आईपीएल 2023 में इम्पैक्ट प्लेयर्स का डेब्यू देखने को मिलेगा। बीसीसीआई ने इसे, इस साल सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में आजमाया और जो फीड बैक मिला उसी से अब आईपीएल में लागू कर रहे हैं।
रिकॉर्ड के लिए- जुलाई 2005 में,आईसीसी ने वनडे मैचों को और रोमांचक बनाने के लिए ‘सुपर सब’ सिस्टम की शुरुआत की थी। कप्तान, टॉस से पहले, एक सब्स्टीट्यूट का नाम 11 खिलाड़ियों की प्लेइंग इलेवन के साथ बताते थे और मैच के दौरान, जरूरत में, ये ‘सुपर सब’ टीम के एक खिलाड़ी की जगह ले सकता था। इस तरह टीम 12 खिलाड़ियों का प्रयोग कर सकती थी पर एक वक्त पर खेलेंगे 11 ही।
ये सिस्टम सिर्फ 9 महीने चला। कई अलग-अलग ऑब्जर्वेशन रहीं और सबसे ख़ास ये कि टॉस जीतने वाली टीम को ज्यादा फायदा मिल रहा है। उसके बाद, आईसीसी ने कोई नया लॉ नहीं बनाया हालांकि क्रिकेट खेलने वाले कुछ देश, घरेलू क्रिकेट में अलग-अलग सिस्टम लागू करते रहे।
नवंबर 2020 में ऑस्ट्रेलिया में बिग बैश लीग में ‘एक्स-फैक्टर सब’ तो अब आईपीएल में, इंपैक्ट प्लेयर। सबसे ख़ास बात ये कि अब प्रयोग हुआ टी20 में। नया सिस्टम : मैच के दौरान, टीम एक सब्स्टीट्यूशन कर सकती है जिसे सब्स्टीट्यूट न कह कर, इम्पैक्ट प्लेयर का नाम दिया है। टॉस के समय प्लेइंग इलेवन के साथ टीम चार और खिलाड़ियों का नाम भी देगी और इन चार में से ही एक बनेगा ‘इम्पैक्ट प्लेयर’।
इसकी एंट्री पारी की शुरुआत से पहले, ओवर के आखिर में, विकेट गिरने पर, बल्लेबाज के रिटायर्ड हर्ट होने और आउट न होने के बावजूद ग्राउंड छोड़ने पर हो सकती है। अगर गेंदबाजी कर रही टीम, एक ओवर के बीच इम्पैक्ट प्लेयर लाती है (विकेट के गिरने या बल्लेबाज के ग्राउंड छोड़ने पर), तो ओवर की बची गेंद, ये इंपैक्ट प्लेयर नहीं फेंक सकता पर अपने कोटे के चार ओवर फेंक सकता है भले ही, जिसकी जगह वह आया है- वह अपने 4 ओवर गेंदबाजी कर चुका हो। घरेलू क्रिकेट में 14वें ओवर के ख़त्म होने से पहले ही बदलाव की इजाजत थी जबकि आईपीएल में किसी भी समय इम्पैक्ट प्लेयर, ऊपर बताई स्थिति में,आ सकता है।
इम्पैक्ट प्लेयर, जिस खिलाड़ी की जगह लेगा- उसे मैच से बाहर गिनेंगे और वह मैच में आगे हिस्सा नहीं लेगा (सब्स्टीट्यूट के तौर पर फील्डिंग भी नहीं)। किसी विदेशी खिलाड़ी को इम्पैक्ट प्लेयर ला रहे हैं तो प्लेइंग इलेवन में विदेशी खिलाड़ी की गिनती ध्यान में रखेंगे क्योंकि किसी भी तरह ये 4 से ज्यादा नहीं हो सकते। 4 विदेशी खेल रहे हैं तो 4 इम्पैक्ट प्लेयर्स में सिर्फ भारतीय नाम रहेंगे। टीम 3 या उससे कम विदेशी खिलाड़ियों के साथ मैच खेल रही है तो किसी विदेशी क्रिकेटर को इम्पैक्ट प्लेयर नामित कर सकते हैं। विदेशी खिलाड़ी तभी आएगा जब 4 सब्स्टीट्यूट में लिस्ट किया हो।
कोई क्रिकेट लॉ, इंपैक्ट प्लेयर की वजह से नहीं बदलेगा यानि कि 11 खिलाड़ी ही बल्लेबाजी करेंगे। अगर बल्लेबाजी करने वाली टीम का इम्पैक्ट प्लेयर बल्लेबाज है और आउट/रिटायर्ड की जगह लेता है तो आने वाले खिलाड़ी को बल्लेबाजी की इजाजत नहीं होगी। दूसरी तरफ, गेंदबाजी कर रही टीम का इंपैक्ट प्लेयर टीम को एक और ‘गेंदबाज’ दे देगा। एक ओवर के बीच में इम्पैक्ट प्लेयर आए तो उसे गेंदबाजी के लिए, उस ओवर के खत्म होने तक इंतजार करना होगा।
मैच देरी से शुरू हुआ या ओवर 20-20 से घटा दिए तो भी, इम्पैक्ट प्लेयर वाला लॉ वही होगा जैसे है।
बिग बैश लीग के ‘एक्स-फैक्टर सब’ में टीम प्लेइंग इलेवन के साथ 12वें और 13वें खिलाड़ी का नाम भी बताती है और यही ‘एक्स-फैक्टर सब’ 10वें ओवर के बाद मैच में आ सकता है। किसकी जगह : बल्लेबाजी में- जिसने अभी तक बल्लेबाजी नहीं की, गेंदबाजी में- जिसने अभी तक एक से ज्यादा ओवर नहीं फेंका और विदेशी खिलाड़ियों की गिनती का प्रतिबंध भी नहीं।
सुपर सब सिस्टम में कई बार जितना फायदा मिला- उससे ज्यादा नुकसान हो गया। पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम मुसीबत में, एक गेंदबाज की जगह, एक बल्लेबाज को सुपर सब के तौर पर ले आती थी पर गड़बड़ ये कि इससे गेंदबाजी कमजोर हो जाती थी। इसकी एक बहुत अच्छी मिसाल ओवल 2005 है- इंग्लैंड विक्रम सोलंकी (बल्लेबाज- 53*) को ले आई साइमन जोन्स की जगह और इससे उन के पास एक मुख्य गेंदबाज कम हो गया। नतीजा- ऑस्ट्रेलिया ने 35 वें ओवर में ही मैच जीत लिया।
इसमें कोई शक नहीं है कि इम्पैक्ट प्लेयर लॉ भी इस असंगति को दूर नहीं कर सकता कि एक बल्लेबाज तो पूरे 20 ओवर बल्लेबाजी कर सकता है पर एक गेंदबाज सिर्फ 4 ओवर ही क्यों गेंदबाजी कर सकता है- 6 /10 ओवर क्यों नहीं?
पहले सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और अब आईपीएल इस नए सिस्टम में हिस्सेदार है। भारत का ये अनुभव, इसे इंटरनेशनल क्रिकेट तक पहुंचा सकता है। सबसे ख़ास बात ये है कि टीमें अपने इम्पैक्ट प्लेयर का उपयोग कैसे और कब करती हैं? हाल फिलहाल ये सिर्फ एक सीजन का प्रयोग है। अभी इसे महिला आईपीएल में शामिल नहीं कर रहे।
- चरनपाल सिंह सोबती