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एशिया कप में पहले भारत-पाकिस्तान मैच का भले ही कोई स्पष्ट नतीजा नहीं निकला पर इस मैच ने ये जरूर साबित कर दिया कि पाकिस्तान क्रिकेट में टेलेंट की कोई कमी नहीं और इन क्रिकेटरों के बारे में जो चर्चा है- वह गलत नहीं। आखिरकार पाकिस्तान में क्रिकेट का वह कौन सा घरेलू ढांचा है जिसकी बदौलत उनके पास बेहतर टेलेंट की कभी कमी नहीं रही। सच ये है कि बड़े क्रिकेट देशों में से सबसे अस्थिर यानि कि बार-बार बदलने वाला घरेलू क्रिकेट का ढांचा पाकिस्तान का है और ये एक रहस्य ही है कि फिर भी टेलेंट की कोई कमी नहीं। उनके पास भारत जैसा घरेलू क्रिकेट का ढांचा नहीं, राहुल द्रविड़ नहीं, बोर्ड चीफ क्रिकेट नहीं देश की पॉलिटिक्स बनाती है, उनके पास एनसीए जैसी एकेडमी नहीं और उनके क्रिकेटर दुनिया भर की लीग में पैसा कमाने देश से बाहर खेलते रहते हैं- तब भी टेलेंट की कमी नहीं।

पाकिस्तान के घरेलू क्रिकेट ढांचे की बात करें तो ये बड़ा अनोखा है- पूरी क्रिकेट की दुनिया से बिलकुल अलग और हर कुछ साल बाद, व्यक्तिगत पसंद पर इसे बदलना, वहां एक परंपरा बन गया है। मौजूदा 2023-24 सीज़न में ये फिर से बदल रहा है। नोट कीजिए- 

  • दो अलग-अलग फर्स्ट क्लास टूर्नामेंट- कायद-ए-आज़म ट्रॉफी और प्रेसिडेंट्स कप।
  • इनमें कुल 16 डिपार्टमेंट और रीजनल टीम हिस्सा लेंगी- पाकिस्तान विश्व में अकेला क्रिकेट देश है जिसके फर्स्ट क्लास क्रिकेट ढांचे में डिपार्टमेंट टीम खेलती हैं। पिछली संरचना पर वापस लौट रहे हैं यानि कि डिपार्टमेंट और रीजनल टीमें सीजन एक साथ खेल रही हैं।
  • पुराने ढांचे पर वापस जाने का मतलब है क्रिकेट बोर्ड ने प्रधानमंत्री और 1992 वर्ल्ड कप विजेता कप्तान इमरान खान की सलाह पर बदले ढांचे को बॉय-बॉय कर दिया- इसका मतलब है इमरान का ‘क्वालिटी ओवर क्वांटिटी’ की फिलॉसफी का फार्मूला ठंडे बस्ते में। इमरान खुद डिपार्टमेंट टीम के लिए खेले पर पीएम बने तो इनका फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलना बंद करा दिया था
  • पिछले 3 साल से 6 टीम के साथ घरेलू क्रिकेट खेल रहे थे। अब 16 टीम खेलेंगी- इतना ही नहीं, सीज़न में 10 और डिपार्टमेंट और रीजनल टीम भी खेलेंगी।

घरेलू क्रिकेट ढांचे से डिपार्टमेंट टीम निकलीं तो स्पांसरशिप भी गई और सारा खर्चा बोर्ड झेल रहा था। इमरान के सुझाव बोर्ड चीफ एहसान मनि और रमीज़ राजा ने लागू किए- आलोचना हुई पर इमरान की सलाह कौन न मानता? 1970 के दशक से पाकिस्तान क्रिकेट की रीढ़ रही हैं डिपार्टमेंट टीम- सबसे बड़ा झटका तो ये लगा कि इससे सैकड़ों क्रिकेटरों की नौकरी चली गई। अगर क्रिकेट टीम नहीं बनानी तो क्रिकेटरों को नौकरी पर क्यों रखें डिपार्टमेंट?

