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पिछले कुछ दिन की भारतीय क्रिकेट से जुड़ी ख़ास ख़बरें :

विराट कोहली को भारत के वन डे कप्तान के तौर पर हटा दिया।

रोहित शर्मा, जो अब तक सिर्फ जरूरत में ही कप्तान बनाए जाते थे- अब नियमित कप्तान हैं। बोर्ड वाइट बॉल क्रिकेट के लिए एक ही कप्तान की पॉलिसी पर चला।

विराट कोहली अभी भी टेस्ट कप्तान हैं और वाइट बॉल क्रिकेट के लिए खिलाड़ी।

इन तीनों ख़बरों को जो सबसे ख़ास सवाल जोड़ता है उस पर किसी का ध्यान नहीं- क्या रोहित शर्मा की कप्तानी में खेलेंगे विराट कोहली? इस रिपोर्ट में अपनी चर्चा को वन डे इंटरनेशनल क्रिकेट पर ही सीमित करते हैं।

अब तक रोहित शर्मा 227 मैच खेले- इनमें से 10 में कप्तान और इनमें से किसी मैच में विराट कोहली नहीं खेले। इसी तरह रोहित 119 टी 20 इंटरनेशनल खेले और इनमें से 22 में कप्तान- इनमें से किसी भी मैच में विराट कोहली नहीं खेले। एक कप्तान के तौर पर अब तक वाइट बॉल मैचों में रोहित शर्मा को जो भी कामयाबी मिली है- उसकी चर्चा करते हुए ये ध्यान रखा जाना चाहिए कि उनकी कप्तानी में जो टीम इंडिया खेली, उसमें इस दौर के टॉप बल्लेबाज़ विराट कोहली ने एक भी मैच नहीं खेला।

अब रोहित शर्मा का स्टेटस फर्क है- अब वे ‘विराट कोहली की गैरमौजूदगी वाले कप्तान’ नहीं हैं और इस समय के सबसे बेहतर खिलाड़ी उनकी कप्तानी में खेलें- ये उनका हक़ है। सवाल ये है कि जिन हालात में वन डे क्रिकेट के लिए कप्तान को बदला गया- उन्हें देखते हुए ये सवाल चर्चा में आया कि क्या विराट कोहली अब खेलेंगे उनकी कप्तानी में?

एक सही ‘टीम प्लेयर’ के नाते किसी भी खिलाड़ी को सिर्फ अपने बेहतर प्रदर्शन के लिए तैयार रहना चाहिए- कप्तान का नाम ख़ास नहीं। इसकी ढेरों मिसाल हैं :

14 कप्तान : शाहिद अफरीदी और अब्दुल रज़्ज़ाक 14 कप्तान की टीम में खेले।
13 कप्तान : क्रिस गेल, शोएब मलिक, मोहम्मद युसूफ और मार्लन सैमुअल्स।
12 कप्तान : वसीम अकरम और शोएब अख्तर।
11 कप्तान : इयान बॉथम, एजाज अहमद, मुश्ताक अहमद और कुमार संगकारा।
10 कप्तान : ग्राहम गूच, हरभजन सिंह, ब्रायन लारा, ब्रेंडन टेलर, मोहम्मद हफ़ीज़, महेला जयवर्दने, वूसी सिबांडा, मुरलीधरन, यूनिस खान, जेम्स एंडरसन, सलीम मलिक, दिलीप वेंगसरकर ,ततेन्द तेइबू, क्रिस हेरिस, मोइन खान, इंज़माम उल हक, एस चंद्रपॉल और एल थिरीमाने।

रिकॉर्ड को यहीं रोक देते हैं और एक ख़ास नाम पर आते हैं- ‘ग्रेट’ सचिन तेंदुलकर 9 कप्तान (1. श्रीकांत 2. अजहरुद्दीन 3. गांगुली 4. सहवाग 5. गंभीर 6. जडेजा 7. द्रविड़ 8. कुंबले 9. धोनी) की टीम में खेल चुके हैं। भारत से और देखिए- कपिल देव 8, सौरव गांगुली 6 और सुनील गावस्कर 5 कप्तान की टीम में खेले।

अगर ये सभी अपने अपने दौर के दिग्गज, किसी भी कप्तान की टीम में खेलने के लिए तैयार रहे तो विराट कोहली के रोहित शर्मा की कप्तानी में खेलने को मुद्दा क्यों बनाएं? कप्तान बनने के बाद रोहित शर्मा ने क्या कहा- ‘वाइट बॉल वाले क्रिकेट में पिछले कुछ महीनों में भारतीय टीम के नेतृत्व में महत्वपूर्ण बदलाव के बावजूद, विराट कोहली की बल्लेबाज के रूप में मौजूदगी अभी भी टीम के लिए बड़ी ख़ास होगी। कोहली जैसे बेमिसाल बल्लेबाज की हमेशा टीम में जरूरत होती है। टी 20 और वन डे में 50+ औसत कोई मजाक नहीं है।’

विराट कोहली का करियर अब तक बड़े अलग तरह का रहा है। अपने करियर में वे जब सुरेश रैना (9 मैच) और वीरेंद्र सहवाग तथा गौतम गंभीर (6 -6 मैच) की कप्तानी में खेले तो एक क्रिकेटर के तौर पर उनका कद आज जैसा बड़ा नहीं था। असल में धोनी और उनकी अपनी कप्तानी का दौर इतना लंबा रहा कि ‘धोनी और मैं ‘ की आदत हो गई- 138 मैच धोनी की कप्तानी में खेले तो 95 में खुद कप्तान रहे। इसीलिए अब और किसी की कप्तानी में खेलना उनके लिए एक ‘बड़ा’ सवाल बन रहा है।

क्रिकेट इतिहास अगर ऐसी मिसाल से भरा है कि जब क्रिकेटर ये चुनते रहे कि किस की कप्तानी में खेलना है तो ऊपर दिए नाम से ये भी स्पष्ट है कि कौन कप्तान है- इस पर ध्यान दिए बिना क्रिकेटर ने टीम के लिए ड्यूटी को महत्त्व दिया। किसी अन्य दूसरे कप्तान के नेतृत्व में खेलते हुए सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड अरविंद डि सिल्वा का है- अर्जुन राणातुंगा की टीम के लिए 6562 रन बनाए तो तेंदुलकर ने अज़हरुद्दीन की टीम के लिए 6270 रन बनाए। खुद कोहली ने धोनी की टीम के लिए 5703 रन बनाए 138 मैच में और इनमें 19 सेंचुरी थीं। एक बड़े खिलाड़ी की पहचान है कि वह पहले ‘टीम मैन’ है- विराट कोहली को इसी लिस्ट में अपना नाम जोड़ना चाहिए।

सचिन तेंदुलकर अगर अन्य दूसरों की कप्तानी में खेले तो क्या इसने उन्हें कम क्रिकेटर बना दिया? उसकी सबसे बड़ी ताकत थी- विनम्रता। यही एक सबक है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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