अगर आप को ऐसा लगा कि बीसीसीआई के चुनाव के मुकाबले क्रिकेट में और कुछ नहीं तो आपको मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) के बारे में पढ़ना चाहिए। हर बार, जो मसाला बीसीसीआई में नजर आता है- एमसीए में भी नजर आता है। संयोग से दोनों का हैड क्वार्टर भी मुंबई में एक ही स्टेडियम में और इस बार तो तारीख भी लगभग साथ-साथ थीं। वर्ल्ड कप 1983 के एक स्टार रोजर बिन्नी तो बीसीसीआई हेड क्वार्टर पहुंच गए- उसी वर्ल्ड कप के एक और स्टार संदीप पाटिल का एमसीए अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने का सपना पूरा नहीं हुआ। वे अमोल काले से हारे। इस तरह, अब तक माधव मंत्री अकेले ऐसे टेस्ट खिलाड़ी हैं जो एमसीए अध्यक्ष बने- अजीत वाडेकर और दिलीप वेंगसरकर को भी, बहुत करीब आने पर भी ये कुर्सी नहीं मिली थी।
इतिहास पर नहीं जाते और ये देखते हैं कि इस बार क्या हुआ? जैसे ही ये पता चला कि 66 साल के संदीप पाटिल (नेशनल क्रिकेट एकेडमी में डायरेक्टर, बीसीसीआई चयन समिति अध्यक्ष, 29 टेस्ट और 45 वनडे) भी मुकाबले में हैं तो समीकरण बड़ा रोचक बन गया- एक तरफ शरद पवार पैनल के समर्थन के साथ संदीप पाटिल और उनके सामने मुंबई के विधायक आशिष शेलार। ये था मुंबई में दो प्रभावशाली शख्सियतों- पवार और शेलार के बीच बैटल रॉयल।
क्रिकेटरों का क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन में आना काबिले तारीफ है पर इसके लिए राजनीति का बाउंसर झेलना पड़ता है। संदीप पाटिल का इरादा नेक है- मुंबई क्रिकेट को उसका खोया गौरव वापस दिलाना पर इसकी चिंता किसे है? यहां तक कि आशिष शेलार के बीसीसीआई में ट्रेजरर बनने से भी पाटिल के लिए बिसात आसान नहीं बनी। सिर्फ नाम बदले। जो अमोल काले उपाध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे थे, अब सबसे बड़ी कुर्सी के दावेदार बन गए।
संदीप पाटिल के लिए पहला बाउंसर- राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के आशिष शेलार और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, नामांकन दाखिल करने के आख़िरी दिन,’एक’ हो गए और संदीप पाटिल अकेले पड़ गए। कई और स्थानीय राजनीति के बड़े नाम इसी पैनल से अलग-अलग पोस्ट के दावेदार थे। इस तरह पवार ने, पाटिल के नीचे से कुर्सी, उनके बैठने से पहले ही खींच ली। किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि पवार और शेलार एक साथ हो जाएंगे। संदीप पाटिल को, उनके समर्थन वाले, उपाध्यक्ष और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के करीबी अमोल काले से मुकाबला करना था और ये कोई आसान नहीं था। सरकारी मशीनरी भी काले के साथ थी।
संदीप पाटिल के लिए दूसरा बाउंसर- संदीप पाटिल के विरुद्ध कनफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट की शिकायत। आरोप- उनके बेटे की पत्नी यानि कि सना पाटिल, उन क्रिकेटर सलिल अंकोला की बेटी हैं, जो इस समय मुंबई सीनियर चयन समिति के अध्यक्ष हैं। ये जानते हुए भी कि इस रिश्ते से कोई फर्क नहीं पढ़ना पर फिजूल में दबाव बनाया। ये शिकायत जल्दी ही ख़ारिज हो गई।
जो मुंबई में रहते हैं उन्होंने नोट किया होगा कि शहर की मशहूर सड़कों पर बीसीसीआई के नए ट्रेजरर आशिष शेलार के पोस्टर, शरद पवार के साथ, लग गए थे- ख़ास तौर पर वानखेड़े स्टेडियम तक जाने वाले मरीन ड्राइव पर तो ऐसे होर्डिंग भरे हुए थे। 1980 के दशक में माधव मंत्री के एमसीए के पहले टेस्ट क्रिकेटर-अध्यक्ष बनने के बाद नया रिकॉर्ड बनाने की तलाश में पाटिल का मुंबई क्रिकेट ग्रुप एक ही दलील पर काम कर रहा था- मुंबई क्रिकेट की विरासत को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। संदीप पाटिल के पास ऐसी कोशिश का संभवतः ये आखिरी मौका था। 66 साल के तो वे हो ही गए हैं और 70 साल की उम्र सीमा का प्रतिबंध है- कोविड से क्रिकेट में कमी हुई, सिर्फ 35/36 ग्राउंड बचे हैं (ढेरों, बन रहे मेट्रो रेलवे नेटवर्क ने जमीन की तलाश में छीन लिए) और इसके लिए काम करने वालों की ऐसी टीम वे बनाना चाहते थे, जो जमीनी हकीकत जानती है।
रोजर बिन्नी के बोर्ड अध्यक्ष बनने से संदीप पाटिल बड़े खुश थे और कहते रहे- मेरा मानना है कि क्रिकेट को किसी भी राजनीतिक हस्तक्षेप से अलग रखा जाना चाहिए। एमसीए की लड़ाई एक अलग खेल थी। काले (नागपुर से) एक व्यापारी हैं, पवार, सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस (बचपन के दोस्त) की तिकड़ी का समर्थन हासिल- तो और क्या चाहिए था?
पाटिल जो अपने समय में एक तेजतर्रार बल्लेबाज थे और जिनके 174 (एडिलेड में 1980-81 में) डेनिस लिली जैसे गेंदबाज के विरुद्ध थे- उससे भी बड़ी चुनौती का सामना अब कर रहे थे। सभी की निगाहें एमसीए चुनावों पर थीं पर कुछ भी हैरान करने वाला नहीं हुआ- संदीप पाटिल अध्यक्ष पद का चुनाव में अमोल काले से हार गए 25 वोट से (काले 183 और पाटिल 158)।पाटिल ने इस झटके को झेल लिया है और वे एमसीए को हर सहयोग देने के लिए तैयार हैं। नए अध्यक्ष अमोल काले ने माना कि संदीप पाटिल के साथ, टॉप पद के लिए लड़ाई आसान नहीं थी।
अब वे मैदानों में सुविधाओं में सुधार करने और नए मैदान तैयार करने पर ध्यान देंगे। उनकी स्कीम में ठाणे और नवी मुंबई में इनडोर क्रिकेट एकेडमी बनाना भी हैं। एमसीए के इन चुनाव में अगर शोभा पंडित (पैर की बड़ी चोट के बावजूद) वोट डालने आईं तो मुंबई के सबसे उम्रदराज जीवित टेस्ट क्रिकेटर, डॉ चंदू पाटनकर(91) भी आए। दूसरी तरफ सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर वोट नहीं डाल सकते थे- वे उन 8 में शामिल थे जिन्होंने चुनाव अधिकारी को अपना मतदाता पहचान पत्र नहीं दिया (अन्य नाम : अजीत अगरकर, आविष्कार साल्वी, पारस म्हाम्ब्रे, संजय मांजरेकर, विनोद कांबली और वसीम जाफर)।
– चरनपाल सिंह सोबती