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आईसीसी की ऑफिशियल रिलीज में कहा गया- भारत और श्रीलंका के बीच दूसरे टेस्ट के लिए इस्तेमाल की गई एम चिन्नास्वामी स्टेडियम की पिच को मैच रेफरी ने औसत से कम रेटिंग दी है। इससे एक डिमेरिट अंक मिल गया भारत को। अभी इस पेनल्टी को कोई ख़ास तवज्जो नहीं मिली और न ही बीसीसीआई ने कोई आंसू बहाए पर WTC की आखिरी पॉइंट्स गिनती में ये बड़ा भारी पड़ सकता है। बीसीसीआई के पास इतना बड़ा इंफ़्रा-स्ट्रक्चर, पैसे की कमी नहीं और उस पर बेंगलुरु एक पुराना टेस्ट सेंटर- इतना ही नहीं सामने श्रीलंका की वह टीम जो इस वक्त खुद जूझ रही है, तो ऐसी घटिया पिच क्यों बनी? डे-नाइट पिंक बॉल टेस्ट तीन दिनों के भीतर ख़त्म हो गया और भारत ने श्रीलंका को 238 रनों से हराकर दो टेस्ट मैचों की सीरीज 2-0 से जीत ली। पिच ने पहले सैशन से ही तेज टर्न और असमान बाउंस दिखाना शुरू कर दिया था और पहले दिन 16 विकेट गिरे थे। मैच रेफरी जवागल श्रीनाथ ने कहा- ‘पिच ने पहले दिन ही काफी टर्न दिया और हालांकि हर सैशन के साथ इसमें सुधार हुआ, लेकिन यह बैट और गेंद के बीच सही मुकाबला नहीं था।’
संयोग से श्रीनाथ न सिर्फ बेंगलुरु के हैं- यहीं खेले और इस स्टेडियम की पिच को उनसे बेहतर कौन जानता है? डिमेरिट पॉइंट पांच साल एक्टिव रहते हैं और खराब पिचों या आउटफील्ड के लिए 5 ऐसे पॉइंट का मतलब है- 12 महीने के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट की मेजबानी से सस्पेंड। भारत ने अपना अकाउंट खोल लिया है।  

अपनी पिचों पर, पिच की मदद से जीतने की चाह में भारत में क्या किया जा रहा है- ये आंखें खोलने वाला है। 2017 में श्रीलंका के विरुद्ध कोलकाता टेस्ट से, भारत ने अपनी पिचों पर 19 टेस्ट खेले- 1 हार और 3 ड्रा लेकिन जो बात हैरान करने वाली है वह ये कि इस अवधि में जो 15 टेस्ट जीते उनमें से सिर्फ एक 5वें दिन तक चला। 5वें दिन जो टेस्ट मैच जीता वह 2019 में विजाग में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध था। भारत में टेस्ट जीतना भूल जाओ- भारत तो टेस्ट भी 5 दिन नहीं चलने देता। श्रीलंका के विरुद्ध इस साल के दोनों टेस्ट 3 -3 दिन ही चले।  ब्रॉडकास्टर या सीजन टिकट खरीदने वाले के नुक्सान को तो भूल जाओ- क्रिकेट की ही दुर्दशा हो रही है। इनमें से कई जीत पारी के अंतर से मिलीं। एक ड्रा तो ऐसा था कि वह भी जीत में बदलते-बदलते रह गया- टेस्ट ख़त्म होने पर न्यूजीलैंड 9 विकेट खो चुका था।
ख़ास तौर पर डे-नाइट टेस्ट की बात करें तो ये टेस्ट क्रिकेट के लिए भी अच्छा नहीं कि ज्यादातर मैच तीन दिनों के भीतर खत्म हो रहे हैं। नए जमाने के दर्शकों को लुभाने के लिए एक रीपैकेजिंग के तौर पर डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट को शुरू किया था- बदले में उन्हें दिया क्या जा रहा है? 
अक्टूबर 2019 में बोर्ड अध्यक्ष बनने के बाद, सौरव गांगुली ने कहा था कि वह डे-नाइट टेस्ट मैचों के बहुत बड़े समर्थक हैं- ‘डे-नाइट टेस्ट दर्शकों को स्टेडियम में वापस लाने का समाधान है।’ भारत ने अपना पहला गुलाबी गेंद वाला टेस्ट बांग्लादेश के विरुद्ध इसके एक महीने बाद ही ईडन गार्डन्स में खेला। दुनिया में डे-नाइट टेस्ट में दर्शक इतने नहीं बढ़े- जितनी उनकी अवधि में  गिरावट देखी गई है।

