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इंग्लैंड – भारत टेस्ट सीरीज शुरू होने में ज्यादा दिन नहीं बचे। इस साल में दूसरी बार जो रूट और विराट कोहली आमने सामने हैं कप्तानी के मुकाबले में। इस बार पिच बदल रही है- अब मुकाबला इंग्लैंड में है। सीरीज को अगर इन दोनों दिग्गज बल्लेबाज़ के बीच कप्तानी के मुकाबले का नाम दिया जा रहा है तो कुछ गलत नहीं- दोनों एक दूसरे से तो मुकाबला कर ही रहे हैं, खुद से भी- ख़ास तौर पर रुट। इस इंग्लिश सीजन में दूसरी बार कोहली की आक्रामक कप्तानी का मुकाबला ठहराव वाली कप्तानी से है – WTC फाइनल में विलियमसन थे और अब रुट। दोनों टॉप कप्तान और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से भी। ये टकराव है मुंह में पानी लाने वाला।

  • विराट कोहली : 61 टेस्ट, 36 जीत,15 हार, 59.01 प्रतिशत जीत।
  • जो रुट : 52 टेस्ट, 26 जीत,19 हार, 50 प्रतिशत जीत।

दोनों के लिए समानता और भी हैं :

  • दोनों की टीम अलग-अलग चुनौतियों का सामना कर रही हैं और यही कप्तानी का इम्तहान है।
  • कोहली : WTC फाइनल की हार ने ‘कप्तान बदलो’ की मुहिम को हवा दी- वह भी तब जबकि इंग्लैंड आने से पहले लगातार तीन टेस्ट जीते थे उनकी कप्तानी में इन्हीं जो रुट की टीम के विरुद्ध।
  • जो रुट : डबल सेंचुरी बनाकर चेन्नई के पहले टेस्ट को जीत कर जो तारीफ पाई, अगले तीनों टेस्ट में हार से हवा हो गई। रुट को उम्मीद थी कि इंग्लिश सीजन में सब ठीक कर देंगे पर ऐसा अभी तक तो नहीं हुआ है- सीजन की पहली टेस्ट सीरीज में न्यूजीलैंड ने 2 टेस्ट में 1-0 से हरा दिया। अगर भारत के विरुद्ध भी नतीज़ा उम्मीद जैसा न रहा तो इंग्लैंड इसी साल की एशेज के लिए चिंता में पड़ जाएगा।
  • दोनों के लिए फायदे की बात – सही मायने में विराट कोहली और जो रुट का कोई ऐसा ‘बड़े कद’ का विकल्प नहीं जो एकदम कप्तानी संभाल ले।
  • दोनों अंडर 19 क्रिकेट के स्टार जिन्हें तब ही भविष्य के कप्तान के रूप में देखा गया था।
  • अपना टेस्ट सफर लगभग डेढ़ साल के अंदर शुरू किया – जून 2011 में कोहली और दिसंबर 2012 में रूट। तब से दोनों अपनी टीम की बल्लेबाजी के ख़ास नाम और उसके बाद बिना दिक्कत कप्तान बने।

फिर भी जैसी कि आदत है – इंग्लैंड के कप्तान को हमेशा सीरीज से पहले बेहतर आंका जाता है और इस बार भी हो रहा है।

  • भारत के विरुद्ध रूट 20 टेस्ट खेले है – इन सभी में विराट कोहली भारत की टीम थे। भारत के विरुद्ध 9 में से 5 टेस्ट जीते हैं- 55.56 प्रतिशत। इस सीरीज में अगर सभी 5 टेस्ट में कप्तान रहे तो इंग्लैंड की तरफ से भारत के विरुद्ध सबसे ज्यादा टेस्ट में कप्तानी के रिकॉर्ड में एलिस्टेयर कुक की बराबरी कर लेंगे। इन 9 टेस्ट में- 40.41 औसत से 2 सेंचुरी के साथ 687 रन।
  • विराट कोहली 23 टेस्ट खेल चुके हैं इंग्लैंड के विरुद्ध। इंग्लैंड के विरुद्ध 14 में से 8 टेस्ट जीते – 57.14 प्रतिशत। सीरीज में दूसरे टेस्ट में इंग्लैंड के विरुद्ध भारत की तरफ से सबसे ज्यादा टेस्ट में कप्तानी के रिकॉर्ड में धोनी से आगे निकल जाएंगे। इन 14 टेस्ट में – 64.55 औसत से 4 सेंचुरी के साथ 1420 रन।

