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एक खबर जिसने क्रिकेट की दुनिया को एक बहस में उलझा दिया है- दक्षिण अफ्रीका के टेस्ट खिलाड़ी कगिसो रबाडा, मार्को जेनसन, एडेन मार्कराम, रासी वैन डेर डूसन और लुंगी एनगिडी दक्षिण अफ्रीका के लिए टेस्ट न खेलकर- उन दिनों में आईपीएल में खेलेंगे। ऐसा नहीं कि ये किसी बगावत या झगड़े का नतीजा है- क्रिकेट साउथ अफ्रीका ने बिना बहस उनकी जगह टेस्ट टीम में दूसरे खिलाड़ी चुन लिए हैं और इन्हें आईपीएल में खेलने की इजाजत दी। रबाडा (पंजाब किंग्स), मार्को जेनसेन (सनराइजर्स हैदराबाद), लुंगी एनगिडी (दिल्ली कैपिटल्स) और एनरिक नॉर्टजे तो समझ लीजिए दक्षिण अफ्रीका का सीम अटैक हैं। इनमें से सिर्फ नॉर्टजे की फिटनेस पर शक है- उन्हें दिल्ली कैपिटल्स ने रिटेन किया था जबकि एडेन मार्कराम को सनराइजर्स और वैन डेर डूसन को राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलना है।

आईपीएल में ‘कंट्री बनाम क्लब’ कोई नया मसला नहीं- आईपीएल पर लगभग हर सीजन में, इंटरनेशनल क्रिकेट से खिलाड़ी छीनने या इंटरनेशनल क्रिकेट पर असर डालने का आरोप लगता आ रहा है। इस बार फर्क ये है कि एक टीम एक साथ कई खिलाड़ी गंवा रही है और वह भी चुपचाप। क्रिकेट साउथ अफ्रीका का साउथ अफ्रीकन क्रिकेटर्स एसोसिएशन (एसएसीए) के साथ जो मौजूदा समझौता है- उसकी एक शर्त का नतीजा है ये और इसमें लिखा है कि वे अपने स्टार खिलाड़ियों को लीग में खेलने से नहीं रोकेंगे।

पॉलिसी का मूल मंत्र है कि अगर आईपीएल में खेलने का मौका मिल रहा है तो बोर्ड खिलाड़ियों का नुक्सान नहीं करेगा। आईपीएल 26 मार्च से शुरू है और प्रोटियाज को क्रमशः 31 मार्च से डरबन और 8 अप्रैल से पोर्ट एलिजाबेथ में दो टेस्ट में बांग्लादेश से खेलना है। मजे की बात ये कि ये शर्त सिर्फ आईपीएल पर लागू है- और किसी लीग के लिए नहीं।

कप्तान डीन एल्गर ने व्यक्तिगत तौर पर माना कि खिलाड़ियों ने उन्हें मुश्किल में डाल दिया है और अपनी तरफ से खिलाड़ियों को कहा- अपने देश के लिए खेलने को प्राथमिकता दें। इसका कोई फायदा नहीं हुआ। डीन ने कहा- ‘खिलाड़ियों की वफादारी कहां है? उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि टेस्ट क्रिकेट या वन डे क्रिकेट ने उन्हें आईपीएल में जगह दिलाई, न कि इसका उलट सही है। मैं बड़ी तस्वीर देख रहा हूं- जितना संभव हो उतने टेस्ट खेल रहा हूं। हम पहले से ही बहुत कम टेस्ट क्रिकेट खेल रहे हैं। जब टीम को बाहर जाने के लिए कहा जाता है तो हमारे पास हमारे सबसे बेहतर खिलाड़ी न हों, तो कैसे खेलेंगे?’

