टिस्ट होंगे- ये सब मैचों में कैरेबियाई स्वाद लाएगा पर शर्त ये है कि ये सब ऐसे समय हो जो भारतीय टेलीविजन बाजार के हिसाब से हो और यही दुनिया का तरीका है।
– चरनपाल सिंह सोबती