fbpx

आईसीसी ने टेस्ट क्रिकेट में, इस साल 1 जून से नई प्लेइंग कंडीशन को लागू कर दिया है- जिसका मतलब है इंग्लैंड-आयरलैंड टेस्ट इनके साथ खेला जाने वाला पहला टेस्ट होगा पर ख़ास बात ये है कि जिन कंडीशन के साथ डब्ल्यूटीसी के मौजूदा राउंड का कोई टेस्ट नहीं खेले- वे फाइनल पर लागू होंगी।

सबसे ख़ास ये कि कई विवादों के बाद, टेस्ट क्रिकेट में, अंपायरों के सॉफ्ट सिग्नल को किया खत्म। ये सिग्नल, ग्राउंड अंपायर तब देते थे जब वे किसी विवादित कैच पर फैसले के लिए थर्ड अंपायर को कहते थे। थर्ड अंपायर से फैसला लेना है तो पिच पर मौजूद अंपायर पहले खुद बताए कि उनकी राय में बल्लेबाज आउट है या नहीं? अब इसे बताने की कोई जरूरत नहीं और थर्ड अंपायर खुद फैसला लेंगे- ठीक वैसे ही जैसे रन-आउट और स्टंपिंग पर करते हैं।  

आईसीसी में, ये तय करने वाली क्रिकेट कमेटी के चीफ सौरव गांगुली ने कहा- ‘पिछले कुछ सालों इस मसले पर कई बार चर्चा हुई। अब फैसला ले लिया है कि सॉफ्ट सिग्नल की कोई जरूरत नहीं- कई बार तो सॉफ्ट सिग्नल, भ्रम पैदा कर, फैसले को और उलझा देता है। ये बदलाव महिला क्रिकेट पर भी लागू हो गए। 
जब ये तय किया था कि ग्राउंड अंपायर सॉफ्ट सिग्नल देंगे तो वास्तव में इरादा था थर्ड अंपायर को मदद देने का पर हुआ ये कि ऑन-फील्ड अंपायर का ये इशारा मामले को और उलझा गया ख़ास तौर पर ऐसे मामलों में जहां वीडियो फुटेज से कोई मदद नहीं मिल रही थी।

बेन स्टोक्स तो बहुत पहले से कह रहे थे कि आईसीसी को सॉफ्ट सिग्नल से छुटकारा पाना चाहिए और थर्ड अंपायर ही फैसला दें- ख़ास तौर पर इस साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया-दक्षिण अफ्रीका टेस्ट में जो हुआ, उसके बाद। कुछ तो गड़बड़ थी- तभी तो इस मामले में आईपीएल, आईसीसी से भी तेज रही और 2021 में ही सॉफ्ट सिग्नल को हटा दिया था। आम राय ये है कि ये फैसला सही रहा।

साथ-साथ, आईसीसी ने इंटरनेशनल क्रिकेट में तेज गेंदबाजों का सामना करते हुए बल्लेबाज और विकेटकीपर के स्टंप पर खड़े होने और बल्लेबाज के पास के फील्डर के लिए हेलमेट जरूरी कर दिया। इसके पीछे सोच खिलाड़ियों की सुरक्षा है। ये भी तय हो गया कि खेल के दौरान प्राकृतिक रोशनी कम है तो फ्लड लाइट्स को चालू किया जा सकता है। ये भी कि अगर सीरीज के नाम पर एक ही टेस्ट खेल रहे हैं तो एक रिजर्व दिन (छठा) होगा। एक और मजेदार कंडीशन नया ‘फ्री हिट रूल’ है। फ्री हिट लॉ में अब गेंद स्टंप से टकराए तो किसी भी रन को अब, बनाए गए रन के तौर पर ही गिना जाएगा। इसका मतलब ये कि बल्लेबाज अब फ्री हिट पर ‘बोल्ड’ तो भी वह रन की कोशिश कर सकता है। ये बिना शॉट लगाए- रन मिलने का मामला होगा।