गुलाबी गेंद के दो टेस्ट भारत में तीन दिनों में खत्म हुए- एक दो दिन में ख़त्म। ये ठीक है कि अब तक हर डे- नाइट टेस्ट का नतीजा निकला है, लेकिन 19 डे-नाइट टेस्ट में से सिर्फ 6 में 5 वें दिन खेल हुआ- 2 दो दिन में, 7 तीन दिन में और 4 चार दिन में ख़त्म हुए। वैसे भी हाल के सालों में चार दिनों के भीतर ख़त्म होने वाले टेस्ट की गिनती बढ़ी है। दिसंबर 2020 में एडिलेड में-  भारत 36 रन पर आउट। फरवरी 2020-21 में अहमदाबाद में इंग्लैंड के विरुद्ध- अक्षर पटेल के 11 विकेट। इसका मतलब यह नहीं है कि डे-नाइट टेस्ट में सिर्फ गेंदबाजों का दबदबा रहा है। अजहर अली ने तिहरा शतक बनाया- अक्टूबर 2016 में दुबई में। एलिस्टेयर कुक ने एक साल बाद एजबेस्टन में 243 रन बनाए।
टेस्ट क्रिकेट खेलने का तरीका टी 20 से प्रभावित हो रहा है- एक दिन के खेल में अब 300 या इससे ज्यादा रन आम बात है। WTC ने पूरा ध्यान पॉइंट्स पर केंद्रित कर दिया है और नतीजा ये कि मेजबान बोर्ड अपनी जरूरतों के हिसाब से विकेट तैयार करने पर ध्यान दे रहे हैं। पहले ही अंदाजा था कि श्रीलंका के विरुद्ध गुलाबी गेंद के टेस्ट को बैंगलोर में किसी अच्छी पिच पर नहीं खेल रहे। उससे एक साल पहले, अहमदाबाद में दो दिनों के भीतर 30 विकेट गिरे थे- भारत ने इंग्लैंड को 10 विकेट से हराया।
ये सब देखते हुए ही तो टेस्ट क्रिकेट को घटाकर चार दिन करने का प्रस्ताव था पर अनिल कुंबले की आईसीसी  क्रिकेट कमेटी ने इसे चर्चा लायक भी नहीं समझा।“टेस्ट देखने के लिए भीड़ जुटाने के लिए,अच्छे विकेटों की जरूरत है। बहुत अधिक घास या बहुत सूखी पिच टेस्ट को ख़त्म कर देगी। पहले दिन से ही टर्निंग विकेट मैच देखने का मजा खराब कर देते हैं- स्विंग गेंदबाजों को भी तो कुछ फायदा मिले। वे सिर्फ विदेश में ही क्यों सफल हों?  
ब्रॉडकास्टर्स, विज्ञापनदाताओं और स्पांसर के बारे में भी सोचिए जो टेस्ट जल्दी ख़त्म होने पर कमाई का करोड़ों में नुक्सान उठा रहे हैं। कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध पहले टेस्ट मैच की पिच ने रनों का पहाड़ खड़ा कर दिया और गेंदबाजों को निराशा हाथ लगी। दूसरा टेस्ट भी ज्यादा बेहतर नहीं था लेकिन पहली पारी में पाकिस्तान की बल्लेबाजी फेल होने से मैच रोमांचक हो गया और  लगभग 400 रन की बड़ी बढ़त के बावजूद ऑस्ट्रेलिया ने फॉलोऑन नहीं दिया।  
श्रीनाथ की रिपोर्ट पर एक डिमेरिट पॉइंट वास्तव में भारत में टेस्ट क्रिकेट खेलने के तरीके को चेतावनी है। संयोग से, टेस्ट में दोनों टीमों द्वारा बनाए 872 रन भारत में खेले सभी 4 पिंक-बॉल टेस्ट में सबसे ज्यादा हैं। गड़बड़ ये कि टेस्ट के पहले सैशन से टर्निंग स्क्वायर कतई मंजूर नहीं। श्रीनाथ की इस रिपोर्ट की एक बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया- उन्होंने लिखा कि आउटफील्ड बहुत बेहतर थी। बदनाम हो रही है कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन जबकि सच ये है कि उनके क्यूरेटर, श्रीराम कस्तूरीरंगन और प्रशांत ने सिर्फ आउटफील्ड तैयार की- पिच को ईस्ट जोन के बीसीसीआई के चीफ क्यूरेटर आशीष भौमिक ने तैयार किया। तो बीसीसीआई की बेंगलुरु, चेन्नई, मुंबई और कोलकाता जैसे प्रमुख क्रिकेट सेंटर में क्यूरेटर भेजने की पॉलिसी ने तो वास्तव में नुक्सान कर दिया है। इससे स्थानीय क्यूरेटर की प्रतिष्ठा बिना वजह खराब होती है। कौन सोचेगा ये सब?

  • चरनपाल सिंह सोबती

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