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ENG- IND 2021 : टीम का मिजाज ही एकदम बदल जाता है जब ये निचले बल्लेबाज़ रन बनाते हैं

क्रिकेट में एक बड़ी पुरानी मान्यता है कि जो रन टॉप बल्लेबाज़ बनाएं, वह तो उनकी ड्यूटी और जो रन नीचे के बल्लेबाज़ (नंबर 8 से 11) बनाएं वह बोनस। कई बार यही बोनस रन दोनों टीम के बीच हार और जीत का फर्क बन जाते हैं। इसलिए अगर नीचे के बल्लेबाज़ रन बना दें तो टीम की बैटिंग का मिजाज ही एकदम बदल जाता है। वही लॉर्ड्स टेस्ट में हुआ। जब भारत ने 181/6 के स्कोर से दिन 5 पर आगे खेलना शरू किया तो इंग्लैंड क्या, टीम इंडिया ने भी नहीं सोचा होगा कि क्या होने वाला है?

जो हुआ उसे ‘बूम- शैम’ का नाम दिया सुनील गावस्कर ने कमेंट्री में क्योंकि ये बुमराह और शमी का बॉक्स-ऑफिस शो था। इंग्लैंड के गेंदबाजों ने किताब में मौजूद हर चाल आजमाई। बुमराह को हेलमेट पर भी गेंद मारी- इसने बुमराह का इरादा और पक्का कर दिया। आखिर में भारत की बढ़त 271 रन थी और इंग्लैंड को जीत के लिए 272 रन बनाने की चुनौती मिली।

  • मोहम्मद शमी : करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर 56* (70 गेंद), 53 टेस्ट में अपना दूसरा 50 का स्कोर- जिसमें लगातार गेंदों में एक चौका और एक बड़ा छक्का भी था। 50 रन 57 गेंद में।
  • भारतीय बल्लेबाज जो लॉर्ड्स में छक्के के साथ 50 तक पहुंचे : 1982 में कपिल देव और 2021 में मोहम्मद शमी।
  • मोहम्मद शमी का लॉर्ड्स में टेस्ट स्कोर- यहां सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, रिकी पोंटिंग, जैक्स कैलिस, एबी डि विलियर्स और चेतेश्वर पुजारा से भी ज्यादा है।
  • जसप्रीत बुमराह : 33 टेस्ट पारी में सिर्फ तीसरी बार दो अंक का स्कोर, 34* (64 गेंद)।
  • बुमराह के 22 टेस्ट- उनके टेस्ट करियर में पहली बार उनके नाम टेस्ट विकेट से ज्यादा टेस्ट रन हैं (105 रन और 95 विकेट)।
  • 9 वें विकेट के लिए दोनों ने 89 रन जोड़े- लॉर्ड्स में इस विकेट के लिए नया भारतीय रिकॉर्ड (पिछला रिकॉर्ड : 1982 में कपिल देव (89) – मदन लाल (15) के 66 रन।
  • संयोग से, इस सीरीज में इससे पहले दोनों में से किसी भी खिलाड़ी ने 10 के स्कोर को भी पार नहीं किया था। बुमराह और शमी को शार्ट पिच गेंद फेंकी गईं, स्लेजिंग हुई पर हर बार जवाब किसी बड़े स्ट्रोक या बॉउंड्री से दिया। यही वजह है कि जब आखिर में दोनों पवेलियन लौटे, तो पूरी भारतीय टीम उनके स्वागत के लिए ग्राउंड फ्लोर पर थी । बड़ी राहत की सांस मिली- काश अक्सर ही ऐसा ही हो। पिछले कई साल से टेलेंडर की बैटिंग भारतीय टीम के लिए एक समस्या है और ये कोई आसानी से हल होने वाला मसला नहीं है।
  • साउथम्प्टन 2018 : सीरीज बराबर करने के लिए 245 रन की जरूरत- 5 विकेट पर 150 रन लेकिन आखिरी पांच विकेट 34 रन पर गंवा दिए।
  • लगभग ऐसा ही पर्थ 2018. क्राइस्टचर्च 2020, एडिलेड 2020 और साउथम्प्टन 2021 में हुआ।
  • ऊपर की 5 हार, विदेश में भारत की आखिरी सात हार में से हैं। इन पांच टेस्ट में से हर एक में, 6 विकेट गिरने पर भारत का पहली पारी का स्कोर दूसरी टीम से बेहतर (सिर्फ पर्थ में बराबर)। इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के निचले क्रम ने उन पारियों में अपने स्कोर में 160, 75, 82, 80 और 87 जोड़े, जबकि भारत के आखिरी 4 विकेट ने 84, 32, 45, 38 और 35 जोड़े। क्या मुकाबले वाला योगदान इन टेस्ट का नतीजा नहीं बदलता? स्पष्ट है- निचले क्रम की बैटिंग एक समस्या है।
  • और देखिए- 2018 की शुरुआत से, भारत के निचले क्रम के बल्लेबाजों (नंबर 8 और नीचे) का औसत सिर्फ 13.39 है- सिर्फ दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, जिम्बाब्वे और अफगानिस्तान से बेहतर। अगर टेल को नंबर 9 से 11 तक गिन लें तब तो भारत का रिकॉर्ड सबसे खराब है। इसीलिए जो लॉर्ड्स में हुआ, वह किसी चमत्कार से कम नहीं।