अब फिर से लौटते हैं सॉफ्ट सिग्नल पर। ऑस्ट्रेलिया में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध नए साल के टेस्ट के दौरान तीन अलग-अलग मोके पर टेलीविजन अंपायर से नीचे रहे कैच पर फैसला मांगा- दो मौके पर उन्होंने सॉफ्ट सिग्नल को नजरअंदाज कर दिया। ऐसा किया तो क्यों और जिस कैच के लिए माना तो क्यों- इस सवाल का लोई जवाब नहीं था। मामला इसलिए और उलझ गया क्योंकि इन तीनों में रिप्ले में कुछ ख़ास नहीं था। इन्हीं में से एक मार्नस लाबुशेन का कीमती विकेट भी था और वे खुद माने कि खुशकिस्मत रहे।

सॉफ्ट सिग्नल पर 2022 में एक बदलाव किया था और ये स्पष्ट किया कि थर्ड अंपायर के लिए जरूरी नहीं कि उसे मानें- जब उन्हें रेफर कर दिया तो पूरा अधिकार उनका। असल में, उससे पहले, टीवी अंपायर के पास अगर सॉफ्ट सिग्नल वाले फैसले को बदलने का कोई ठोस आधार न हो तो वह उसी फैसले को बरकरार रखते थे। नए स्पष्टीकरण के बाद, वे सिर्फ तब सॉफ्ट सिग्नल पर ध्यान देने लगे जब या तो टेक्निकल मदद न मिल रही हो या किसी वजह से रिप्ले उपलब्ध न हो।

खुद स्टोक्स की इंग्लैंड टीम को एक ऐसी ही गफलत से फायदा हुआ। पिछले साल पाकिस्तान में एक टेस्ट में सऊद शकील को आउट दे दिया जबकि सब मान रहे थे कि वह आउट नहीं और पाकिस्तान के कप्तान बाबर आज़म ने तो यहां तक कहा था कि थर्ड अंपायर की इस कॉल ने उन्हें टेस्ट में हार तक पहुंचा दिया।
एक और मजेदार किस्सा 2021 का है। सूर्यकुमार यादव (57) का कैच, इंग्लैंड के सीमर सैम क्यूरन की गेंद पर डीप स्क्वायर-लेग में दाविद मालन ने पकड़ा। ऑन-फील्ड अंपायर केएन अनंतपदमनाभन का सॉफ्ट सिग्नल ‘आउट’ था। थर्ड अंपायर वीरेंद्र शर्मा लगभग चार मिनट तक फुटेज देखते रहे- तब भी यह तय नहीं कर सके कि कैच साफ़ था या नहीं? आखिर में वे अनंतपदमनाभन के सॉफ्ट सिग्नल के साथ गए और यादव को आउट दे दिया। तब भारत के कप्तान विराट कोहली इस फैसले से बहुत खुश नहीं थे और जोर देकर कहा कि अगर थर्ड अंपायर कुछ तय नहीं कर पा रहे तो ये जरूरी न हो कि सॉफ्ट सिग्नल ही मानना है।

कुछ महीने बाद, न्यूजीलैंड के ओपनर डेवोन कॉन्वे को एजबेस्टन टेस्ट के दौरान नॉट आउट दिया जबकि रिप्ले में साफ़ दिख रहा था कि स्लिप में ज़क क्रॉली ने बड़ी आसानी से कैच पकड़ा है।  इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड ने अगले दिन का खेल शुरू होने से पहले कहा ऐसा तरीका अंपायरों को वास्तव में मुश्किल स्थिति में डाल रहा है- ग्राउंड अंपायर तभी तो रेफर कर रहे हैं क्योंकि उन्हें  यकीन नहीं कैच पर। तब भी राय देने के लिए मजबूर किया जा रहा है और थर्ड अंपायर के हाथ इससे बंध जाते हैं।  

चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *