पिछले कई साल से पाकिस्तान टीम के कोच की चर्चा किसी मजेदार स्टोरी से कम नहीं रही है। इन दिनों भी यही हुआ। नए कोच तलाश में बड़ी मुश्किल से शेन वॉटसन शार्ट लिस्ट हुए। पाकिस्तान की, कोच के लिए, किसी बड़े नाम की तलाश में बेताबी ऐसी रहती है कि उनकी हर मांग मानते जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वॉटसन ने सालाना 2 मिलियन डॉलर (लगभग 17 करोड़ भारतीय रुपये) मांगे- पाकिस्तान ने इससे पहले किसी कोच को इतनी बड़ी फीस नहीं दी थी। तब भी मान गए लेकिन वॉटसन नहीं आए। रिचर्ड पाइबस, बॉब वूल्मर, ज्योफ लॉसन, डेव व्हाटमोर, ग्रांट ब्रैडबर्न और मिकी आर्थर जैसों ने तुलना में इससे कम फीस पर काम किया था।
वाटसन ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ यूएसए मेजर लीग से भी जुड़े हैं जबकि बोर्ड चाहता है कि वे पाकिस्तान में ज्यादा रहें और घरेलू स्तर पर टेलेंट खोजने और निखारने में भी मदद करें।वॉटसन, इस बातचीत के दिनों में पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) में क्वेटा ग्लेडियेटर्स के कोच थे पर मजे की बात ये है कि किसी इंटरनेशनल टीम को कोचिंग देने का उन्हें कोई अनुभव नहीं- इस तरह प्रमोशन मिल रहा था, तब भी नहीं आए। इन दिनों पीसीबी चीफ मोहसिन नकवी हैं और ये ड्यूटी लेते समय उन्हें मालूम था कि नए कोच की तलाश एक बड़ा प्रोजेक्ट है। उधर बोर्ड चीफ बनने के बाद वे सरकार में इंटरनल मिनिस्टर भी बन गए पर बोर्ड चीफ की कुर्सी छोड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है। पीसीबी में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि उनके किसी ऑफिशियल के पास सरकार में भी कोई ड्यूटी हो और इस बार तो आईसीसी ने भी उनकी सरकारी जिम्मेदारी को क्लीन चिट दे दी है। हां, वे मिनिस्टर के तौर पर कोई सेलेरी नहीं लेंगे।
बहरहाल कोच की तलाश में इसके बाद तय हुआ कि लिमिटेड ओवर क्रिकेट और टेस्ट के लिए अलग-अलग कोच बनाएंगे और गैरी कर्स्टन और जेसन गिलेस्पी शार्ट लिस्ट हुए। रिपोर्ट कहती हैं कि अख़बार में इसके लिए एड देने से पहले इन दोनों से बात हो गई थी। 15 अप्रैल आवेदन की आख़िरी तारीख थी। नकवी सब तरीके से कर रहे हैं ताकि उन पर कोई आरोप न लगे- पिछले तीन बोर्ड चीफ रमीज राजा, जका अशरफ और नजम सेठी बिना किसी एड विदेशी कोच/सलाहकार बनाते रहे हैं।
असल में पाकिस्तान के पास तो कोच थे लेकिन इस साल जनवरी में मिकी आर्थर, ग्रांट ब्रैडबर्न और एंड्रयू पुटिक को लाहौर में नेशनल क्रिकेट एकेडमी ट्रांसफर कर दिया था। मौजूदा रिपोर्ट ये है कि डैरेन सैमी और जेसन गिलेस्पी रेस में आए और इस समय बोर्ड ल्यूक रोंची से भी बात कर रहा है- वे तैयार हैं पर अभी समय मांगा है। न्यूजीलैंड के क्रिकेटर थे रोंची और इस समय वहां टीम के असिस्टेंट कोच हैं। वे उस इस्लामाबाद यूनाइटेड टीम के कोच थे जिसने हाल ही में पाकिस्तान सुपर लीग टाइटल जीता। इस बीच ही दक्षिण अफ्रीका से गैरी कर्स्टन का नाम भी सामने आ गया। रिपोर्ट ये है कि जेसन गिलेस्पी रेड बॉल और कर्स्टन वाइट बॉल क्रिकेट के कोच होंगे।
