हर साल, आईपीएल से नई टेलेंट सामने आती है पर आम तौर पर बल्लेबाज ही ज्यादा चर्चा में रहते हैं। इस बार एक तेज गेंदबाज़ ने बाजी मारी- नाम है मयंक यादव। अभी चर्चा गेंद की तेजी की हो ही रही थी कि एकदम फिटनेस की बात शुरू हो गई। आईपीएल 2024 में दो ही मैच से गेंद की तेजी की ऐसी चर्चा थी कि नाम आईपीएल से बाहर की क्रिकेट में भी गूंज रहा था। कोई मजाक थोड़े ही है कई गेंद 150+ किमी प्रति घंटा की तेजी से फेंकना। डेब्यू में पंजाब किंग्स के विरुद्ध रिकॉर्ड रहा 4-0-27-3 (सबसे तेज गेंद 155.8 किमी/घंटा और मैन ऑफ द मैच) और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के विरुद्ध अगले मैच में 4-0-11-3 और इस मैच में सबसे तेज गेंद 156.7 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली थी और मैन ऑफ द मैच मयंक को ‘चाइल्ड ऑफ द विंड’ का नाम मिल गया।
इसलिए जब इकाना स्टेडियम में गुजरात टाइटन्स के विरुद्ध उनकी टीम लखनऊ सुपर जायंट्स ने मैच खेला तो 164 रन के बचाव में सारी उम्मीद, मयंक पर टिकी थी पर जो पहला ओवर फेंका उसमें न तो पिछली तेजी थी और न लाइन- मुश्किल से 140+ किमी प्रति घंटे की रफ्तार दर्ज की और 13 रन दिए। इस एक ओवर के बाद ही न सिर्फ इस मैच से बाहर- अगले दो मैच के लिए भी अनफिट और इस रिपोर्ट के लिखने तक चेन्नई के विरुद्ध मैच में वापसी की उम्मीद लगाई जा रही है। आगे क्या होगा- कोई नहीं जानता।
क्या ये हैरानी की बात नहीं कि मयंक यादव की तीसरे आईपीएल मैच में, कुल 9 ओवर बाद ये हालत हो गई कि खराब फिटनेस की बात शुरू हो गई। उम्र अभी 21+ और करियर 1 फर्स्ट क्लास मैच, 17 लिस्ट ए और 13 टी20 मैच का तो ये हालत? कहां तो एकदम चर्चा थी कि ऐसी तेजी वाले गेंदबाज को टी20 वर्ल्ड कप में खेलने भेजो, ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज खेलने भेजो और अब नौबत ये कि इलाज के लिए एनसीए में भेजने की बात हो रही है।
आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट की बदौलत इस समय फिटनेस की जिम्मेदारी आईपीएल टीम की है और उन्होंने ही एहतियात के तौर पर वर्क लोड मैनेजमेंट शुरू कर दी। चिंता की बात इससे आगे की है क्योंकि ऐसे गेंदबाज हैं कहां जो लगातार 150+ किमी प्रति घंटा की तेजी दर्ज करें। वे किसी आईपीएल टीम से ज्यादा, भारतीय क्रिकेट के लिए नई ‘हॉट प्रॉपर्टी’ हैं और उसे संभालना होगा।
मयंक के लंबे और बेहतर क्रिकेट करियर की टीम इंडिया को ज्यादा जरूरत है। मजे की बात ये कि ऑस्ट्रेलिया के शेन वॉटसन ने तो इस सब से पहले ही, उन्हें एकदम सीनियर क्रिकेट में खिलाने की चर्चा के जवाब में कह दिया था कि अभी से उन्हें टेस्ट में लेना बड़ा गलत रहेगा- वहां एक दिन में 15-20 ओवर कोई मजाक नहीं होते। वाटसन का डर आईपीएल में ही सही साबित हो गया।
अगर पेसर को ही देखें तो हॉट प्रॉपर्टी वाली ऐसी ही उम्मीद वरुण आरोन, उमेश यादव और उमरान मलिक जैसों से भी लगाई थी। उमेश कुछ चमके पर ‘धीमे’ हो गए जबकि उमरान और वरुण चर्चा में ही रह गए। अगर वास्तव में बीसीसीआई की नजर में मयंक टीम इंडिया की रेस में हैं तो बिना देरी उन्हें ‘फ़ास्ट बॉलर कॉन्ट्रैक्ट’ में शामिल करें ताकि उन के लिए बेहतर फिटनेस प्लान बने और लागू हो। उमरान को भी इस कॉन्ट्रैक्ट में शामिल कर लिया है।
सच ये है कि इससे पहले, आईपीएल में सिर्फ दो बार ही किसी युवा भारतीय तेज गेंदबाज की तेजी की बदौलत चर्चा हुई है- आख़िरी नाम उमरान मलिक का था। तीन साल पहले ऐसी ही उनकी भी चर्चा थी। असल में टॉप स्तर पर सिर्फ तेजी ही सब कुछ नहीं होती और मयंक के पास तेजी के साथ-साथ कंट्रोल भी था जिससे वे ज्यादा असरदार बने। पंजाब के जॉनी बेयरस्टो और बैंगलोर के विरुद्ध दुनिया के सबसे बेहतर टी20 बल्लेबाजों में से एक ग्लेन मैक्सवेल को जैसे आउट किया वह गजब था।
आम तौर पर तेज गेंदबाज़ की चर्चा में कहा जाता है- जितनी तेज़ गेंद उतना गेंद पर कंट्रोल कम। इसलिए भारत में जो अपनी स्पीड से प्रभावित कर सीनियर क्रिकेट में आए वे फटाफट लंबे करियर की तलाश में ‘फास्ट बॉलर’ से ‘मीडियम पेस’ बन गए- उमेश यादव और उसके बाद उमरान ने यही किया। स्पीड की बदौलत उमरान फटाफट 2022 और 2023 में 10 वनडे और 8 टी20 इंटरनेशनल भी खेल गए लेकिन फिलहाल हालत ये है कि सनराइजर्स हैदराबाद की फर्स्ट इलेवन में भी जगह पक्की नहीं। मयंक ने भी कहा कि वे गेंद की तेजी कम नहीं होने देंगे पर उनकी फ्लाइट तो उड़ान से पहले ही डगमगा रही है। पिछले साल भी फिट न होने की वजह से ही आईपीएल में न खेल पाए थे।
अगर फिट रहे और तेजी बरकरार रही तो मयंक के बारे में चर्चा का मिजाज ही बदल जाएगा।
-चरनपाल सिंह सोबती