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डब्ल्यूपीएल 2023 का आयोजन हो गया और मुंबई इंडियंस ने दिल्ली कैपिटल्स को फाइनल में हराकर टाइटल जीत लिया। फाइनल को दो बेहतरीन कप्तान मेग लैनिंग और हरमनप्रीत कौर के बीच मुकाबले का भी नाम मिला था- पिछले तीन साल में, टाइटल के लिए लैनिंग-हरमनप्रीत मुकाबला दो बार (2020 में टी20 विश्व कप में और 2022 में कॉमनवेल्थ गेम्स) देख चुके थे और लैनिंग की, ऑस्ट्रेलिया टीम कामयाब रही थी। अब हरमनप्रीत ने स्कोर को कुछ सम्मान दिलाया- भले ही फ्रैंचाइज़ी लीग में पर ये सच है कि लैनिंग की कप्तानी इस डब्ल्यूपीएल का बहुत बड़ा आकर्षण थी। कैसे कप्तान, खुद मिसाल बन कर, टीम का खेल बदल सकता है।

खचाखच भरे ब्रेबॉर्न स्टेडियम में ‘मुंबई, मुंबई’ का नारा वास्तव में, भारत में महिला क्रिकेट का एक ऐतिहासिक मुकाम था- मैच की टिकट नहीं मिल रहीं और स्टेडियम खचाखच भरा। इसे देखकर जरूर उन महेंद्र कुमार शर्मा की आत्मा को शांति मिली होगी जो लखनऊ की सड़कों पर रिक्शे से, लाउडस्पीकर पर आवाज लगाते थे- कन्याओं की क्रिकेट है, जरूर देखने आइए। अब इसकी कोई जरूरत नहीं।

डब्ल्यूपीएल ने बीसीसीआई को बता दिया कि इस गलतफहमी में न रहें कि महिला क्रिकेट मैचों में किसी की रूचि नहीं और इस से पैसा नहीं आता। बड़े-बड़े कॉन्ट्रैक्ट, स्पांसर का पर्स खोलना और सभी मैच मुंबई में होने के बावजूद दर्शकों के बीच पूरे टूर्नामेंट का चर्चा में रहना- भारत में महिला क्रिकेट के सफर में एक ख़ास पेज है।

भारत की युवा क्रिकेटर को ये देखने और सीखने का मौका मिला कि टॉप स्तर पर कैसे खेलते हैं? मुंबई इंडियंस की साइवर-ब्रंट ने एलिमिनेटर और फाइनल दोनों में दिखाया कि अपनी इनिंग्स पर कंट्रोल से जीत कैसे हासिल कर सकते हैं- जरूरत थी तो बाउंड्री शॉट में कोई दिक्कत नहीं थी। फाइनल में, स्टेडियम में, सचिन तेंदुलकर, रोहित शर्मा, जसप्रीत बुमराह और मुंबई इंडियंस पुरुष टीम के और कई खिलाड़ियों की मौजूदगी, उसी ग्रुप की महिला टीम के लिए प्रेरणा बनी और हरमनप्रीत की टीम ने उन्हें निराश नहीं किया! हरमनप्रीत और अन्य कई क्रिकेटर, डब्ल्यूपीएल की वकालत करते हुए पहले से कह रही थीं कि घरेलू क्रिकेटरों को अगले कुछ सालों में डब्ल्यूपीएल का फायदा मिलेगा।

दिल्ली कैपिटल्स की राधा यादव को कोई ‘बिग मैच प्लेयर’ नहीं कहता था पर फाइनल में पारी की आखिरी 2 गेंदों पर लगातार 2 छक्के और राधा यादव-शिखा पांडे का 10वें विकेट के लिए 24 गेंद में 52 रन जोड़ना- ऐसा टेम्परामेंट इस डब्ल्यूपीएल का एक सबक है। वूमन बिग बैश लीग से पहले भी ऑस्ट्रेलिया एक टॉप टीम था पर डब्ल्यूबीबीएल ने जो किया वह सामने है- आज लैनिंग की टीम की लगातार कामयाबी को स्टीव वॉ की टीम से भी बेहतर बताने की चर्चा होती है। यही काम डब्ल्यूपीएल भारत में करे तो कोई हैरानी नहीं होगी। टीवी और मोबाइल पर इन मैचों को देखते हुए, देश की कई युवा लड़कियों ने भी जरूर क्रिकेट बैट और गेंद हाथ में लेने के बारे में सोचा होगा।

