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पाकिस्तान की महिला क्रिकेट टीम इन दिनों वेस्टइंडीज में है। सीरीज शुरू होने से पहले PCB ने क्रिकेटरों के लिए 2021-22 की सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट जारी की- क्रिकेटरों की गिनती 9 से बढ़ाकर 12 कर दी। इसके अतिरिक्त 8 खिलाड़ियों को एमर्जिंग केटेगरी में रखा है। ग्रेड ए में सिर्फ बिस्माह मरूफ और जावेरिया खान हैं। ग्रेड बी में निदा दर, आलिया रियाज और डायना बेग हैं। अगर आपने भी ये खबर पढ़ी तो जरूर नोट किया होगा कि बोर्ड ने ये नहीं बताया कि सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट किस रकम का है। ज्यादातर देशों की सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट में ऐसा ही है। कोई नहीं जानता किसे कितना पैसा मिलेगा? इतना तय है ये रकम पुरुष क्रिकेटरों के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट की रकम से कम होगी।

इसी तरह BCCI ने महिला क्रिकेटरों को इंग्लैंड जाने से पहले सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट दिए। पिछले सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट 30 सितंबर, 2020 को खत्म हो गए थे और नई लिस्ट बनाने में महीनों लग गए – वैसे ये 1 अक्टूबर 2020 से शुरू ही माने जाएंगे। अब नोट कीजिए :

  • पुरुष क्रिकेटरों को ग्रेड A+ में 7 करोड़ रूपए – महिला क्रिकेट में कोई ग्रेड A+ नहीं।
  • पुरुष क्रिकेटरों को ग्रेड A में 5 करोड़ रूपए – महिला क्रिकेट में इस ग्रेड का कॉन्ट्रैक्ट 50 लाख रूपए का। ,
  • पुरुष क्रिकेटरों को ग्रेड B में 3 करोड़ रूपए – महिला क्रिकेट में इस ग्रेड का कॉन्ट्रैक्ट 30 लाख रूपए का।
  • पुरुष क्रिकेटरों को ग्रेड C में 1 करोड़ रुपए जबकि महिला क्रिकेट में इस ग्रेड में 10 लाख रूपए।

ग्रेड A में स्मृति मंधाना, हरमनप्रीत कौर और पूनम यादव हैं जबकि मिताली राज ग्रेड B में हैं झूलन गोस्वामी, दीप्ति शर्मा, पूनम राउत, राजेश्वरी गायकवाड़, शफाली वर्मा, राधा यादव, शिखा पांडे, तानिया भाटिया और जेमिमा रोड्रिग्स के साथ। ग्रेड C में मानसी जोशी, अरुंधति रेड्डी, पूजा वस्त्राकर, हरलीन देओल, प्रिया पुनिया और ऋचा घोष हैं।

ये सब जानते हैं कि खेलों की दुनिया में, आम तौर पर महिला कॉन्ट्रैक्ट/ मैच फीस पुरुषों की तुलना में कम है। इस बार उम्मीद थी कि BCCI बदलते समय को पहचानकर फर्क कम करेगा पर इस नज़रिए में हाल फिलहाल कोई बदलाव नहीं है। ऐसा क्यों :

  • ग्रेड C पुरुष खिलाड़ी को 1 करोड़ रुपए और टॉप महिला क्रिकेटर को इससे आधी रकम?
  • अगर पैमाना BCCI की कमाई, तो वह दोनों के लिए बराबर है।
  • अगर ये देखें कि पुरुष टीम BCCI के लिए कितना पैसा लाती है और तुलना में महिला टीम कितना तो फर्क के लिए BCCI भी जिम्मेदार है, न कि ये महिला क्रिकेटर।
  • महिला क्रिकेट की बेहतर मार्केटिंग BCCI को करनी है- उनकी कामर्शियल और ब्रैंड वैल्यू बढ़ाने की जिम्मेदारी भी BCCI की।
  • जानकार कहते हैं कि महिला टीम ट्रॉफी नहीं जीतती- पुरुष टीम ने हाल में कितने ICC खिताब जीते?

अगर महिला क्रिकेटर ज्यादा क्रिकेट नहीं खेलीं तो उनके टूर/ सीरीज BCCI द्वारा रद्द किए जाते रहे हैं। पिछले साल मार्च में टी 20 वर्ल्ड कप फाइनल के बाद नवंबर 2020 में शारजाह में चार मैचों की टी 20 चैलेंजर सीरीज, दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध दो लिमिटेड ओवर सीरीज और अब इंग्लैंड में।

इसमें कोई शक नहीं कि BCCI के नज़रिए में बदलाव आ रहा है पर उतना नहीं जितना जरूरी है। 1970 और 1980 के सालों तक हालत ये थी कि टूर के लिए क्रिकेटर पैसा अपनी जेब से देती थीं। आज बेहतर यात्रा इंतज़ाम, ठहरने के लिए मुफ्त में मिलने वाली जगह नहीं, बढ़िया होटल। यहां तक कि इंग्लैंड जाने से पहले मुंबई में क्वारंटीन के लिए क्रिकेटरों को चार्टर्ड फ्लाइट से मुंबई लाए। फिर भी BCCI ने फीस नहीं बदली।

सच ये है कि पिछले 4 -5 साल में महिला क्रिकेट की लोकप्रियता में आश्चर्यजनक बदलाव आया है पर फर्क कम होना तो दूर, बढ़ गया है। इसके उलट ऑस्ट्रेलिया में एलिस पेरी, मेग लैनिंग, एलिसा हीली और अन्य ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटरों को पुरुषों के बराबर पैसा दिया जाता है। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया का 5 लाख डॉलर का सालाना बजट है महिला क्रिकेटरों के लिए।

खेल एक तो फीस अलग अलग क्यों ? सबसे कम कॉन्ट्रैक्ट फीस पाने वाले पुरुष क्रिकेटर को सबसे महंगी महिला क्रिकेटर से दो गुना कॉन्ट्रैक्ट फीस क्यों? बेहतर मार्केटिंग की जरूरत है। टी 20 महिला वर्ल्ड कप, जिसमें भारत फाइनल में पहुंचा – अब तक का दूसरा सबसे ज्यादा देखा जाने वाला ICC आयोजन रहा। सिर्फ 2019 वर्ल्ड कप इससे आगे और सभी अंडर -19 वर्ल्ड कप इससे पीछे। BCCI भाव नहीं देता अन्यथा सच तो ये है कि आईपीएल में महिला टी 20 चैलेंज मैचों ने भीड़ और स्पांसर दोनों जुटाए। तब भी सच्चाई ये है कि BCCI अपने कमर्शियल कॉन्ट्रैक्ट बेचते हुए सिर्फ सिर्फ पुरुष क्रिकेटरों की शर्ट की स्पॉन्सरशिप बेचता है, सिर्फ पुरुष क्रिकेट के ब्रॉडकास्ट अधिकार बेचते हैं – महिला क्रिकेट, घरेलू क्रिकेट और अंडर -19 इंटरनेशनल क्रिकेट साथ में पैकेज में मुफ्त ही मिल जाते हैं। BCCI महिला क्रिकेट के अधिकार अलग से बेचने की पहल तो करे। तभी तो रास्ता खुलेगा।

-चरनपाल सिंह सोबती

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