खिलाड़ी किसी भी तरह से आईपीएल जैसे बड़े मौके को छोड़ना नहीं चाहते पर ये भी सभी मानते हैं कि देश के लिए खेलना इससे भी बड़ा है। तब भी खिलाड़ियों ने मिल कर फैसला लिया- एक बार तो ये भी सोच लिया था कि कुछ पहले टेस्ट में खेलते हैं और भारत देरी से जाएंगे। 2008 से पहले तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना सम्मान की बात थी और आज हर बात पैसे पर आ टिकती है। क्रिकेट की नई इकोनॉमिक्स का नाम- आईपीएलोनॉमिक्स है।

इस चर्चा में दक्षिण अफ्रीका बहुत अच्छा मॉडल है। वहां जिन क्रिकेटर के पास सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट है वे आमतौर पर 1.1 मिलियन रेंड और 3 मिलियन रेंड (75,000 और 200,000 डॉलर) हर साल कमाते हैं। उनकी गिनती वहां सबसे अमीर 2% में होती है। इस समय एक यूएस डॉलर लगभग 15 रैंड के बराबर है- इसलिए जब टूर्नामेंट में देर से पहुंचें तो सीधे बड़ा नुक्सान।आईपीएल में एक मौजूदा दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी इस सीजन में जितना कमाएगा- उतने तो उसे अपने बोर्ड के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से 10 साल में भी नहीं मिलेंगे। इस बात की भी क्या गारंटी कि 10 साल तक सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट मिलेगा ही !

रिकॉर्ड सामने है- प्रोफेशनल खेल करियर छोटा और बिना भरोसे वाला होता है। एक चोट सब कुछ बदल सकती है। इस इकोनॉमिक्स को खिलाड़ी सोचता है तो इसका मतलब ये नहीं कि खिलाड़ी देशद्रोही है। अगर खिलाड़ी आईपीएल में जाने का विकल्प चुनते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे देश के बारे में कम सोचते हैं या वे कम देशभक्त हैं। इस बात का एक पहलू और है- यदि खिलाड़ी आईपीएल में जाते हैं तो भी वे देशभक्त हैं- उनके खेलने से उनके बोर्ड को भी पैसा मिलता है।

वन डे सीरीज ख़त्म होने पर 26 मार्च की आईपीएल के लिए खिलाड़ी भारत की फ्लाइट पकड़ लेंगे- इस तरह वन डे सीरीज पूरी खेलेंगे और आईपीएल में शुरू से उपलब्ध होंगे। दूसरी तरफ डीन एल्गर की टीम टेस्ट, अपने नंबर 1 तेज गेंदबाजी आक्रमण के बिना खेलेगी क्योंकि कगिसो रबाडा, मार्को जेनसेन और लुंगी एनगिडी में से कोई नहीं होगा। पूर्व भारतीय क्रिकेटर आकाश चोपड़ा ने आलोचनाओं के बीच खिलाड़ियों और आईपीएल का बचाव किया- वे इसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बाजार के काम करने का नया तरीका मानते हैं। ठीक है इससे सवाल उपजा है- क्या क्लब, देश से बड़ा है? सवाल ये नहीं होना चाहिए कि क्या आईपीएल अन्य बोर्ड को डरा रहा है? विदेशी खिलाड़ियों के बोर्ड को खिलाड़ी के कॉन्ट्रैक्ट से कट पर तसल्ली करने की आदत डालनी होगी? कुछ तो है तभी तो विदेशी बोर्ड अपने खिलाड़ी को आईपीएल के लिए एनओसी देते हैं।

उनके इन 6 खिलाड़ियों के अलावा, क्विंटन डी कॉक (अब टेस्ट क्रिकेट से रिटायर), डेविड मिलर और ड्वेन प्रिटोरियस के पास भी आकर्षक आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट हैं। आईपीएल को इस बात पर आलोचना के साथ चर्चा में लेने वालों की गिनती कम नहीं पर सच ये है कि क्रिकेट देश अपने खिलाड़ियों के लिए जो खुद नहीं कर पाए- वह काम आईपीएल कर रही है। बीसीसीआई अगर अपने खिलाड़ियों को अन्य दूसरे देश की लीग में खेलने के लिए इजाजत नहीं देते तो- आईपीएल की बदौलत उन्हें इसकी कमी भी महसूस नहीं होने देते।

क्रिकेटर आखिरकार पेशेवर हैं। वे किस टीम के लिए खेलते हैं और किस टीम के कोच हैं- यह मायने रखता है। कौन सी भाषा बोलते हैं- इस समय जो सबसे ज्यादा मायने रखता और सबसे जोर से बोलता है- वह है पैसा।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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