एक टेस्ट डेब्यू जिसका हर कोई बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है !
16 जून से भारत की महिला टीम को इंग्लैंड के विरुद्ध ब्रिस्टल में टेस्ट खेलना है। लगभग 7 साल में भारत का पहला टेस्ट। इसलिए ये सवाल तो महत्वपूर्ण है ही कि मिताली राज की टीम कैसा खेलेगी ? इससे भी ज्यादा इस सवाल की चर्चा हो रही है कि टेस्ट डेब्यू पर शफाली वर्मा कैसा खेलेगी? हालांकि अभी टेस्ट इलेवन तय नहीं हुई पर ये लगभग तय ही मान लिया है कि शफाली डेब्यू करेगी। सिर्फ भारत में ही नहीं, भारत से बाहर भी हर कोई यह देखने के लिए बेताब है कि जिस शफाली पर अब तक टी 20 के स्पेशलिस्ट का लेबल लगाकर उसे बांधे रखा – अब मौका मिलने पर वह कैसा खेलती है ? अगर सब ठीक रहा तो शफाली इस टूर में वन डे इंटरनेशनल में भी डेब्यू भी करेगी।
क्या वजह है इसकी ? जवाब मुश्किल नहीं। शफाली ने अपना पहला टी 20 इंटरनेशनल 24 सितंबर 2019 को खेला दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध सूरत में। दो साल भी नहीं हुए और रिकॉर्ड 22 मैच में 617 रन 148.31 स्ट्राइक रेट से है – तीन स्कोर 50 वाले बनाए। ऐसा क्या है इस रिकॉर्ड में जिसने उन्हें टी 20 इंटरनेशनल क्रिकेट की ICC रेंकिंग में नंबर 1 बल्लेबाज बना दिया ? देखिए :
- कम से कम 500 रन बनाने वालों में उनसे बेहतर स्ट्राइक रेट किसी का नहीं (नंबर 2 : सीएल ट्राअन, दक्षिण अफ्रीका,139.67)।
- भारत की क्रिकेटरों में दूसरे नंबर पर कहीं ज्यादा अनुभवी स्मृति मंधाना हैं 120.67 के स्ट्राइक रेट के साथ।
- इस साल 21 मार्च को दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध लखनऊ में 26 गेंद में 50 का स्कोर बनाया।
- अपने पहले 22 मैच में उनसे ज्यादा रन सिर्फ इंग्लैंड की शार्लोट एडवर्ड्स (676) ने बनाए।
- शफाली अभी 18 साल की भी नहीं। 18 साल की उम्र से पहले सिर्फ दो क्रिकेटर ने 500 रन बनाए और उनमें टॉप पर शफाली है (दूसरी : नामीबिया की अदरी वेन डर मेर्व 506 रन – हालाँकि 25 मैच खेले)। अभी तो 18 साल की उम्र तक शफाली को कुछ और भी मैच खेलने का मौका मिलेगा।
- 22 मैच में 73 चौके और 29 छक्के – यानि कि बॉउंड्री शॉट से 466 रन और ये उनके कुल रन का 75.53 प्रतिशत हिस्सा बनता है – कम से कम 500 रन बनाने वाली क्रिकेटर में से और किसी का भी ऐसा हिस्सा 70 प्रतिशत भी नहीं।
- इंटरनेशनल क्रिकेट में आने के बाद से किसी भी अन्य महिला क्रिकेटर की तुलना में टी 20I में सबसे ज्यादा छक्के लगाए, भारत को अपने पहले T20 वर्ल्ड कप फाइनल में पहुँचने में मदद की और दो बार महिला टी 20 बल्लेबाजी रैंकिंग में टॉप पर रही।
ऐसे रिकॉर्ड ने ही उन्हें डेब्यू से पहले टाइटल भी दिला दिया – वे टेस्ट क्रिकेट की ‘वीरेंद्र सहवाग’ होंगी – कम से कम 5000 रन बनाने वालों में सहवाग 82.23 स्ट्राइक रेट से टॉप पर हैं। न सहवाग बंधकर खेले और न शफाली बंधकर खेलना जानती हैं। ऐसी बेधड़क और जांबाज़ क्रिकेट ही तो आज हर कोई देखना चाहता है।
ऐसा नहीं है कि ये नहीं जानती कि टेस्ट क्रिकेट में कामयाब होने के लिए इस धूम – धड़ाक स्टाइल वाली क्रिकेट के अतिरिक्त, सही तकनीक की भी जरूरत है – वे इसकी तैयारी के साथ ही इंग्लैंड आईं। शायद इसीलिए टेस्ट में उनके पसंदीदा खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया के स्टीवन स्मिथ हैं, कोई हिटर नहीं। क्या है उनकी नज़र में ये ख़ास तैयारी ?
- खेलने और छोड़ने के लिए सही गेंद को चुनना।
- लंबी पारी खेलने की आदत डालना।
इन्हें सीखने के लिए वे कोच की ट्रेनिंग के साथ, टीम की क्रिकेटरों से भी इनपुट ले रही हैं। वे भारत के लिए नियमित तीनों तरह की क्रिकेट खेलना चाहती हैं। भारत की महिला टीम के पिछले चीफ कोच डब्ल्यूवी रमन ने तो उन्हें पहले ही टेस्ट में ‘गेम चेंजर’ बता दिया था – ऐसी बल्लेबाज़ जो टेस्ट क्रिकेट में भी दूसरी टीम के गेंदबाजों का मनोबल गिरा सकती है। रमन ने कहा – ‘अगर कोई बल्लेबाज पहले 45 मिनट से एक घंटे तक दूसरी टीम के गेंदबाजों का मनोबल गिरा दे तो मैं उसे हर तरह की क्रिकेट खेलते देखना चाहूंगा – टेस्ट भी।’ अपनी बात के समर्थन में वे पृथ्वी शॉ का नाम लेते हैं। वन डे क्रिकेट में भी भारतीय टीम में एक विस्फोटक फिनिशर की कमी है और बहुत संभव है कि टीम मैनेजमेंट शफाली को वन डे में ओपनिंग में नहीं, नीचे प्रयोग करें।
अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी की बदौलत इस इंग्लिश समर में इंग्लैंड में द हंड्रेड और इस साल के आखिर में ऑस्ट्रेलिया में वूमन बिग बेश में खेलेंगी तो दूसरी तरफ BCCI ने 30 लाख रुपये का सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट, प्रमोशन के साथ दिया।
लॉकडाउन के दौरान अपनी फिटनेस पर मेहनत की। फील्डिंग को सुधारा। बाउंसर खेलने की प्रैक्टिस की – एक स्पेल में कम से कम 150 बाउंसर। इस साल की शुरुआत में जब हरियाणा की पुरुष टीम का सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी की तैयारी के लिए कैंप लगा तो हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन ने शफाली को भी वहां खेलने का मौका दिया। शफाली बताती हैं – ‘मेरा बैक-फुट गेम कुछ कमजोर था, लेकिन रणजी गेंदबाजों, जो लगभग 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फ़ेंक रहे थे, उनके सामने मेरी तकनीक और आत्मविश्वास दोनों बेहतर हुए। हर्षल पटेल, मोहित शर्मा और राहुल तेवतिया जैसे क्रिकेटरों के साथ खेलना और उनसे क्रिकेट के बारे में बात करना बड़ा अच्छा रहा।’
पांच फुट से थोड़ी अधिक लंबाई पर हिम्मत इससे कहीं ज्यादा ऊंची – यही है शफाली वर्मा। उनके पिता जब अपनी दुकान पर जाने के लिए घर से बाहर निकलते हैं तो लोग उन्हें रोक कर कहते हैं – ‘आपकी बेटी ने लड़कियों वाली क्रिकेट देखने पर मजबूर कर दिया है।’ जो शफाली अभी तक एक भी मल्टी – डे मैच नहीं खेली – उसे सीधे टेस्ट खेलना है। उसे भरोसा है वह जरूर अच्छा खेलेगी।
- चरनपाल सिंह सोबती