fbpx

चेतन शर्मा की सेलेक्शन कमेटी बर्खास्त किए जाने के हफ्तों बाद, बीसीसीआई ने नई सेलेक्शन कमेटी बना ली और ख़ास बात ये कि भारत के भूतपूर्व तेज गेंदबाज चेतन शर्मा फिर से पैनल के अध्यक्ष बनाए गए। श्रीधरन शरथ (साउथ जोन), सुब्रतो बनर्जी (ईस्ट जोन), सलिल अंकोला (वेस्ट जोन) और एसएस दास (सेंट्रल जोन) कमेटी के अन्य सदस्य हैं- कुल अनुभव 50 से कम टेस्ट और 100 से कम वनडे इंटरनेशनल।

इनमें से अध्यक्ष चेतन शर्मा ने 23 टेस्ट खेले- ओपनर बल्लेबाज एसएस दास के बराबर, जबकि अंकोला और बनर्जी ने एक-एक टेस्ट खेला है। तमिलनाडु के शरथ ने 139 फर्स्ट क्लास मैच खेले और जूनियर सेलेक्शन कमेटी के अध्यक्ष भी रहे। अंकोला मुंबई के चीफ सिलेक्टर हैं। दास चूंकि ओडिशा के बाद विदर्भ के लिए खेले- इसलिए उन्हें सेंट्रल जोन के लिए क्वालीफाई मान लिया। तो इनमें से चेतन शर्मा सेलेक्शन कमेटी के अध्यक्ष क्यों- इसका जवाब ये है कि चेतन 65 वनडे इंटरनेशनल भी खेले जबकि सिर्फ 4 ही वनडे खेले दास ने और चेतन सीनियर भी हैं- चेतन : पहली टेस्ट कैप 1984 में और दास : 2000 में शुरुआत।

ये कोई नई बात नहीं कि सेंट्रल और ईस्ट ऐसे जोन हैं जहां से ज्यादातर क्वालीफाई नहीं करते इसलिए कई बार जोड़-तोड़ किया जाता है- जैसा इस बार किया। बंगाल के रणदेव बोस के जूनियर पैनल में होने के कारण, किसी और ईस्ट राज्य से, किसी को सेलेक्शन कमेटी में लेना था। सुब्रतो, बंगाल के लिए खेले तो बिहार के लिए भी और इसी से रास्ता बन गया। बनर्जी गेंदबाजी कोच भी रहे- उमेश यादव के निजी कोच और विदर्भ, रणजी ट्रॉफी विजेता टीम के गेंदबाजी कोच भी। पिछली सेलेक्शन कमेटी से हरविंदर सिंह ने भी फिर से एप्लाई किया था- रिपोर्ट ये है कि वे इंटरव्यू में प्रभावित नहीं कर पाए।

शरथ, इस पैनल में अकेले हैं जिनके नाम इंडिया कैप नहीं पर टेलेंट पहचानने के लिए गजब की नजर है। अंडर-19 क्रिकेट को नजदीक से देखा है, इसलिए जूनियर टेलेंट पूल के बारे में  उनकी जानकारी अब सेलेक्शन कमेटी को मदद करेगी। अंकोला मुंबई जैसी हाई-प्रोफाइल टीम की सेलेक्शन कमेटी के अध्यक्ष भी हैं- ये अनुभव उनके काम आया। अभय कुरुविला के पिछले पैनल से हटने के बाद से, लगभग एक साल से वेस्ट जोन का कोई प्रतिनिधि नहीं था कमेटी में। इस तरह पिछले पैनल के सुनील जोशी, हरविंदर सिंह और देबाशीष मोहंती की ड्यूटी अब खत्म।

ये सिलेक्टर चुने अशोक मल्होत्रा, जतिन परांजपे और सुलक्षणा नाइक की सीएसी ने। लगभग 600 ने एप्लाई किया था और इनमें से इंटरव्यू के लिए सिर्फ 11 को शार्ट लिस्ट किया गया। ये जरूर है कि बीसीसीआई ने संकेत दिया था कि सभी 5 नए सिलेक्टर होंगे- तब भी चेतन शर्मा को चुना और चीफ भी बना दिया। मजे की बात ये है कि उनकी पिछली कमेटी पर अपना काम सही तरह न कर पाने के साफ-साफ आरोप लगे थे। इतना ही नहीं, इनके समय में भारतीय क्रिकेट किन्हीं बड़ी ऊंचाइयों तक नहीं पहुंची। वैसे जिस तरह से उन्हें नए साल के पहले दिन के रिव्यू में उन्हें शामिल किया गया था, उससे ये संकेत आ चुका था कि वे अभी भी बीसीसीआई की स्कीम में हैं। पिछली कमेटी से सिर्फ उन्हें इनाम मिला और बाकी सब बाहर कर दिए गए। 57 साल के चेतन शर्मा दिसंबर 2020 में पहली बार नेशनल सिलेक्टर बने थे। सीएसी की तरफ से कहा गया कि इंटरव्यू के लिए वे सबसे अच्छी तरह तैयार थे और भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाई पर ले जाने की स्कीम भी थी उनके पास। दास भारतीय महिला टीम की बल्लेबाजी और एनसीए कोच भी रहे। बनर्जी- एनसीए और इंडिया ए गेंदबाजी कोच भी हैं। इसलिए कह सकते हैं कि सभी खेल से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं और दावा है कि ऐसे लोगों को चुना है जो अपने मन की बात कह सकते हैं।

