आईपीएल मैच में बन रहे रिकॉर्ड की चर्चा खूब होती है पर धर्मशाला में सीएसके-पीबीकेएस मैच का एक ख़ास रिकॉर्ड आम तौर पर नजरअंदाज हो गया- ये हाइब्रिड पिच (Hybrid Pitch) पर न सिर्फ पहला आईपीएल, भारत में ही पहला क्रिकेट मैच था। ऐसे में ये सवाल तो ख़ास है ही कि हाइब्रिड पिच क्या है पर आईपीएल चीफ अरुण सिंह धूमल की ये स्टेटमेंट भी ख़ास है कि- ‘हाइब्रिड पिच की शुरूआत भारत में क्रिकेट में क्रांति लाएगी।’ ऐसा क्या ख़ास हो जाएगा?
5 मई 2024 का दिन इस तरह से एक नई शुरुआत में हिस्सेदार बना और इस मौके पर हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में आईपीएल और बीसीसीआई से जुड़े ऑफिशियल तो मौजूद थे ही- इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर और एसआईएस (SIS) के इंटरनेशनल क्रिकेट डायरेक्टर पॉल टेलर भी मौजूद थे। दावा है कि इंग्लैंड में लॉर्ड्स और ओवल में ऐसी पिच की कामयाबी के बाद, हाइब्रिड पिच की शुरूआत भारत में क्रिकेट में क्रांति लाने के लिए तैयार है।
हाइब्रिड पिच का मतलब है- प्राकृतिक टर्फ को सिंथेटिक फाइबर के साथ जोड़ना जिससे पिच को बेहतर मजबूती मिलती है और लगातार चलेगी यानि कि ग्राउंड स्टाफ की टेंशन कम और ऐसी शिकायत भी खत्म कि पिच सही नहीं बनी। ये भ्रम गलत है कि पिच का मिजाज ही बदल जाएगा- सिर्फ 5% सिंथेटिक फाइबर का इस्तेमाल होता है और पिच की क्रिकेट के लिए जरूरी प्राकृतिक खूबियां बरकरार रहती हैं। भारत में, इस प्रोजेक्ट में अगला नंबर मुंबई और अहमदाबाद का है। बीसीसीआई और आईसीसी इस तरह की पिच के इस्तेमाल को मंजूरी दे चुके हैं।
जिस मशीन का इसके लिए इस्तेमाल हो रहा है वह ‘यूनिवर्सल मशीन’ है- इसे 2017 में एसआईएसग्रास (SISGrass) ने डेवलप किया और शुरुआत इंग्लैंड के काउंटी क्रिकेट ग्राउंड में बेहतर और लगभग एक सी पिच के रोलआउट से हो चुकी है। पिच बनाने का समय इससे कम हो गया है। आईसीसी ने टी20 और वनडे इंटरनेशनल के लिए हाइब्रिड पिच को मंजूरी दे दी है और इंग्लैंड में तो इस सीजन में 4 दिन वाले कुछ काउंटी चैंपियनशिप मैच भी इन पर खेल रहे हैं। इस परिचय के बाद ये तो मानना होगा कि हाल-फिलहाल ऐसी पिच क्रिकेट में आ चुकी हैं। इस प्रोजेक्ट में एसआईएसएएयर (SISAir) की टेक्नोलॉजी भी मदद कर रही है जिससे बेहतर और लचीलेपन (Resilience) में सुधार वाली पिच मिल रही है- खिलाड़ियों को बेहतर और सुरक्षित प्लेइंग कंडीशन मिल रही हैं।
कुछ फैक्ट नोट कीजिए :
- धर्मशाला के एचपीसीए स्टेडियम में स्क्वायर में 4 हाइब्रिड पिच बनी हैं। नेट्स में दो पिच लगाई हैं।
- किसी भी फॉर्मेट की क्रिकेट इन पर खेल सकते हैं।
- पूरी कोशिश है कि क्यूरेटर जो पिच बनाएंगे उसका मिजाज न बदले- सिर्फ पिच की बेहतर स्थिरता और बनाने में आसानी के लिए ये टेक्नोलॉजी मददगार है। इन्हें सबसे पहले वाइट बॉल क्रिकेट के लिए बनाया।
- यूके की ये सिंथेटिक टर्फ बनाने वाली कंपनी एसआईएसग्रास, न सिर्फ क्रिकेट, फुटबॉल, रग्बी और हॉकी में भी ऐसे ग्राउंड बना रहे हैं। दुबई सहित दुनिया भर में 650 से ज्यादा हाइब्रिड पिच अब तक बन चुकी हैं यानि कि इंग्लैंड से बाहर भी इन्हें मंजूरी मिली भले ही कंडीशन काफी अलग हैं।
- इन पिच पर जितना खेले हैं उसके मुताबिक़- हाइब्रिड पिच जल्दी सूख रही है यानि कि प्राकृतिक पिच की तुलना में ज्यादा पानी की जरूरत है।
- इस समय इंग्लैंड में न सिर्फ एकेडमी में, ट्रेंट ब्रिज, लॉर्ड्स और ओवल जैसे टेस्ट ग्राउंड में प्रैक्टिस इन हाइब्रिड पिच पर ही हो रही है। कुछ काउंटी ग्राउंड पर भी ऐसी पिच लग चुकी हैं।
- पिच में सिलाई के लिए पॉलीइथाइलीन मोनोफिलामेंट फाइबर (polyethylene monofilament fibre) प्रयोग हो रहा है- ये कई रंग में है। जब सिलाई करते हैं तो फाइबर के चारों ओर प्राकृतिक हवा के लिए जगह बच जाती है जिससे सिंचाई पर पानी नीचे चला जाएगा। इस तरह पिच की सभी खूबियां बरकरार और इस पर उगी घास ज्यादा मजबूत और टिकाऊ- एक पिच पर तीन गुना ज्यादा क्रिकेट खेल सकते हैं।
- इंग्लैंड की परिस्थितियों से भारत बहुत अलग है- यहां तो हर राज्य में पूरे साल अलग-अलग मौसम, मिट्टी अलग। इसीलिए मिट्टी की प्रोफ़ाइल में नमी सबसे बड़ा फेक्टर है- भारत में ही ये हर जगह अलग-अलग होगी।
- घास भी अलग है। कहीं राई घास तो कहीं बरमूडा घास- धर्मशाला में आउटफील्ड राई घास की है, इंग्लैंड जैसी। इसीलिए एसआईएसएयर साथ में काम करती है ड्रेनेज और एयर सिस्टम के लिए।
- धर्मशाला में ऐसी पिच बनाने में लगभग दो हफ्ते लगे- इसमें से भी शुरू के 3-4 दिन तो मिट्टी और नमी की स्टडी में निकल गए।
आपको बता दें कि भारतीय खिलाड़ी पहली बार ऐसी पिच पर 2 जुलाई 2022 को डर्बी के काउंटी ग्राउंड में भारत-डर्बीशायर पहले टी20 प्रेक्टिस मैच में खेले थे और विकेटकीपर-बल्लेबाज दिनेश कार्तिक की टीम ने मैच 7 विकेट से जीता। ये इंग्लैंड के विरुद्ध वनडे और टी20 सीरीज की तैयारी थी। ख़ास बात ये कि डर्बीशायर काउंटी क्रिकेट क्लब ने भी हाइब्रिड पिच पर कोई अच्छे दर्जे का मैच आयोजित किया। स्कोर : डर्बीशायर 150/8 और इंडिया इलेवन ने 20 गेंद बची थीं, तब ही मैच जीत लिया।
शुरुआत हो चुकी है। एचपीसीए स्टेडियम के बाद मुंबई और अहमदाबाद लाइन में हैं पर इरादा है भारत में पूरे क्रिकेट नेटवर्क में इन पिच को फैलाने का। इस संदर्भ में बांग्लादेश क्रिकेट का ख़ास तौर पर जिक्र जरूरी है। लंबे समय से वहां पिचों को लेकर बहस हो रही है और इसी वजह से उनके क्रिकेटर जब विदेश में खेलते हैं तो कंडीशन उन्हें रास नहीं आतीं। बांग्लादेश में मौसम, पर्यावरण और मिट्टी सही पिच बनाने नहीं देते। कोच पॉल निक्सन ने बांग्लादेश में क्रिकेट की मदद के लिए हाइब्रिड विकेट का सुझाव दिया है।
- चरनपाल सिंह सोबती