जब 26 अप्रैल को कराची में हेले मैथ्यूज की मेहमान वेस्टइंडीज टीम ने पाकिस्तान टूर में (वनडे सीरीज 3-0 से जीतने के बाद) सीरीज का पहला टी20 इंटरनेशनल खेला तो ये पाकिस्तान महिला क्रिकेट में एक नए दौर की शुरुआत का प्रतीक बना। पाकिस्तान ने पहला टी20 इंटरनेशनल अपने आयरलैंड टूर में 25 मई 2009 को खेला और तीसरा मैच 29 मई को। ये बिस्माह मारूफ का टी20 इंटरनेशनल डेब्यू मैच था- वहां से शुरू हुआ बिस्माह का टी20 इंटरनेशनल सफर जो अब 26 अप्रैल वाले मैच से पहले ख़त्म हुआ।
इस सीरीज से पहले तक पाकिस्तान ने जो 159 टी20 इंटरनेशनल खेले थे उनमें से 140 में बिस्माह टीम में थीं। इसीलिए अगर टॉप क्रिकेटर बिस्माह मारूफ के अचानक ही क्रिकेट से रिटायर होने के फैसले के बाद ये कहा गया कि पाकिस्तान में महिला इंटरनेशनल क्रिकेट में एक युग ख़त्म हुआ तो गलत नहीं कहा। जो भूमिका भारत में मिताली राज ने महिला क्रिकेट को आधुनिक दौर तक ले जाने में निभाई- लगभग वैसा ही योगदान बिस्माह का है। इसमें रन की गिनती की तुलना की कोई जरूरत नहीं।
और देखिए- पाकिस्तान के लिए कुल 55 महिलाओं ने टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट खेला है और उन सभी ने बिस्माह के साथ कम से कम 1 टी20 इंटरनेशनल मैच तो जरूर खेला है। ऐसा अद्भुत रिकॉर्ड और किसी का नहीं। बिस्माह जब भी खेलने के लिए उपलब्ध थीं- पाकिस्तान टीम में हमेशा चयन हुआ।
ऐसे वक्त पर जबकि हेले मैथ्यूज की मेहमान वेस्टइंडीज टीम ने वनडे सीरीज के बाद टी20 सीरीज खेलनी थी- बिस्माह ने रिटायर होने का फैसला किया। शायद 3 वनडे में सिर्फ 91 रन बनाना और लंबा क्रिकेट करियर इसकी वजह था। अभी भी टीम में उनकी जगह पर कोई सवाल नहीं था। जून 2016 में टी20 और सितंबर 2017 में वनडे टीम की कप्तान बनी थीं।
करियर के कुछ ख़ास पड़ाव :
- 2010 और 2014 में एशियाई खेलों में दो बार गोल्ड जीतने वाली पाकिस्तान टीम में थीं।
- 4 वनडे वर्ल्ड कप (2009, 2013, 2017 और 2022) में हिस्सा लिया। 2022 में कप्तान थी।
- 8 टी20 वर्ल्ड कप (2009, 2010, 2012, 2014, 2016, 2018, 2020 और 2023) खेले और 2020 तथा 2023 में कप्तान।
खब्बू बल्लेबाज- 2006 में भारत के विरुद्ध वनडे डेब्यू से कुल 276 इंटरनेशनल मैच और ये पाकिस्तान रिकॉर्ड है। कुल रिकॉर्ड- 33 फिफ्टी के साथ 6262 रन बनाए और दाहिने हाथ की लेग-स्पिन से 88 विकेट। इस तरह बिस्माह उस खेल से रिटायर हुईं जो उन्हें सबसे ज्यादा पसंद था और जिसे खेलने के लिए न सिर्फ खुद कई चुनौती का सामना किया- पाकिस्तान में कई युवा लड़कियों के लिए क्रिकेट खेलने का रास्ता बनाया।
उनके क्रिकेट करियर की चर्चा, उनकी बेटी फातिमा के जिक्र के बिना अधूरी है- बच्चे के जन्म और फिर देखभाल के लिए दिसंबर 2020 में क्रिकेट से ब्रेक लिया लेकिन जनवरी 2022 में वनडे वर्ल्ड कप के लिए वापस लौट आईं। ये वापसी आसान नहीं थी क्योंकि अब वह मां थीं- यहां पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने बिस्माह को वह सपोर्ट दी जिसकी कोई उम्मीद भी नहीं कर रहा था। बोर्ड ने पेरेंटल पॉलिसी बना दी और इसमें एक मां के क्रिकेट खेलने में हर तरह का सपोर्ट शामिल था। ये वह सपोर्ट था जिसकी बदौलत खुद बिस्माह तो खेली ही- इस सोच को भी बदलने में मदद की कि शादी और ख़ास तौर पर मां बनने का मतलब है क्रिकेट करियर खत्म।
