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अटकलें सही निकलीं और इंग्लैंड के लिमिटेड ओवर क्रिकेट के कप्तान इयोन मोर्गन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया- लगभग सात साल से ज्यादा की ड्यूटी पर रहे। उनकी कप्तानी में इंग्लैंड ने कई रिकॉर्ड बनाए पर तीन सबसे बड़े वन डे टीम स्कोर का ख़ास जिक्र होगा- 498, 481 और 444 विरुद्ध क्रमशः नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया एवं पाकिस्तान। अभी पिछले दिनों नीदरलैंड में वन डे के विश्व रिकॉर्ड को 498-4 तक पहुंचा दिया था। गड़बड़ ये हुई कि जब टीम ने इस 3 मैच की सीरीज में गजब की क्रिकेट खेली तो वे खुद पहले दो मैचों में 0 पर आउट हुए और ग्रोइन की तकलीफ के चलते तीसरे में खेले नहीं।
घरेलू क्रिकेट में पिछले कई महीने से वे सही फार्म की तलाश में थे और रिकॉर्ड देखें तो पिछले डेढ़ साल में, इंटरनेशनल और घरेलू टी 20 तथा वन डे में 48 पारियों में सिर्फ एक 50।सफेद गेंद क्रिकेट में अपनी पिछली 28 अंतरराष्ट्रीय पारियों में से सिर्फ दो 50 बनाए। उनकी गैर-मौजूदगी में कप्तान की ड्यूटी निभाने वाले जोस बटलर और मोईन अली ने उनके बचाव में बयान दिए- कहा मोर्गन के अभी भी कप्तान बने रहने से बेहतर इंग्लैंड के लिए और कुछ नहीं हो सकता पर उन्हें अहसास हो गया था कि उम्र (35 साल) साथ नहीं दे रही और इस फार्म पर किसी युवा खिलाड़ी का रास्ता रोकना सही नहीं होगा।
इस साल के आखिर में ऑस्ट्रेलिया में टी 20 विश्व कप और 2023 में भारत में 50 ओवर खिताब का बचाव- इन्हीं को ध्यान में रखते हुए नए कप्तान को टीम तैयार करने का पूरा समय देना चाहते थे। टीम पहले और दिखा दिया कि कितने निःस्वार्थ से खेलते हैं। इंग्लैंड के नए कप्तान जोस बटलर के लिए पहली चुनौती सामने है- भारत के विरुद्ध तीन टी 20 और तीन वन डे मैच 7 जुलाई से एजेस बाउल में शुरू हैं। दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध इसके बाद 6 मैच खेलने हैं। 
2019 में लॉर्ड्स में जब इंग्लैंड को जीत मिली तो इसमें उनके संयम और सोच का पूरा योगदान था। क्रिकेट खेले अपने अंदाज में और अपनी शर्तों पर। उन्हें इस बात की तसल्ली है कि कप्तान के तौर पर इंग्लैंड को एक बिखरी-टूटी टीम से चैंपियन टीम के स्तर तक पहुंचाया। 2015 विश्व कप में इंग्लैंड की निराशाजनक क्रिकेट से टीम को 2019 विश्व कप में अपने पहले 50 ओवर टाइटल और वन डे एवं टी 20 में नंबर 1 रैंकिंग दिलाई। टीम के खेलने के तरीके को बदल दिया- दब कर नहीं, तेज तर्रार क्रिकेट खेलने का जोश दिया। इस तरीके और सोच को, इंग्लिश क्रिकेट के लिए, उनके सबसे बड़े योगदान के तौर पर याद रखा जाएगा। 2010 में टी 20 में जब इंग्लैंड ने अपना पहला  खिताब जीता तो वे टीम में थे और 2016 में फाइनल में खेली टीम के कप्तान थे। उनके नाम इंग्लिश रिकॉर्ड हैं- सबसे ज्यादा वन डे (225) और टी 20 (115) और इन दोनों तरह की क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन। और देखिए : 