नए घरेलू ढांचे में, ये सब यू टर्न के साथ वापस वापस लौट रहे हैं। इस तरह अब डिपार्टमेंट और रीजनल टीम, दोनों टेलेंट चमकाने में पाकिस्तान क्रिकेट की मदद करेंगे। ये नया ढांचा पीसीबी क्रिकेट टेक्निकल कमेटी ने तैयार किया है- इसके चीफ पूर्व कप्तान मिस्बाह-उल-हक हैं और इसमें मोहम्मद हफीज भी हैं। दोनों टूर्नामेंट लीग आधार पर खेलेंगे और टेबल टॉपर्स फाइनल खेलेंगे।

ये नया ढांचा, ऐसा नहीं कि रीजनल क्रिकेट को खत्म कर रहा है। सीजन में 18 रीजनल टीम खेलेंगी- 8 कायद-ए-आज़म ट्रॉफी में जबकि 10 नई शुरू हो रही हनीफ मोहम्मद ट्रॉफी में (गैर फर्स्ट क्लास चार दिवसीय टूर्नामेंट)। पाकिस्तान के सबसे बेहतर बल्लेबाजों में से एक को श्रद्धांजलि के तौर पर गैर फर्स्ट क्लास टूर्नामेंट को उनका नाम दिया है।

तो इस चर्चा का निचोड़ ये है कि डिपार्टमेंट टीम सीजन में वापस लौट रही हैं पर रीजनल टीम के साथ कायद-ए-आज़म ट्रॉफी नहीं खेलेंगी (जैसा पहले होता था) और अब कायद-ए-आज़म ट्रॉफी खत्म होने के बाद, 8 डिपार्टमेंट टीम(सुई नॉर्दर्न गैस पाइपलाइन लिमिटेड, सुई सदर्न गैस कंपनी, वॉटर एंड पावर डेवलपमेंट अथॉरिटी, खान रिसर्च लेबोरेटरीज, पाकिस्तान टेलीविजन, नेशनल बैंक ऑफ पाकिस्तान और स्टेट बैंक- 8 वीं टीम अभी तय नहीं) एक अलग टूर्नामेंट खेलेंगी- प्रेसिडेंट ट्रॉफी। कायद-ए-आजम ट्रॉफी में अब 6 नहीं, 8 टीम खेलेंगी जो नाम से रीजन नहीं, शहर के नाम से खेलेंगी (पेशावर, कराची व्हाइट्स, लाहौर ब्लूज़, रावलपिंडी, एफएटीए-Federally AdministeredTribal Areas, मुल्तान, लाहौर व्हाइट्स और फैसलाबाद)। कायद-ए-आजम ट्रॉफी 10 सितंबर से और प्रेसिडेंट कप 15 दिसंबर से शुरू हैं।

इस नए ढांचे ने साफ़ संकेत दे दिया है कि पाकिस्तान क्रिकेट की बेहतरी के नाम पर इमरान खान के सुझाव की अब कोई जरूरत नहीं है। अब डिपार्टमेंट और रीजनल टीम- दोनों के साथ क्रिकेट सीजन खेलेंगे। मजे की बात ये है कि ये सुधार ऐसे सीज़न के दौरान हुआ है जब पाकिस्तान में कोई भी घरेलू टेस्ट मैच, अभी तक तो तय नहीं है- ऑस्ट्रेलिया में 3 टेस्ट की सीरीज अगले 12 महीनों में पाकिस्तान का टेस्ट क्रिकेट प्रोग्राम है। महिला क्रिकेट के लिए कोई शेड्यूल या नए ढांचे का कोई जिक्र नहीं है।

वहां जैसे घरेलू क्रिकेट का ढांचा बदलता है वैसे ही बोर्ड चीफ भी। खैर ये एक अलग स्टोरी है।  

  • चरनपाल सिंह सोबती

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