अभी तक विराट कोहली को बदलने चर्चा जरूर हुई पर किसी ने नहीं कहा कि उन्हें खुद कप्तानी छोड़ देनी चाहिए। जो रुट को कहा जा रहा है कि जाने का समय आ गया और अपनी भलाई के लिए ही इंग्लैंड की कप्तानी छोड़ देनी चाहिए। वजह? कप्तानी उनकी फॉर्म खराब कर रही है। कैसे?

  • 50 का एक भी स्कोर नहीं बनाया पिछली 11 टेस्ट पारी में।
  • उनकी टीम अभी न्यूजीलैंड से हारी है- ऐसा सिर्फ तीसरी बार हुआ। दुनिया की टॉप टेस्ट टीम भारत से सीरीज खेलने वाले हैं। उसके बाद ऑस्ट्रेलिया जाना है जो जीतने के लिए सबसे मुश्किल जगह है। उस पर वहां एक कप्तान के तौर पर उनका रिकॉर्ड – कोई जीत नहीं, एक ड्रा और चार हार।
  • इस साल की शुरुआत में हालांकि शानदार फार्म में थे, तब भी, कप्तान के तौर पर बल्लेबाजी की औसत 44.78 है, जो उनके अपने 52.80 के रिकॉर्ड से बहुत नीचे है।
  • पिछले चार इंग्लिश सीजन में रूट ने सिर्फ 32 का औसत दर्ज़ किया- विश्वास कीजिए जिसे दुनिया के सबसे बेहतर बल्लेबाज़ में से एक कहते हैं वह सातवें नंबर पर है- औसत में बेन स्टोक्स (औसत 44), जैक क्रॉली (43), जोस बटलर (40), कुक (37), रोरी बर्न्स (35) और डोम सिबली (35) के बाद।

जिस तरह से फुटबॉल क्लब बिना देरी मैनेजर सस्पेंड करते हैं- इंग्लैंड क्रिकेट में भी यही करता रहा है।1988 का सीजन चार कप्तान के साथ खेले और अगले सीजन को पांचवें कप्तान के साथ शुरू किया। हाल के सालों में एंड्रयू स्ट्रॉस, केविन पीटरसन या एलिस्टेयर कुक में से किसी को भी अच्छे तरीके से नहीं हटाया। रुट भारत के विरुद्ध सीरीज के बाद बच भी गए तो तीसरी बार एशेज हासिल करने में नाकामयाब रहने के बाद उन्हें कौन बचाएगा?

अक्सर कहा जाता है कि इंग्लैंड माइक ब्रेयरली जैसे विशेषज्ञ कप्तान के लिए टीम में जगह नहीं बना सकता- तो क्या रूट को इस रिकॉर्ड पर कप्तान बनाए रख सकते हैं? जो रूट न तो सौरव गांगुली हैं जो लीड करने के लिए पैदा हुए हैं; वह तेंदुलकर जैसे हैं जो रन बनाने के लिए पैदा हुए। 30 साल की उम्र में रुट को वही करना चाहिए जो वह सबसे अच्छी तरह से करते हैं यानि कि रन बनाना।

अब सवाल वही आ जाता है कि रुट नहीं तो कौन? जोस बटलर, बेन स्टोक्स, रोरी बर्न्स (कप्तानी का सबसे ज्यादा अनुभव) और स्टुअर्ट ब्रॉड दावेदार हैं।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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