*  2015 तक, इंग्लैंड में किसी ने दो वनडे विश्व कप में कप्तानी नहीं की थी-  इयोन मॉर्गन ऐसा करने वाले पहले कप्तान। 2015 में इंग्लैंड ने अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया लेकिन  2019 में पहली ट्रॉफी।
*  दो विश्व कप जीतने वाले इंग्लैंड के एकमात्र खिलाड़ी।
*  खुद वन डे पारी में विश्व रिकॉर्ड बनाया- 17 छक्के।
*  इंग्लैंड को वन डे में 76 जीत दिलाई- एलिस्टेयर कुक से 7 ज्यादा।  *  2015 विश्व कप से बाहर होने तक, इंग्लैंड ने वन डे में सिर्फ एक बार 350 को पार किया था- पिछले सात सालों में 20 बार। इसी तरह 342 वन डे में से 157 जीते थे (46 प्रतिशत) पर एडिलेड की हार के बाद से जीत का प्रतिशत 65.2 है।*  टीम की बल्लेबाजी औसत उनकी कप्तानी में 37.82 रही- दिसंबर 2014 तक (जब मॉर्गन कप्तान बने) 43 सालों में वन डे में ये 27.27 थी। पिछले 8 सालों में 97.60 का टीम स्ट्राइक-रेट- दुनिया में सबसे ज्यादा।*  2015 में ग्रुप-स्टेज से बाहर होने से 2019 में ट्रॉफी जीतने तक इंग्लैंड- 101 मैचों में 66 जीते (उस दौरान सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड बराबर)- इसमें 2017 चैंपियंस ट्रॉफी में सेमीफाइनल फिनिश शामिल है।  
ऐसा नहीं कि ये सब अचानक हुआ। मोर्गन, सही फॉर्म और फिटनेस की तलाश में लगातार अपने करियर के बारे में सोच रहे थे- नीदरलैंड के विरुद्ध मैचों ने फैसला लेने में मदद की। इंग्लैंड उन्हें ऐसे कप्तान के तौर पर याद रखेगा जिसने इंग्लैंड की सफेद गेंद क्रिकेट में क्रांति ला दी- 2019 में लॉर्ड्स में 50 ओवर विश्व कप में जीत इसमें सबसे ख़ास। वे हटे पर इंग्लैंड को किसी कप्तानी की मुश्किल में छोड़ कर नहीं- जोस बटलर (2015 से उप-कप्तान और 13 बार कप्तान) तैयार थे ड्यूटी के लिए।    मूलतः आयरलैंड के क्रिकेटर- 2009 में,अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के ज्यादा मौकों की तलाश में, आयरलैंड क्रिकेट के मुकाबले इंग्लिश क्रिकेट को चुना। जब ऑस्ट्रेलिया में 2015 विश्व कप की पूर्व संध्या पर एलिस्टेयर कुक से वन डे टीम की कप्तानी ली तो हालांकि वहां तो इंग्लैंड ने कुछ ख़ास नहीं किया पर पिछले चीफ कोच ट्रेवर बेलिस के साथ मिलकर टीम के खेलने का तरीका बदलने में देर नहीं लगाई। इंग्लिश क्रिकेट में कई बार ये जिक्र हुआ कि अगर इतने ही अच्छे खिलाड़ी-कप्तान हैं तो टेस्ट क्रिकेट में उनका जिक्र क्यों नहीं होता- 2010 और 2012 के बीच 16 टेस्ट कैप जिसमें दो शतक बनाए।
इस लिहाज से आधुनिक युग के बाद इंग्लैंड के पहले क्रिकेटर- दो पीढ़ी पहले, किसी ऐसे ‘कामयाब’ क्रिकेटर के बारे में सोच भी नहीं सकते थे जो पिछले 7 सालों में एक दर्जन से कम फर्स्ट क्लास मैच खेला हो और सिर्फ 16 टेस्ट। उन्होंने उसे चुना जो उन्हें पसंद था। इसलिए आईपीएल खेले (पांच टीमों के लिए), फ्रेंचाइजी क्रिकेट और वन डे- इसलिए उन्हें पहला सफेद गेंद का शुद्ध क्रिकेटर भी कहते हैं। नए प्रयोग और सोच में सबसे आगे- साइडलाइन से इशारे से मदद लेने वाले पहले अंतरराष्ट्रीय कप्तान थे।  
– चरनपाल सिंह सोबती 

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