सब जानते हैं कि टी20 वर्ल्ड कप से भारत के शर्मनाक तरीके से बाहर होने के कुछ दिनों बाद,बीसीसीआई ने चेतन शर्मा की पिछली सेलेक्शन कमेटी को बर्खास्त किया था https://allaboutcric.com/news/hindi/appointment-of-selection-committee/। ऐसे में, अब जो यू-टर्न बीसीसीआई ने लिया वह हैरान करने वाला है। तो क्या ये मान लें कि चेतन शर्मा के पिछले दो साल के कार्यकाल के दौरान लगातार दो वर्ल्ड कप हार और जो बातें सामने आती रहीं वे सब ‘संतोषजनक’ है। जिन आरोप पर तीन सेलेक्टर बाहर- उन पर, उनके चीफ को इनाम दे दिया। सीएसी ने ऐसा क्यों किया- ये कभी पता नहीं चलेगा क्योंकि प्रक्रिया कभी भी पारदर्शी नहीं रही है और सब जानते हैं कि फैसला तो पहले ही हो जाता है- इंटरव्यू तो महज दिखावा है। क्या ये कहना गलत होगा कि बोर्ड में ‘सरकार ‘ बदल गई तो नई सेलेक्शन कमेटी बननी ही थी- उसके लिए  पूरा ड्रामा हुआ।

नई सेलेक्शन कमेटी की सबसे बड़ी चुनौती वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप और वनडे वर्ल्ड कप हैं। इसे, इन में टीम के प्रदर्शन के आधार पर आंका जाएगा। एक बात और- तीन घरेलू टी 20 खेलने वाले दास को छोड़कर, और किसी सेलेक्टर के पास टी 20 खेलने का अनुभव नहीं है- आईपीएल नहीं गिन रहे। तब भी इन 5 से आधुनिक क्रिकेट की मांगों को पूरा करने के लिए खिलाड़ियों को जज करने और चुनने की उम्मीद कर रहे हैं। हर बात में पाकिस्तान क्रिकेट की आलोचना तो यहां खूब करते हैं पर अच्छी बात के लिए तारीफ़ भी होनी चाहिए- पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने सेलेक्शन कमेटी की परंपरा को ‘बॉय-बॉय’ किया और शाहिद अफरीदी को चीफ सेलेक्टर बना दिया क्योंकि वे आज की टी20 क्रिकेट की जरूरतों को जानते हैं। बीसीसीआई ऐसा क्यों नहीं कर सकता है?

पिछले अनुभव ने ये बता दिया है कि जब खिलाड़ियों को चुनने और एक हाई-प्रोफाइल टीम के मैनेजमेंट की बात आए तो प्रतिष्ठित और बड़े कद के क्रिकेटर से फर्क की ज्यादा उम्मीद कर सकते हैं। क्या ये 48 टेस्ट और 95 वनडे के अनुभव वाला पैनल राहुल द्रविड़ या रोहित शर्मा से सवाल कर सकता है? इसकी उम्मीद न करें।

यह कोई रहस्य नहीं है कि क्यों बड़े खिलाड़ियों ने एप्लाई नहीं किया? वे बोर्ड के ‘बड़े’ पदाधिकारियों की सनक और इच्छाओं के सामने झुकना नहीं चाहते थे। एक आईपीएल फ्रेंचाइजी के पास कॉन्ट्रैक्ट, कमेंट्री या कोचिंग असाइनमेंट निश्चित रूप से बेहतर है। इसके अतिरिक्त, फीस सिर्फ 1 करोड़ रुपये सालाना तो कौन सा बड़ा खिलाड़ी आएगा- वे कमेंटरी, आईपीएल कोचिंग और अन्य कॉन्ट्रैक्ट से इस से 5 से 7 गुना ज्यादा कमाते हैं।

कनफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट भी इसमें मुसीबत है- आईपीएल कोच और कमेंटेटर, सेलेक्टर बन नहीं सकते। इसे बदलना होगा तभी बेहतर नाम सामने आएंगे। कमेटी में अनुभवी पेशेवर की जरूरत है, न कि बीसीसीआई के हाथों की कठपुतली। जब तक ऐसा नहीं होता, भारतीय क्रिकेट को नुकसान होता रहेगा। हमें आधुनिक समय के खेल के हिसाब से सेलेक्टर की जरूरत है, अन्यथा टेलेंट बेकार होती रहेगी।

चरनपाल सिंह सोबती 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *