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लोकसभा के इन दिनों चल रहे चुनाव के चौथे राउंड में जहां-जहां वोटिंग है, उनमें से एक बहरामपुर (पश्चिम बंगाल) भी है। क्रिकेट में इस चुनाव की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि बहरामपुर से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) उम्मीदवार हैं यूसुफ पठान- भारत के क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक जाना-पहचाना नाम। उन पर पहला बाउंसर ये कि चुनाव के लिए बड़ौदा से बहरामपुर आ गए पर वे बाउंसर खेलना खूब जानते हैं- वेस्ट बंगाल के लिए ‘बाहरी’ के आरोप को नहीं मानते और कई मिसाल गिना दीं उन बड़े-बड़े लीडर की जो इसी तरह से नई जगह अपना जोर आजमा रहे हैं- ‘देश में कोई भी, कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है। यह मेरा घर है। मैं यहां रहने के लिए आया हूं।’

दूसरा मुश्किल बाउंसर ये कि उनका सीधे मुकाबला है 5 बार के सांसद और वेस्ट बंगाल कांग्रेस चीफ अधीर रंजन चौधरी से जो राज्य में कांग्रेस की चुनावी किस्मत डगमगाने के बावजूद अपनी सीट पर जमे रहे। यूसुफ पठान कहते हैं कि जब बड़े-बड़े गेंदबाज के सामने डर नहीं लगा तो अधीर रंजन से क्यों डरें? वे यहां 1999 से लगातार जीत रहे हैं और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के 3 बार के सांसद प्रमोट्स मुखर्जी को भी हराया। इसलिए बाउंसर तो तगड़ा आ रहा पर उनका जवाब इस सीट के मुकाबले को एक रोमांचक मुकाम पर ले आया है और सैकड़ों की भीड़ जुट रही है उनके हर रोड शो/मीटिंग में। वे कहते हैं- गुजरात मेरी जन्मभूमि है लेकिन बंगाल मेरी कर्मभूमि है।

वैसे ये सवाल हल्का नहीं कि यूसुफ पठान चुनाव के लिए इतनी दूर और ख़ास तौर पर बहरामपुर क्यों आए? उन पर आरोप है कि मुस्लिम वोट बांटने तृणमूल ने उनका इस्तेमाल किया पर वे ऐसे आरोप को कोई भाव नहीं देते। बहरामपुर में लगभग 52 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। ऐसा पहले भी हो चुका है- मोहम्मद अज़हरुद्दीन और मोहम्मद कैफ दोनों ने कांग्रेस के टिकट पर मुस्लिम वोटर की बड़ी गिनती वाली दो सीट मुरादाबाद और फूलपुर से राजनीति में एंट्री की थी।  भारतीय क्रिकेट के नक़्शे पर न तो मुरादाबाद है, न फूलपुर और न ही बहरामपुर। 
जब चुनाव मैदान में कूदे तो उन्हें लगा था कि अपने सपोर्ट में आईपीएल 2024 के कई स्टार बुला लेंगे (अपने भाई इरफान पठान को भी) पर आईपीएल की वजह से किसी के पास फुर्सत नहीं। उस पर, देश की राजनीति में डेब्यू कर रहे युसूफ पठान को ऐसी सीट पर उतारा है जिसे टीएमसी कभी नहीं जीत पाई है। पठान की जीत ऐतिहासिक होगी- न सिर्फ उनके लिए बल्कि टीएमसी के लिए भी।

वहां के लोगों के लिए तो वे ही स्टार हैं। यूसुफ पठान जानते हैं कि अच्छा मुकाबला करना है तो पिच को समझना/जानना जरूरी है- इसीलिए वे अगर रवीन्द्रनाथ टैगोर का गुणगान कर रहे हैं तो वहां की मिट्टी के अरिजीत सिंह के गाने भी गुनगुना रहे हैं। वे खुद को बंगाल के लिए नया नहीं मानते क्योंकि आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए भी खेल चुके हैं। कुछ फैक्ट :