गड़बड़ ये हुई कि इस सब के बीच न्यूजीलैंड के विरुद्ध 18 अप्रैल से शुरू सीरीज आ गई पर बोर्ड की नजर टी20 वर्ल्ड कप पर है। इसीलिए अभी कामचलाऊ इंतजाम किया है और अपने पिछले ऑलराउंडर अज़हर महमूद को नया चीफ कोच बना दिया (करियर 1996 से 2007, 143 वनडे और 21 टेस्ट, 2016 से 2019 तक गेंदबाजी कोच थे) और उनके साथ क्रमशः बल्लेबाजी और स्पिन-गेंदबाजी कोच के तौर पर मोहम्मद यूसुफ और सईद अजमल काम करेंगे जबकि वहाब रियाज़ को सेलेक्टर से हटाकर टीम मैनेजर बना दिया। इनका पहला असाइनमेंट न्यूजीलैंड के साथ 5 मैच की टी20 सीरीज है।
सब जानते हैं कि आज की क्रिकेट में कोचिंग टीम स्ट्रेटजी में ख़ास हो चुकी है। पाकिस्तान के पास बेहतर टेलेंट की कभी कमी नहीं रही लेकिन देश के हालात ने कोच के मामले में हमेशा समझौता करने पर मजबूर किया। पाकिस्तान क्रिकेट अक्सर राजनीतिक और एडमिनिस्ट्रेटिव दखलंदाजी के बिना चलती नहीं जिससे टीम के भीतर अस्थिरता और गुटबाजी एक आम बात है और ऐसे में कोच भी अपने फोकस से भटक जाते हैं। उस पर कोच पर लगातार बेहतर नतीजे का दबाव, फैन और मीडिया की स्क्रूटनी और आलोचना। ये सब बातें किसी को भी कोच बनने से पहले सोचनी पड़ती हैं।
दक्षिण अफ्रीका के अनुभवी कोच मिकी आर्थर ने 2016 में पाकिस्तान क्रिकेट टीम की कमान संभाली। उनके साथ- 2017 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीती (रोमांचक फाइनल में भारत को हराया), वे न सिर्फ डिसिप्लिन, फिटनेस और स्ट्रेटजी पर जोर देते रहे- खिलाड़ी की डेवलपमेंट और मानसिक मजबूती पर भी ध्यान दिया। क्रिकेट कोचिंग में आधुनिकता लाने वालों में से एक बॉब वूल्मर 2004 से 2007 तक पाकिस्तान टीम के कोच थे- स्ट्रेटजी, डेटा एनालिसिस और मॉडर्न ट्रेनिंग पर जोर दिया लेकिन 2007 वर्ल्ड कप के दौरान उनकी मौत ने सब खराब कर दिया। पाइबस दो बार कोच रहे और सबसे ख़ास ये कि वसीम अकरम की टीम वर्ल्ड कप 1999 का फाइनल खेली।
अपने पेसर वकार यूनिस भी कोच रहे- वे अटैक और डिसिप्लिन पर जोर देते रहे जिससे कई यादगार जीत मिलीं। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को भी हराया। इसी तरह जावेद मियांदाद अपने अनुभव से बहुत कुछ सिखाते रहे। पाकिस्तान के अपने क्रिकेटर जब भी कोच रहे तो कहीं न कहीं टीम बाहरी दबाव में बिखरती रही- सेलेक्टर, जैसा सपोर्ट विदेशी कोच को देते रहे हैं, अपने कोच को नहीं दिया। इसीलिए नियमित कोच की बात करें तो फिर से पाकिस्तान की नजर विदेशी कोच पर ही है।
चाहे कर्स्टन हों या गिलेस्पी- पाकिस्तान टीम को एक ऐसे कोच की जरूरत है जो खिलाड़ियों, खासकर बल्लेबाजों की मुश्किल समझ सके। नए कोच के लिए पहली चुनौती खिलाड़ियों को एकजुट करना होगा- खिलाड़ियों में सही एटिट्यूड और तकनीक दोनों की कमी है। टेलेंट है लेकिन सही गाइड करने वाला कोई नहीं। इसलिए मुश्किल आए तो टीम एकदम बिखर जाती है- उसे रोकने के लिए आक्रामक और स्मार्ट कोच की जरूरत है। पाकिस्तान की ज्यादातर हार बल्लेबाजों की नाकामयाबी के कारण हैं।
- चरनपाल सिंह सोबती