झारखंड ने इस सीजन के रणजी ट्रॉफी क्वार्टरफाइनल में जगह बना ली- नागालैंड के विरुद्ध नॉक-आउट प्री क्वार्टरफाइनल में जीत के साथ। क्वार्टरफाइनल लगभग तीन महीने बाद हैं- तब भी अपने बल्लेबाजों को बैटिंग प्रैक्टिस देने की ऐसी चाह कि मैच में 1297 रन ठोक दिए। सही मायने में, मैच तो उस वक्त ही खत्म हो गया था जब झारखंड को पहले बल्लेबाजी के बाद 591 रन की भारी बढ़त मिली। उसके बाद स्पष्ट जीत की कोशिश के लिए खेलते तब तो बात समझ में आती पर वे तो बैटिंग प्रैक्टिस में ऐसे लगे कि दूसरी पारी में 132/2 के स्कोर से पांचवें और आख़िरी दिन, 723 रन से आगे होने के बावजूद खेलते रहे और बढ़त को 1000 के पार पहुंचा कर ही चैन लिया- रिकॉर्ड रहा 1008 रन।
वे तो शायद तब भी न रुकते पर जैसे ही उनकी पहली पारी में दोहरा शतक लगाने वाले कुमार कुशाग्र 89 (104 गेंद, 9×4, 3×6) पर आउट हुए और मैच की दोनों पारी में शतक का मौका उनके हाथ से निकल गया तो झारखंड ने पारी 417/6 पर रोक दी। कुछ ख़ास रिकॉर्ड :
* झारखंड की 1008 की कुल बढ़त- फर्स्ट क्लास क्रिकेट के इतिहास में सबसे बड़ी।
* मैच में झारखंड के बल्लेबाजों ने तीन शतक और एक दोहरा शतक बनाए। प्लेट ग्रुप के टॉपर्स नागालैंड ने मैच में 294 ओवर से ज्यादा गेंदबाजी की (झारखंड पहली पारी में 880 रन- 203.4 ओवर और दूसरी पारी में 90.3 ओवर में 417/6)। आखिरी बार जब किसी टीम ने एक फर्स्ट क्लास पारी में इससे ज्यादा रन बनाए- 2006 में क्वींसलैंड ने पुरा कप में विक्टोरिया के विरुद्ध 900/6। रणजी ट्रॉफी में सिर्फ तीन बार एक पारी में इससे ज्यादा रन बने हैं। रणजी ट्रॉफी में मुंबई का रिकॉर्ड तोड़ दिया (1990-91 में हैदराबाद के विरुद्ध 855/6)। अब रणजी ट्रॉफी में सबसे बड़े स्कोर :
944/6 – हैदराबाद बनाम आंध्र, 1993-94
912/6 – तमिलनाडु बनाम गोवा, 1988-89
912/8 – मध्य प्रदेश बनाम कर्नाटक, 1945-46
880/10 – झारखंड बनाम नागालैंड, 2021-22
नंबर 11 राहुल शर्मा (झारखंड) ने 85 में 6 छक्के लगाए। नंबर 11 बल्लेबाज के फर्स्ट क्लास पारी में इससे ज्यादा छक्के- 2018 में अफगानिस्तान से 7 छक्के के दो रिकॉर्ड हैं- नवाज खान (मिस ऐनक) और निजत मसूद (बैंड-ए-आमिर)। 5 अन्य बल्लेबाज ने 6 छक्के लगाए हैं। * पहले बल्लेबाजी करते हुए, पहली पारी में 591 की बढ़त- रणजी के नॉकआउट मैच में मौजूदा टीम के संदर्भ में नया रिकॉर्ड। 722: होल्कर (912-8) बनाम मैसूर (190)- होल्कर टीम अब नहीं है.और 628: तमिलनाडु (134) बनाम कर्नाटक (762)- कर्नाटक ने दूसरी पारी खेली।
* टीम ने ऐसे बड़े स्कोर बनाए और उनके सुशांत मिश्रा दोनों पारी में 0 पर आउट हुए- ऐसा मैच जिसमें ये रिकॉर्ड बना, उसमें सबसे बड़े स्कोर (1297) का नया रिकॉर्ड (पिछला रिकॉर्ड : 1078 रन- दानिश कनेरिया, पकिस्तान-भारत, फैसलाबाद, 2006)।
झारखंड के कप्तान सौरभ तिवारी बहरहाल अपनी टीम की स्ट्रेटजी को सही मानते हैं- टीम अपने युवा बल्लेबाजों को प्रैक्टिस का मौका देना चाहती थी और इसीलिए कुछ बल्लेबाज का बल्लेबाजी का नंबर भी बदल दिया। झारखंड टीम अब सात एलीट ग्रुप टॉपर्स- बंगाल, मुंबई, कर्नाटक, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ क्वार्टर फाइनल में खेलेगी।
