fbpx

तो आखिरकार आईसीसी ट्रॉफी न जीतने का सूखा खत्म किया रोहित शर्मा की टीम इंडिया ने और बैट और गेंद दोनों के साथ प्रभावशाली प्रदर्शन से दक्षिण अफ्रीका को फाइनल में मात दी। भारत का तीसरा टी20 वर्ल्ड कप फाइनल और 2007 के पहले टूर्नामेंट के बाद से पहली जीत मिली। आईपीएल के ग्लोबल टी20 क्रिकेट पर सालों से कब्जे के बावजूद, टी 20 में भी कोई बड़ा टाइटल न जीत पाना हैरानी की बात थी। आखिर में जीत का गौरव कप्तान रोहित शर्मा की टीम के हिस्से में आया। 2011 के बाद से किसी भी फॉर्मेट में भारत ने पहला वर्ल्ड कप टाइटल जीता।

फाइनल में रिकॉर्ड में भी भारत फेवरिट था। दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध फाइनल से पहले टी20 में 25 पूरे हुए मैच में भारत 14-11 से आगे था और इनमें से 6 टी20 वर्ल्ड कप मैच में 4 जीत दर्ज की थीं लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने सबसे हालिया मैच जीता था- 2022 में पर्थ में ग्रुप मैच। तब भी फाइनल की तैयारी के नाम भारत बैक फुट पर था- इंग्लैंड के विरुद्ध सेमीफाइनल के फौरन बाद गुयाना से बारबाडोस पहुंचे चार्टर फ्लाइट से और फाइनल के लिए सिर्फ एक दिन मिला। बहरहाल ये साबित किया कि इस वर्ल्ड कप में 100 प्रतिशत रिकॉर्ड गलत नहीं था। 
दक्षिण अफ्रीका को चोकर के मनोवैज्ञानिक लेबल से बाहर नहीं आने दिया। ब्रिजटाउन के केंसिंग्टन ओवल में, इस वर्ल्ड कप में, दक्षिण अफ्रीका का ये पहला मैच था और भारत का दूसरा (पहला : सुपर 8 में अफगानिस्तान के विरुद्ध) और उस पर दक्षिण अफ्रीका पर चोकर का लेबल। जैसे मैच चला- जीत उनके हाथ में थी और 30 गेंद पर 30 रन की जरूरत थी। यहां से वे चोक हुए- 24 गेंद पर सिर्फ 26 रन की जरूरत और हेनरिक क्लासेन टॉप गियर में तब भी भारत ने उन्हें तूफ़ान में उड़ा दिया। 

कैच लपको, मैच जीतो- ये क्रिकेट की बड़ी पुरानी कहावत है। आज भी 1983 फाइनल में कपिल देव ने विव रिचर्ड्स का जो कैच लपका उसे याद किया जाता है। वही यहां हुआ और फाइनल के आखिरी ओवर की पहली गेंद पर, जब दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 16 रन की जरूरत थी- सूर्यकुमार यादव ने आखिरी विशेषज्ञ बल्लेबाज डेविड मिलर के बड़े हिट को बाउंड्री पर लपका। वाइड लॉन्ग ऑफ से भागे, गेंद को हवा में उछाला, बिना छुए रोप को पार किया और रिबाउंड पर लपक लिया। ये शायद किसी भी टी20 वर्ल्ड कप फाइनल का सबसे बेहतरीन कैच रहेगा। 

सबसे बड़ी बात- जीत एक नहीं, कई सुपरस्टार की है। हैरानी थी कि भारत के स्पिनरों की धुनाई हुई (9 ओवर में 106 रन दिए) पर पेसर सुपर स्टार बन गए । अगर बैटिंग में विराट कोहली ने 76 रन के साथ पारी को संभाला तो जसप्रीत बुमराह के 4 ओवर में 2-18 (ये विकेट उन दो गेंद पर थे जिन पर विकेट मिलना ही था), अक्षर पटेल के 47 और 72 रन की पार्टनरशिप, अर्शदीप के 2-20 जिसमें दो पावर प्ले ओवर में सिर्फ 8 रन और एडेन मार्कराम का कीमती विकेट तथा हार्दिक के 3 ओवर में 3-20- इन्हीं से भारत मैच में बना रहा।

रोहित शर्मा की कप्तानी का फैक्टर भूल नहीं सकते। हर कोई इस वर्ल्ड कप के लिए रोहित शर्मा को कप्तान बनाने को सपोर्ट नहीं कर रहा था पर पूरे टूर्नामेंट में रोहित ने हर नाजुक मौके पर मास्टर स्ट्रोक फैसले लिए- फाइनल में भी अपने सबसे बेहतर गेंदबाज बुमराह को बाद के लिए बचाने की जगह तब अटैक पर लगाया जब दक्षिण अफ्रीका वाले मैच छीन रहे थे। वहीं से ब्रेक लगी।

भारत को हाल के महीनों में नॉकआउट में कमज़ोरी दिखाने के दबाव से निकाला- जब स्पिनर पिट रहे थे तो भी मैच छोड़ा नहीं क्योंकि दिमाग में प्लान बी था। टी20 वर्ल्ड कप में एडिलेड में और नवंबर में 50 ओवर में अहमदाबाद में जो हुआ- इस बार नहीं होने दिया। इसके अतिरिक्त, आईपीएल में उठे जिस हार्दिक पांडया फैक्टर के साथ वर्ल्ड कप खेलने गए थे उसे उठने ही नहीं दिया।

राहुल द्रविड़, विराट कोहली और रोहित शर्मा इस जीत के साथ अपने करियर के एक अलग दौर में दाखिल हो रहे हैं- एक ऐसी विरासत के साथ जिसे वे हमेशा याद रखेंगे। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *