इन दिनों सब क्रिकेट पंडित कुछ ही दिन बाद शुरू होने वाले टी20 वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया चुन रहे हैं। कुछ बड़े नाम गायब तो कुछ सनसनी के तौर पर टीम में पर एक सवाल बड़ा ख़ास है जिस पर शायद प्रतिष्ठा की वजह से कोई ध्यान नहीं दे रहा। क्या मौजूदा फार्म पर रवींद्र जडेजा के लिए टीम में जगह है? 26 अप्रैल तक- 8 मैच की 6 पारी में 131+ स्ट्राइक रेट से 157 रन और इसमें एक भी योगदान ऐसा नहीं जिसकी टीम को जरूरत थी। इसलिए ये रिकॉर्ड टीम के काम नहीं आया। यहां तक कि 8 मैच में 27 ओवर में सिर्फ 4 विकेट लिए- इनमें से भी एक मैच में (विरुद्ध केकेआर) 3-18 के प्रदर्शन को हटा दें तो बचे 7 मैच में 1 विकेट।
अभी तो टीम इंडिया की चर्चा में एकमात्र सीमर ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या की खराब फार्म से ध्यान नहीं हट रहा और ये स्पिनर ऑलराउंडर अपने प्रदर्शन से टीम की परेशानी और बढ़ा रहा है। क्या आपको याद है कि रवींद्र जडेजा के लिए आईपीएल 2024 की शुरुआत कैसे हुई? वह 26 मार्च का दिन था- चेन्नई सुपर किंग्स-गुजरात टाइटंस मैच यानि कि पिछले सीज़न के फाइनल के बाद, दोनों टीम, एक बार फिर आमने-सामने। उस फाइनल में चेन्नई की आखिरी गेंद पर जीत में रवींद्र जडेजा हीरो थे। न सिर्फ उस फाइनल, जडेजा के इस टीम की कामयाबी में योगदान को भी हमेशा याद किया जाता है। इसलिए मैच के दौरान घरेलू दर्शकों ने रवींद्र जडेजा का खड़े होकर अभिवादन किया- शाम 7:38 बजे (मैच शुरू होने के 8 मिनट बाद क्योंकि जडेजा का जर्सी नंबर 8) उन्हें स्टैंडिंग ओवेशन दिया और तालियां बजाईं।
2012 से सीएसके में आए जडेजा ने 5 बार की चैंपियन टीम के लिए तब तक 174 मैच में 3749 रन बनाए थे और 152 विकेट लिए। न सिर्फ एक गेंदबाज और बल्लेबाज- टीम के खेल में हर तरह का योगदान और यहां तक कि जब आईपीएल 2022 से पहले धोनी ने कप्तानी छोड़ी तो सीधे जडेजा ही टॉप पसंद थे। यह प्रयोग कैसा रहा- ये एक अलग किस्सा है।
मौजूदा सच्चाई, इस पूरी चर्चा से अलग है। टीम (8 मैच में 4 जीत) पॉइंट्स में टॉप 4 में भी नहीं और प्ले ऑफ की रेस मुश्किल होती जा रही है। ऐसे में जो खिलाड़ी, ख़ास तौर पर आलोचना के निशाने पर है वह यही रवींद्र जडेजा हैं। टीम का भरोसा तब भी इन 8 मैच में उनके साथ ही रहा- इसीलिए नाजुक मुकाम पर उन्हें ही प्रमोट किया बल्लेबाजी में पर रिकॉर्ड इस भरोसे को सही साबित नहीं कर रहा। देखिए :
- लखनऊ सुपर जायंट्स के विरुद्ध 23 अप्रैल का मैच : टीम ने शिवम दुबे को रोक कर रवींद्र जडेजा को प्रमोट किया (नंबर 4) जबकि अजिंक्य रहाणे और डेरिल मिशेल के जल्दी आउट होने से सीएसके को तेजी से रन की जरूरत थी। जडेजा ने जवाब में 19 गेंद में 16 रन बनाए।
- 5 अप्रैल को सनराइजर्स हैदराबाद के विरुद्ध : नंबर 5 पर 23 गेंद में 31* रन बनाए।
- 31 मार्च को दिल्ली कैपिटल्स के विरुद्ध : 17 गेंद में 21* रन और बॉलिंग फिगर 1/43 रहा।
- ये सब उस सीजन में हो रहा है जहां 4 और 6 की बरसात हो रही है और हिटिंग के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं।
साफ़ दिख रहा है कि अब रवीन्द्र जड़ेजा वैसे प्रभावशाली खिलाड़ी नहीं जिसके लिए मशहूर हैं- बैट हो या गेंद, हाल के सालों में कई मौकों पर कमजोर निकले हैं। गेंदबाजी की तो बात ही नहीं कर रहे- उनकी गेंद में कोई नयापन शायद नहीं बचा है। जडेजा में एक ऐसे खिलाड़ी की छवि दिख रही है जो मैच या अपनी टीम की स्थिति की चिंता के बिना, सिर्फ खेलने की ओपचारिकता निभा रहा है। जिस स्थिति में वे खेल रहे हैं- उसमें अगर थोड़ा सा भी सही इरादा दिखाया होता तो सीजन में सीएसके का मैच जीत का रिकॉर्ड ऐसा साधारण न होता।
जडेजा उन कुछ खिलाड़ियों में से एक हैं जो 2008 से आईपीएल में खेल रहे हैं। आज जबकि एमएस धोनी रिटायर होने के करीब हैं- जडेजा टीम के सीनियर हैं। अभी उम्र 35 साल और फिट हैं पर गायब है वह इरादा जो मैच विनर होने के लिए जरूरी है। ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 2023 वर्ल्ड कप फाइनल में उनकी बैटिंग भी याद की जा रही है- तब 22 गेंद पर 9 रन बनाए थे ! हालांकि आम तौर पर अच्छे प्रदर्शन याद रहते हैं लेकिन ये इतना बुरा था कि अभी भी याद में ताजा है।
इसीलिए कई जानकार कहते हैं कि इतने साल से खेलने के बावजूद कोई वास्तविक प्रगति नहीं की और सिर्फ एक अच्छे क्रिकेटर ही हैं- एक ऐसा खिलाड़ी जो टीम में अपनी जगह बनाए रखने के लिए काफी अच्छा है लेकिन रोमांचक/भरोसेमंद नहीं। अगर आईपीएल में ये हाल है तो इंटरनेशनल क्रिकेट में क्या होगा? इस समय उनकी बैटिंग और बॉलिंग इतनी फीकी है कि फील्डिंग स्किल भी उन्हें बचा नहीं पाती। ये सब चर्चा वर्ल्ड टी20 टीम चुनने से पहले कोई अच्छी खबर नहीं है- न जडेजा के लिए और न टीम इंडिया के लिए। क्या सेलेक्टर ये सब नोट कर रहे हैं?
- चरनपाल सिंह सोबती