  • ऑलराउंडर- दाएं हाथ के आक्रामक बल्लेबाज और स्पिनर।
  • 2001-02 में सौराष्ट्र के विरुद्ध बड़ौदा के लिए रणजी ट्रॉफी डेब्यू।
  • 2007 में, देवधर ट्रॉफी और टी 20 घरेलू टूर्नामेंट में प्रदर्शन ने टी20 वर्ल्ड टीम में जगह दिलाई- पाकिस्तान के विरुद्ध फाइनल में डेब्यू और टाइटल जीते।
  • 2011 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम में भी थे।
  • कुल 57 वनडे और 22 टी20 इंटरनेशनल का रिकॉर्ड- वनडे में 27 की औसत से 810 रन, दो 100 और टी20 में 18.15 औसत और 146.58 स्ट्राइक रेट से 236 रन। ।
  • हिटिंग के लिए मशहूर और आईपीएल में 3 टाइटल जीतने वाली टीम में थे- 2008 में राजस्थान रॉयल्स और उसके बाद कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ दो टाइटल ((2012 और 2014))।
  • भारत के उन क्रिकेटर में से एक जो क्रिकेट से राजनीति में आए- नवजोत सिंह सिद्धू, मोहम्मद अजहरुद्दीन, गौतम गंभीर, कीर्ति आजाद, मनोज तिवारी और चेतन चौहान कुछ ख़ास/कामयाब नाम हैं।

अपनी चुनावी चर्चाओं में वे क्रिकेट में अपनी उपलब्धि का जिक्र करना नहीं भूलते और भारत के लिए दो वर्ल्ड टाइटल जीतने वाली टीम का हिस्सा होने के साथ-साथ 3 आईपीएल टाइटल का जिक्र करते हैं। इसीलिए शुरू में तो उन्होंने अपनी पब्लिसिटी में 2011 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का फोटो इस्तेमाल किया। इसकी शिकायत हुई क्योंकि फोटो में सचिन तेंदुलकर भी थे- चुनाव आयोग ने शिकायत को सही माना और यूसुफ को ऐसी फोटो के इस्तेमाल से रोक दिया। चुनाव पैनल की स्टेटमेंट थी कि 2011 वनडे वर्ल्ड कप में जीत, हर भारतीय के लिए गर्व की बात थी, इसलिए उस भावना का फायदा नहीं उठाया जाना चाहिए। इसलिए वोटर का ध्यान आकर्षित करने के लिए कोई भी राजनीतिक पार्टी उन फोटो का प्रयोग नहीं कर सकती। युसूफ पठान की इस दलील को सही नहीं माना कि उन्हें वर्ल्ड कप से संबंधित फोटो इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार है क्योंकि वह विजेता टीम का हिस्सा थे। वैसे यूसुफ पठान उस 2011 वर्ल्ड कप विजेता टीम से राजनीति में आने वाले तीसरे खिलाड़ी बन गए हैं- उनसे पहले : गौतम गंभीर और हरभजन सिंह।

वे दावा करते हैं कि बहरामपुर के लोग पहले ही उन्हें अपने ‘बेटे, भाई और दोस्त’  के तौर पर स्वीकार कर चुके हैं- ‘चुनाव का नतीजा चाहे जो भी हो, मैं उनके (लोगों के) साथ रहूंगा। मैं उस बेहतर भविष्य के लिए उनके साथ रहूंगा जिसके वे हकदार हैं। वे मेरी ताकत हैं और मैं जीतूंगा।’ ये भी कहा कि वह धन्य हैं कि ऐसी जगह आए हैं जहां लोग, उनसे कहते हैं कि आप को यहां से जाने नहीं देंगे।

अगर बहरामपुर के नए सांसद बन गए तो क्या ख़ास करेंगे- उनकी लिस्ट में नौकरी के अवसर पैदा करना, विश्व स्तर का स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स और स्थानीय रेशम के लिए बुनियादी ढांचे और किसानों के लिए मदद वाला सिस्टम, टॉप पर हैं। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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