कई नई और अभी भारत के लिए न खेली लड़कियों का नाम इसी डब्ल्यूपीएल की बदौलत चर्चा में आया। 2-3 साल में, इनमें से कई इंटरनेशनल क्रिकेट में स्टार होंगी। ऑस्ट्रेलिया की तरह, भारतीय टेलेंट भी सबके सामने आई है। अमनजोत कौर, यूपी वॉरियर्स की खब्बू तेज गेंदबाज अंजलि सरवानी, ऑफ स्पिनर-ऑलराउंडर, 20 साल की श्रेयंका पाटिल , मुंबई इंडियंस की सायका इशाक, 20 साल की अनकैप्ड कनिका आहूजा, यूपी की पार्शवी चोपड़ा, मुंबई की 21 साल की सिमरन शेख (यूपी वारियर्स) ऐसे ही कुछ नाम हैं- डब्ल्यूपीएल के दौरान मिली चर्चा उन्हें जरूर टीम इंडिया के सेलेक्टर्स के रडार पर ले आई।

जिन्होंने भले ही कोई मैच नहीं खेला, उनके लिए मेग लैनिंग या हरमन और स्मृति के साथ एक ड्रेसिंग रूम शेयर करना और क्रिकेट पर उनके नजरिए को सुनना, उनके लिए, आंख खोलने वाला रहा है। डब्ल्यूपीएल शुरू करते हुए इरादा ही यही था कि घरेलू क्रिकेटरों को सीखने और चमकने के लिए एक प्लेटफार्म मिलेगा- युवा टेलेंट के लिए लॉन्च पैड और ज्यादा अनुभवी के लिए एक फिनिशिंग स्कूल।

ऐसा नहीं कि डब्ल्यूपीएल के आयोजन में कोई कमी नहीं रही पर पहला सीजन एक मजबूत नींव का पत्थर रहा। क्रिकेटरों ने साबित किया कि वे भी बिग हिटर हैं- चौके-छक्के बढ़ाने के लिए बाउंड्री छोटी करने की कोई जरूरत नहीं। डब्ल्यूपीएल के स्वरुप में बदलाव की जरूरत है- जिस मुंबई इंडियंस ने पहले 5 मैच लगातार जीते और आखिर में टाइटल- वे ऐसा एलिमिनेटर खेलने पर मजबूर हुए जिसमें हार डब्ल्यूपीएल से बाहर कर देती। पूरी डब्ल्यूपीएल को एक चैंपियन की तरह खेलने का कोई फायदा नहीं होता।

बहरहाल एक अच्छा शो जिस पर बीसीसीआई की तारीफ़ की जरूरत है। इसने विश्व स्तर पर किसी भी महिला इवेंट में सबसे ज्यादा दर्शक की गिनती का रिकॉर्ड बनाया- औसतन हर दर्शक ने, एक मैच को 50 मिनट से ज्यादा देखा और 10 मिलियन से ज्यादा ने फाइनल के लिए लॉग इन किया। ये रिकॉर्ड है। वह भी उस प्लेटफार्म पर (जियो सिनेमा) जो खुद नए हैं। एक फ्रेंचाइजी, जिनके पास आईपीएल टीम भी है, ने कहा- पैसा आईपीएल से कमा लेंगे, डब्लूपीएल को अभी समय चाहिए और सभी से सहयोग।

इस सब के बावजूद बीसीसीआई ने ये क्या किया- फाइनल खत्म होने के कुछ घंटे बाद डब्ल्यूपीएल हर चर्चा से गायब, टूर्नामेंट पर कोई मीडिया कवरेज नहीं। 5 फ्रेंचाइजी में से जिन तीन की आईपीएल टीमे भी है- उनका अपना इकोसिस्टम, कंटेंट प्लेटफॉर्म, वेबसाइट, पॉडकास्ट, यूट्यूब चैनल आदि हैं और वे अपनी टीम की स्टोरी खुद बताते रहे पर इन्हें देखने वालों की गिनती कितनी थी? दो नई फ्रेंचाइजी को ख़ास तौर पर कवरेज की जरूरत थी। सीज़न के मजेदार किस्से और कहानियां बाहर आने की जरूरत है। आईपीएल की लोकप्रियता को उसके किस्सों ने ही बढ़ाया। क्या आप नहीं जानना चाहते कि दूसरे देशों की महिला क्रिकेटर को भारत कैसा लगा, मजेदार अनुभव- ये सब बाहर आने की जरूरत है। ये बीसीसीआई की जिम्मेदारी है। फिर भी डब्ल्यूपीएल एक शानदार कदम था और डब्ल्यूपीएल के थीम सॉन्ग में बिल्कुल ठीक कहा गया- ये तो बस शुरुआत है!

  • चरनपाल सिंह सोबती

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