सब जानते हैं पाकिस्तान में किसी भी लड़की के लिए क्रिकेट खेलने की चाह के रास्ते में आने वाली मुश्किलों के बारे में। जब बिस्माह ने 16 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया तो लड़कियों के लिए कोई अलग ग्राउंड नहीं था, ताने खूब मिलते थे और यहां तक कि कट्टरपंथियों से जान से मारने की धमकी भी मिलीं। बिस्माह अमजद और निदा डार जैसे कुछ लड़कियों ने खुद को ‘लड़के’ जैसा दिखाने के लिए बाल भी छोटे कर लिए। परिवार खेलने से मना करते थे कि इससे शादी में दिक्कत होगी। बिस्माह भाग्यशाली थी कि पिता का सपोर्ट मिला और बिस्माह का खेलना पाकिस्तान में लड़कियों की क्रिकेट के लिए माहौल बदलने वाला साबित हुआ।
आज पाकिस्तान में महिला क्रिकेट की कई स्टोरी हैं और पाकिस्तान सुपर लीग सीज़न 8 के दौरान 3 महिला टी20 मैच का खेलना नए दौर और प्रगति का सबूत है। भारत से भी पहले, महिला क्रिकेट की टी20 लीग के आयोजन की घोषणा की पाकिस्तान ने- ऐसा कर नहीं पाए ये एक अलग बात है। तब भी पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान क्रिकेट में बनी पॉलिसी से बदलाव आ रहा है। इस संदर्भ में पाकिस्तान ने वही आधुनिकता दिखाई जो इंटरनेशनल क्रिकेट के प्लेटफार्म पर अन्य देशों में नजर आ रही थी।
विश्वास कीजिए न्यूजीलैंड में 12वें महिला वनडे वर्ल्ड कप में 8 मां खेलीं- न्यूजीलैंड से सैटरथवेट और ताहुहू, ऑस्ट्रेलिया की मेगन शुट्ट और राचेल हेन्स, लिजेल ली और मसाबाता क्लास (दक्षिण अफ्रीका), बिस्माह मारूफ (पाकिस्तान), और एफी फ्लेचर (वेस्टइंडीज)। पुरुष क्रिकेट में कोई नोट नहीं करता कि कितने खिलाड़ी पिता हैं पर 8 क्रिकेटर मां का एक ग्लोबल टूर्नामेंट में खेलना एक आम बात नहीं। ठीक है क्रिकेट में मातृत्व की कीमत चुकानी पड़ती है पर बदलाव की सच्चाई से इंकार नहीं कर सकते।
हैरानी है कि इस बदलाव के बावजूद पिछले एशियाई खेलों में बिस्माह को अपनी बेटी के साथ एथलीट विलेज में रहने की इजाजत नहीं मिली जिससे वे नहीं खेलीं पर वे खुश हैं कि महिला क्रिकेट को उसकी सही पहचान मिल रही है। वे कहती हैं – एक वक्त था जब किसी को या बहुत कम लोगों को मालूम होता था कि पाकिस्तान महिला क्रिकेट टीम भी है पर ज्यादा मैचों और लाइव कवरेज के साथ, पहचान और सम्मान हासिल किया है। समय के साथ यह और बेहतर होता रहेगा।
बतूल (फातिमा), नैन (आबिदी), असमाविया (इकबाल), कनिता (जलील) और कई अन्य पाकिस्तान टीम की क्रिकेटर हैं जो शादी के बाद लंबे समय तक क्रिकेट में वापस न लौट सकीं और या फिर शादी के वक्त ही क्रिकेट छोड़ दी। अब पाकिस्तान में क्रिकेट वैसा नहीं है जैसा पहले था पर सामाजिक सोच इतनी आसानी से नहीं बदलेगी। 2023 में बिस्माह अगर एशियाड विलेज में बच्चे के साथ रहने की इजाजत न मिलने से नहीं खेलीं तो इन खेलों से ठीक पहले हार्ड-हिटिंग बल्लेबाज आयशा नसीम ने अचानक ही रिटायर होने का फैसला लिया। 18 साल की आयशा ने व्यक्तिगत कारण से रिटायर होने का फैसला लिया पर सब जानते हैं कि आयशा की शादी हो रही थी। उसके ससुराल वाले, उसके क्रिकेट खेलने के पक्ष में नहीं थे।
बिस्माह ने जो मेहनत की उस में खेलने वाली लड़कियों का अपना योगदान और समाज की बदलती सोच बहुत जरूरी है।
- चरनपाल सिंह सोबती