आईपीएल महज बनाए रन या लिए विकेट का खेल नहीं है। आईपीएल में उठा हर मसला अब उतनी ही चर्चा पाता है जितना कि इंटरनेशनल क्रिकेट में उठा कोई मसला। आईपीएल 2022 ने इसी संदर्भ में बेल्स को वह चर्चा दिला दी कि आईसीसी के लिए, इस मामले में लंबे समय तक चुप रहना संभव नहीं होगा। आईपीएल 2022 के दो मैच में देखिए क्या हुआ :
1. राजस्थान रॉयल्स – दिल्ली कैपिटल्स : युजवेंद्र चहल ने डेविड वार्नर को लेग ब्रेक पर बीट किया- गेंद स्टंप पर लगी, लाइट चमकी लेकिन बेल्स नहीं गिरीं। नतीजा- चहल को विकेट नहीं मिला। वार्नर जैसे बल्लेबाज को ऐसा मौका देना बड़ा महंगा होता है और आखिर में वही हुआ। वार्नर तब 22 रन पर थे और कैपिटल्स लक्ष्य से 94 रन पीछे और 11 ओवर बाकी थे। वॉर्नर 52* और कैपिटल्स ने मैच जीता।
2. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर- गुजरात टाइटन्स : ग्लेन मैक्सवेल को स्पिनर राशिद खान ने बीट किया- गेंद स्टंप पर लगी, लाइट चमकी लेकिन बेल्स नहीं गिरीं। नतीजा- राशिद को विकेट नहीं मिला। मैक्सवेल जैसे बल्लेबाज को ऐसा मौका बड़ा महंगा होता है और आखिर में वही हुआ- मैक्सवेल 18 गेंदों में 40* रन और उनकी टीम ने मैच जीत लिया ।
ऐसा हो तो बहस तो होनी ही थी। राशिद चुप रहे पर चहल नहीं। संजय मांजरेकर ने कहा अगर कोई गेंद स्टंप से टकराई और लाइट चमके लेकिन बेल्स नहीं गिरीं तो बल्लेबाज आउट होना चाहिए। चहल उनसे सहमत थे – ‘वार्नर जैसे बल्लेबाज ज्यादा मौके नहीं देते… अगर वह उस समय आउट हो जाते तो शायद मैच का नतीजा कुछ और होता।’
मौजूदा सिस्टम ये है कि एलईडी-स्टंप को तीन तरह से आउट होने के फैसले में आधार बनाया जाता है- बोल्ड, स्टंपिंग और रन-आउट। बल्लेबाज को आउट घोषित करने के लिए बेल्स का स्टंप के ऊपर से गिरना जरूरी है। एलईडी लाइट्स तभी चमकती हैं जब एक या दोनों बेल्स पर लगे स्पिगोट्स अपने खांचे से हटें- भले वे फिर से वापस अंदर अपनी जगह चले जाएं। ऊपर जिन दो मिसाल का जिक्र है, उनमें जैसे ही गेंद स्टंप पर लगी, बेल खांचे से निकल गई, लाइट चमकी लेकिन बेल वापस खांचे में फिट हो गईं।
क्रिकेट लॉज़ कहते हैं – बेल्स हैं, तो गिरनी चाहिए। बेल्स से छुटकारा पाने का मामला आसान नहीं- सालों से चली आ रही परंपरा को बदलना होगा। जो बेल्स को हटा ही देने की वकालत कर रहे हैं उनमें रवि शास्त्री भी हैं- एलईडी स्टंप का उपयोग बढ़ाओ और बेल्स को ‘गैर जरूरी’ बनाओ। ये बात, गेंदबाज के नजरिए से तो सही लगती है कि लाइट चमके तो आउट लेकिन यह लॉ 100 साल पुराना है और चला आ रहा है तो कोई बात तो होगी। शायद ‘भाग्य’ को भी खेल में शामिल कर दिया। शास्त्री ने अपनी एक मिसाल बताई। मुंबई में वानखेड़े में वेस्टइंडीज के विरुद्ध- माइकल होल्डिंग गेंदबाज और शास्त्री 70 के आस-पास थे। एक तेज गेंद- शास्त्री के पास से निकलकर जेफरी डुजोन के पास चली गई। कुछ सेकंड बाद अचानक ही अपील हुई क्योंकि एक बेल नीचे गिरी हुई थी। किसी ने कुछ नहीं देखा या सुना लेकिन बेल गिर गई। शास्त्री आउट पर वे बड़े परेशान थे कि हुआ क्या? जब बाद में स्लो मोशन में एक्शन रिप्ले देखा तो ये सही फैसला था- होल्डिंग की गेंद स्टंप पर नहीं लगी पर जिस तेजी से गेंद स्टंप्स के करीब से निकली- उसने बेल को हिला/हटा दिया। ये है क्रिकेट का रोमांच।
आईपीएल 2022 में तो ऐसा दो ही बार हुआ। आईपीएल 2019 में चार बार बेल्स ने, गेंद स्टंप पर लगने के बावजूद, गिरने से इनकार कर दिया था। इस साल एशेज के चौथे टेस्ट में इंग्लिश क्रिकेटर बेन स्टोक्स को जब एलबीडब्लू दिया गया तो स्टोक्स ने रिव्यू मांगा। उस रिव्यू में वे एलबीडब्ल्यू आउट से तो बच गए पर पता चला कि गेंद स्टंप पर जोर से लगी। और भी कमाल ये कि बेल्स नहीं गिरी। इसे कहते हैं किस्मत। ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर कैमरन ग्रीन को महत्वपूर्ण विकेट नहीं मिला।
उस समय ऑस्ट्रेलिया के 416-8 के जवाब में इंग्लैंड 57-5 पर था। बाद में स्टोक्स ने 8 चौकों की मदद से 70 गेंदों में अपना पहला 50 पूरा किया। स्टोक्स ने आउट होने से पहले 91 गेंदों पर 66 रन बनाए और इंग्लैंड ने तीसरे दिन सात विकेट पर 258 रन बनाए।
एशेज की इस मिसाल के बाद भी आईसीसी ने बेल्स पर कोई कार्रवाई नहीं की। तब तो सचिन तेंदुलकर ने भी कहा था कि बेल्स को नए ‘हिटिंग द स्टंप्स’ लॉ के साथ बदल दो।अब आईपीएल ने फिर से बेल्स को चर्चा दिला दी। क्या आईसीसी के पास कोई जवाब है या फिर इसे ‘किस्मत कनेक्शन’ मान कर ऐसे ही खेलते रहें।
– चरनपाल सिंह सोबती