इस एकतरफा प्री-क्वार्टर फ़ाइनल ने इस बहस को फिर से शुरू कर दिया है कि क्या नार्थ-ईस्ट की टीमों (2018 में 6 ने डेब्यू किया) को मुख्य रणजी ट्रॉफी में खेलने का मौका देना सही था? स्कोरबोर्ड किसी को भी गुमराह कर सकता है पर ये भी सही है कि अगर कैच लपके गए होते तो शायद झारखंड की टीम 880 तो क्या 350 भी न बना पाती- पहली पारी में पांच और दूसरी पारी में चार आसान कैच गिराए।
आम तौर पर कोई भी झारखंड के मैच में 1297 रन बनाने और अपनी पहली को समाप्त न घोषित करने को सही नहीं मान रहा। उस पर दूसरी पारी को भी खींचते रहना? ‘क्या वे नागालैंड टीम से डरे हुए थे’- उनके कोच कंवलजीत सिंह ने ईडन गार्डन्स में मैच के बाद अगर ये सवाल पूछा तो वे गलत नहीं थे। जवाब में सौरभ तिवारी ने कहा- ‘हमारे पास ज्यादा युवा खिलाड़ी हैं। मैं अकेला हूं जिसने 80-90 फर्स्ट क्लास मैच खेले। अन्य सभी ने 10-20 मैच ही खेले हैं। इसलिए हम जितने ज्यादा रन बनाते हैं, उतना ही हमारे बल्लेबाजों को विश्वास मिलता है ताकि आने वाले समय में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।’ फॉलो-ऑन न देने पर वे कहते हैं कि कुछ गेंदबाजों की उंगलियों में चोट थी और अपने खिलाड़ियों को आगे की चोट से बचाना था।
इस सारी बहस ने कुमार कुशाग्र के दोहरे शतक की तारीफ भी कम कर दी। कुशाग्र 2020 अंडर 19 वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा थे और यहां 269 गेंदों पर 266 रन (37×4, 2×6) बनाए- तीसरे मैच में उनका पहला फर्स्ट क्लास शतक। कुशाग्र के कुछ ख़ास रिकॉर्ड :
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 250 या इससे ज्यादा रन बनाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज- रिकॉर्ड बनाया 17 साल 141 दिन की उम्र में (जावेद मियांदाद : 1975 में 17 साल और 311 दिन , कराची व्हाइट्स-नेशनल बैंक ऑफ पाकिस्तान और ईशान किशन 2016 में 18 साल 111 दिन,झारखंड-दिल्ली)। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में झारखंड के लिए दूसरा सबसे बड़ा स्कोर (रिकॉर्ड : ईशान किशन- 2016 में दिल्ली के विरुद्ध 273 रन)।* रीतिंदर सिंह सोढ़ी (1997/98,17 साल 55 दिन)और अंबाती रायुडू (2002/03,17 साल 141दिन) के बाद तीसरे सबसे कम उम्र के रणजी ट्रॉफी डबल सेंचुरी बनाने वाले। कुशाग्र का नाम पहली बार 2019 में वीनू मांकड़ ट्रॉफी में चर्चा में आया था- 7 मैचों में सबसे ज्यादा 535 रन बनाए। उनके पिता का उनकी क्रिकेट में बड़ा ख़ास और कुछ अलग तरह का योगदान है- पिता शशिकांत ने अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए अपने घर में क्रिकेट की लाइब्रेरी बनाई जिसमें ब्रैडमैन से लेकर स्टीव वॉ तक की किताबें शामिल थीं। उन्हें पढ़ा। दूसरे खिलाड़ियों को नेट्स पर देखा कि वे कैसे खेलते हैं? इस सब जानकारी को मिलाकर कुशाग्र को प्रैक्टिस कराई। वे जीएसटी डिवीजन में डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर हैं।
क्या झारखंड-नागालैंड मैच को मिसाल बनाकर फिर से रणजी अंक प्रणाली पर नए सिरे से चर्चा नहीं करनी चाहिए? अब समय आ गया कि बोर्ड इस बारे में सोचे और इंग्लैंड की काउंटी चैंपियनशिप इसमें बहुत मददगार साबित हो सकती है। अब ऐसी फिजूल की लंबी पारी खेलने का समय नहीं रहा।
- चरनपाल सिंह सोबती