आईपीएल सीजन 2022 अपने आखिरी पड़ाव के करीब। मैचों की गहमा-गहमी में एक बड़ी ख़ास खबर पर किसी ने भी ध्यान ही नहीं दिया। आईपीएल को प्रसार भारती ने उन खेल आयोजनों की लिस्ट से हटा दिया जिनकी लाइव ब्रॉडकास्ट फीड, प्राइवेट ब्रॉडकास्टर (यानि कि जिसने बड़ा पैसा देकर लाइव ब्रॉडकास्ट अधिकार खरीदे) को मुफ्त बांटनी पड़ेगी प्रसार भारती के साथ। लिस्ट समय के साथ बदलती रहती है- अब आईपीएल को लिस्ट से बाहर कर दिया है और टेस्ट मैचों को शामिल कर लिया है। ये फैसला मिनिस्ट्री ऑफ़ इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग का है।
आपकी जानकारी के लिए, कानून ये है कि स्पोर्ट्स ब्रॉडकास्टिंग सिग्नल एक्ट 2007 (प्रसार भारती के साथ जरूरी सिग्नल बांटना) के तहत, राष्ट्रीय महत्व के मैचों का ब्रॉडकास्ट, पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टर प्रसार भारती द्वारा किया जाता है- मुफ्त मिली लाइव फीड से। सभी खेलों की लिस्ट पर नहीं जाते- क्रिकेट लिस्ट में टेस्ट के अलावा, भारत के सभी वनडे और टी20 मैच, वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल और फाइनल, टी20 वर्ल्ड कप, चैंपियंस ट्रॉफी, एशिया कप और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल का भी ब्रॉडकास्ट इसमें शामिल है (पुरुष-महिला क्रिकेट दोनों)- भले ही ब्रॉडकास्ट अधिकार किसी भी चैनल /कंपनी ने ख़रीद रखे हों।
टेस्ट को लिस्ट में शामिल करने की वजह- प्रसार भारती के मुताबिक टेस्ट मैचों को देश भर में लोकप्रियता मिलना। बीसीसीआई को अच्छी तरह मालूम है कि टेस्ट कितने देखे जाते हैं? इसलिए इस नई लिस्ट की उनके लिए सबसे अच्छी खबर ये है कि आईपीएल को छोड़ दिया- एक ऐसे समय पर जबकि बोर्ड नए आईपीएल ब्रॉडकास्ट अधिकार बेच रहा है। अब वे कह सकते हैं कि जो आईपीएल ब्रॉडकास्ट अधिकार खरीदेगा, उसे (हाल-फिलहाल) प्रसार भारती के साथ मुफ्त में, लाइव फीड नहीं बांटना होगा। बोर्ड ने 2023-2027 के आईपीएल राउंड के लिए, लाइन पर नए ब्रॉडकास्ट सौदे की निम्नतम कीमत 32,890 करोड़ रुपये रखी है (मौजूदा स्टार कॉन्ट्रैक्ट से लगभग दोगुना)। उम्मीद तो वे इससे भी बड़ी रकम की कर रहे हैं।
पिछली लिस्ट में, भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम के सभी ऑफिशियल वन डे, टी 20 इंटरनेशनल और भारत के बड़े ख़ास टेस्ट ही पुरुष वर्ल्ड कप और आईसीसी चैम्पियनशिप ट्रॉफी के अतिरिक्त कवर किए गए थे। बेशक, इससे आम खेल प्रेमी बड़े खुश होंगे क्योंकि अब पे चैनल/एप के पैसे खर्चे बिना ही उन्हें वे सभी बड़े मैच देखने को मिलेंगे जो पब्लिक ब्रॉडकास्टर प्रसार भारती अपने दूरदर्शन टेलीविजन नेटवर्क पर दिखाएगा। दूसरी तरफ इस नई लिस्ट ने पैसा खर्च कर ब्रॉडकास्ट अधिकार खरीदने वालों के दर्द को फिर उभार दिया है। स्पोर्ट्स ब्रॉडकास्टर को अपने टेलीविजन अधिकारों के लिए खर्चे कई करोड़ रुपये वापस कैसे मिलेंगे- सबसे बड़ा सवाल ये है। सरकार ने, बिना खर्च प्रसार भारती के साथ कवरेज को साझा करने के लिए मजबूर किया हुआ है ब्रॉडकास्टर को।
स्पोर्ट्स ब्रॉडकास्टिंग सिग्नल एक्ट, 2007 के तहत, कोई भी प्राइवेट ब्रॉडकास्टर भारत में “राष्ट्रीय महत्व के खेल आयोजन” का ब्रॉडकास्ट तब तक नहीं कर सकता जब तक कि वह प्रसार भारती के साथ (बिना विज्ञापन) लाइव सिग्नल शेयर नहीं करता। ये सिग्नल तब दूरदर्शन अपने नेटवर्क और डायरेक्ट-टू-होम प्लेटफॉर्म डीडी फ्री डिश पर ब्रॉडकास्ट कर सकता है।
ठीक है कि सभी बड़े क्रिकेट मैच फ्री-टू-एयर टेलीविजन पर देखे जा सकें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इन मैचों को देखें। अगर ऐसा करना है तो ब्रॉडकास्ट अधिकार खरीदने की कीमत भी तो कम हो। क्रिकेट बोर्ड हर बार कीमत बढ़ा रहा है तो ऐसे में मुफ्त लाइव फीड बांटते रहेंगे तो कैसे काम चलेगा? उस पर जब एक बार दूरदर्शन से सिग्नल शेयर हो जाता है तो उसकी चोरी रोकने के सारे इंतजाम, जो ब्रॉडकास्टर ने किए थे, फेल हो जाते हैं। ये लड़ाई इस एक्ट के बनने के बाद से लगातार चली आ रही है कि प्रसार भारती भी कुछ पैसा तो दे पर जब सरकार उनके साथ तो वे पैसा क्यों देना चाहेंगे? दूसरे कई देशों में भी ऐसी पार्टनरशिप चल रही है और सरकार ने उसी को देखकर ये एक्ट बनाया पर इसमें शर्तें वही लिखीं जो उनके अपने फायदे वाली थीं। एक बड़ी अच्छी मिसाल यूके है – वहां 75:25 या 60:40 के अनुपात पर (महत्व केहिसाब से) बीबीसी हिस्सा देते हैं खर्चे में। कई देशों में मुफ्त फीड का सिस्टम इस शर्त पर चलता है कि फीड देने वाले को मुफ्त विज्ञापन समय मिल जाता है और उससे कुछ पैसा तो मिल ही जाता है। वे विज्ञापन के ऐसे पेकेज भी बना लेते हैं कि एक ही विज्ञापन सभी चैनल पर दिखाया जाए।
इस तरह का शोरे कुछ साल पहले तक तो लगातार सुनाई देता था पर इधर कुछ सालों से सभी ने हालात से ‘समझौता’ कर लिया है। ऐसे ही शोर पर दूरदर्शन को सिर्फ हाइलाइट्स (1970 और 1980 के दशक में) का मुफ्त ब्रॉडकास्ट मिलने की मिसाल भी है। भारत में मौजूदा सिस्टम ये है कि प्रसार भारती ने प्राइवेट ब्रॉडकास्टर को मुफ्त फीड के बदले में विज्ञापन की कमाई में से तय प्रतिशत हिस्सा देना शुरू कर दिया है- इसमें भी सरकार की जबरदस्ती चलती है। प्राइवेट ब्रॉडकास्टर बार-बार कह रहे हैं कि प्रसार भारती की तुलना में हम विज्ञापन समय की बेहतर मार्कटिंग करते हैं जिससे ज्यादा पैसा आता है और दोनों का उस तय प्रतिशत सिस्टम में भी फायदा हो जाएगा पर प्रसार भारती को ये मंजूर नहीं- खुद विज्ञापन समय बेचते हैं। जो बिक्री प्राइवेट ब्रॉडकास्टर मैच/टूर्नामेंट से महीनों पहले शुरू कर देते हैं- कई बार तो प्रसार भारती ने विज्ञापन समय की बिक्री सिर्फ कुछ घंटे पहले शुरू की। ऐसे में पैसा कहां से आएगा?
आईपीएल को लिस्ट से हटाकर सरकार ने बीसीसीआई का बड़ा भला कर दिया है। बोर्ड भी जानता कि टेस्ट देखता कौन है- यहां तक कि प्राइवेट ब्रॉडकास्टर उन्हें भारत के एक टेस्ट के लिए सिर्फ 60 करोड़ का भुगतान करता है- टी 20 आई और ओडीआई के लिए दर्शक ज्यादा और पैसा भी कहीं ज्यादा। इसलिए बोर्ड को ई-नीलामी में आईपीएल मीडिया अधिकारों की बिक्री से रिकॉर्ड रिटर्न की उम्मीद है।
आईपीएल फीड शेयरिंग का मुद्दा 2018 से झगड़े में है। सरकार चाहती थी कि पब्लिक ब्रॉडकास्टर (स्टार), प्रसार भारती के साथ लाइव फीड शेयर करे पर 16,347 करोड़ के आईपीएल अधिकार जीतने के बाद स्टार ने आनाकानी की। उन्हें झटका देने के लिए सरकार ने उनके अपलिंकिंग परमिट को अटका दिया। तब इस दबाव में स्टार को भी समझौता करना पड़ा और स्टार ने हर हफ्ते एक मैच, नॉकआउट और फाइनल मैच की फीड को एक घंटे की देरी से मुफ्त देने की बात मान ली। स्टार ने तब कोर्ट में कहा- वे ऐसा ‘सामाजिक जिम्मेदारी’ के तौर पर कर रहे हैं, न कि ‘कानूनी दायित्व’ के तौर पर। अब तो खैर,आईपीएल मैच ही लिस्ट से बाहर कर दिए गए हैं।
– चरनपाल सिंह सोबती