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इंग्लिश समर 2021 के लिए स्काई स्पोर्ट्स ने 2018 वाला प्रयोग जारी रखा है – रिटायर हो चुके क्रिकेटरों के साथ साथ एक ऐसे कमेंटेटर को भारत से बुलाना, जो अभी क्रिकेट से ज्यादा दूर नहीं। तब हरभजन सिंह को बुलाया था। हरभजन को बुलाने वाला प्रयोग कैसा रहा – ये एक अलग किस्सा है। मौजूदा बात ये है कि इस बार दिनेश कार्तिक को बुलाया है। वे न सिर्फ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल की कमेंट्री टीम का हिस्सा होंगे – इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज में भी यही ड्यूटी देंगे। अभी तक माना जाता था कि रिटायर होने के बाद क्रिकेटर के लिए जो काम बचते हैं – उनमें से एक है कि कमेंटेटर बन जाओ। अब ये विकल्प पहले ही सामने आने लगा है – रिटायर होने से पहले ही कमेंटेटर बन जाओ।

यहां बात उन क्रिकेटरों की नहीं हो रही जो भले ही औपचारिक तौर पर रिटायर नहीं , पर जानते हैं कि इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी के दिन लद गए। दिनेश कार्तिक का नाम इस लिस्ट में भी नहीं है – वे तो आज भी अपने आपको टीम इंडिया में खेलने का उतना ही जोरदार दावेदार मानते हैं, जित्तना कोई और खिलाड़ी। इसका सबूत ये है कि वे तो पूरी उम्मीद लगा रहे थे कि जुलाई में श्रीलंका में सफ़ेद गेंद वाली क्रिकेट की सीरीज के लिए चुन लिया जाएगा। वे इसके लिए अपनी कमेंटेटर ड्यूटी छोड़कर लौटने के लिए भी तैयार थे। और तो और वे तो आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप में भी खेलने की उम्मीद कर रहे है – ‘ मुझे विश्वास है कि मैं मिडिल आर्डर में इस टीम में योगदान दे सकता हूं।’ टी 20 में रिकॉर्ड 32 मैचों में 143.52 के स्ट्राइक रेट से 399 रन है। ये बहरहाल सच है कि अपनी क्रिकेट पर उनके विश्वास की तारीफ करनी होगी – उन्होंने भारत की टीम में वापसी की उम्मीद नहीं छोड़ी है।

स्काई ने उन्हें कमेंटेटर क्यों बनाया ? उनका जवाब है – ‘ मैं इस मामले में थोड़ा भाग्यशाली रहा। मुझे लगता है कि मैं टेक्नीक और स्ट्रेटजी दोनों पर बात कर सकता हूँ। मैं दोनों टीमों के क्रिकेटरों के साथ खेला हूँ – वे कैसे सोचते हैं और उनके दिमाग में क्या होगा – इसी पर बात करूंगा।’

दिग्गज कमेंटेटर सुनील गावस्कर उनके साथ हैं। गावस्कर ने दिनेश कार्तिक को एक नई इनिंग्स की शुरुआत के लिए बधाई दी और ये भी याद रखा कि जब वे भारतीय क्रिकेट टीम के सलाहकार थे तब दिनेश कार्तिक ने टेस्ट क्रिकेट खेलना शुरू किया था ! जी हाँ, दिनेश कार्तिक इतने पुराने क्रिकेटर हैं। सितंबर 2004 में ओडीआई खेलना शुरू किया और नवंबर 2004 में टेस्ट क्रिकेट जबकि टी 20 टीम में दिसंबर 2006 में आए। इस नाते ये शिकायत नहीं कर सकते कि उन्हें सही समय पर मौका नहीं दिया गया – उस मौके का उन्होंने खुद कितना फायदा उठाया ये अलग बात है। देखिए :

  • उनके ओडीआई में आने के बाद से भारत ने अब तक 422 मैच खेले हैं – वे सिर्फ 94 खेले।
  • उनके टेस्ट क्रिकेट में आने के बाद से भारत ने अब तक 173 टेस्ट खेले हैं – वे सिर्फ 26 खेले।
  • उनके टी 20 इंटरनेशनल क्रिकेट में आने के बाद से भारत ने अब तक 142 मैच खेले हैं – वे सिर्फ 32 खेले।
  • इन तीनों तरह की क्रिकेट में कई बार टीम से निकाले गए, लौटे … फिर निकाले गए और ये सिलसिला चलते चलते आखिर में सेलेक्टर्स ने भविष्य की ओर देखना शुरू कर दिया। दिनेश कार्तिक ने तब भी उम्मीद नहीं छोड़ी है।

ये ठीक है कि विकेटकीपर दिनेश कार्तिक का 2004 में माइकल वॉन को स्टंप करना या बल्लेबाज दिनेश कार्तिक का 8 गेंद पर 29 रन बनाकर अपनी टीम को बांग्लादेश के विरुद्ध 2018 में निधास ट्रॉफी टाइटल दिलाना जैसे यादगार क्षण उनके नाम के साथ जुड़े हैं पर क्या यही एक कामयाब करियर की पहचान है ? दिलचस्प बात यह है कि उनका करियर वास्तव में कभी आगे नहीं बढ़ सका। 2004 में उन्हें मौका मिला और तब तक एमएस धोनी नहीं आए थे। धोनी आए , अपनी पूरी पारी खेले और चले गए – बीच बीच में दूसरे नाम भी आए पर बागडोर ऋषभ पंत ने संभाली।

मौके मिले पर वे सही मायने में उनका फायदा नहीं उठा पाए – मसलन भारत – न्यूजीलैंड 2019 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल। 240 रन के लक्ष्य के सामने भारत का स्कोर 5/3 हो गया। मैनेजमेंट ने एमएस धोनी के बजाय कार्तिक को पिच पर भेज दिया। ये मौका था अपने आपको साबित करने का पर वे सस्ते में आउट हो गए।इसके बाद से कार्तिक को किसी भी फॉर्मेट में भारत के लिए नहीं चुना गया है। आईपीएल रिकॉर्ड भी तो उनके साथ नहीं – 2020 और 2021 के अब तक के सीजन में, कार्तिक ने 21 मैच में 292 रन बनाए हैं 18 के औसत और 131 के स्ट्राइक रेट से एक अर्धशतक के साथ।

विश्वास कीजिए दिनेश कार्तिक अपना किट बैग इंग्लैंड साथ ले गए हैं – पता नहीं कब कॉल-अप आ जाए ?अपने ऊपर विश्वास अच्छी बात है पर अगर वे खुद अपने करियर को देखें तो खुद को एक ‘रिप्लेसमेंट क्रिकेटर’ ही पाएंगे।ज्यादातर मौकों पर , किसी न किसी के टीम में न होने होने पर ही कार्तिक को जगह मिली। इसलिए दिनेश कार्तिक के लिए भारतीय टीम में वापसी काफी मुश्किल नजर आती है । सेलेक्टर्स के पास भविष्य के लिए युवा क्रिकेटरों की लिस्ट बड़ी लंबी है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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