यह निचले क्रम वाला मुद्दा भारत पर तब ज्यादा असर नहीं डालता जब अपनी पिचों पर खेलते हैं क्योंकि यहां भारत उन स्पिन- ऑलराउंडर को मौका देता है जो रन बना लेते हैं। बाहर जब पेस अटैक के साथ खेलना हो तो ये पॉलिसी नहीं चलती और वहीं इन निचले बल्लेबाज़ से बोनस रन की सख्त जरूरत रहती है। यही वजह है कि हार्दिक पांड्या को खिलाने का लालच किया जाता है। वे चौथे सीमर की जगह ले लेते हैं और रन भी बनाते हैं। वही लालच शार्दुल ठाकुर पर ट्रांसफर हो गया।

लॉर्ड्स टेस्ट शुरू होने से पहले एक बड़ा मजेदार सवाल उठा था- क्या भारत के नंबर 8 से 11 तक के बल्लेबाज़ किसी टेस्ट टीम के आज तक के सबसे घटिया बल्लेबाज़ हैं? इस बात के उठने की वजह इन चारों की टेस्ट शुरू होने के समय की बैटिंग की घटिया औसत से ही समझ आ जाएगी :
मोहम्मद शमी : 11.23
इशांत शर्मा :8.25
जसप्रीत बुमराह : 3.74
मोहम्मद सिराज : 11.50

खैर ये तो रिसर्च से पता लग गया कि ये सोच गलत है पर इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि भारत की नीचे की बैटिंग के बारे में क्या सोचा जाता है? एक मिसाल- 1999 में ओवल में न्यूजीलैंड के विरुद्ध इंग्लैंड की एक टीम ऐसी थी जिसमें एंडी कैडिक (आख़िरी टेस्ट औसत 10.37) नंबर 8 पर और उसके बाद एलन मुलाली (5.52), फिल टफनेल (5.09) और एड गिडिन्स (2.50) थे। और देखिए – लॉर्ड्स में टेस्ट शुरू होने से पहले शमी, इशांत शर्मा, जसप्रीत बुमराह और सिराज ने मिलकर फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 2476 रन बनाए थे 9.30 के औसत से। दिसंबर 2019 में रावलपिंडी में श्रीलंका के विरुद्ध टेस्ट में पाकिस्तान के आख़िरी चार – उस्मान शिनवारी, मोहम्मद अब्बास, शाहीन शाह अफरीदी और नसीम शाह- ने सिर्फ 8.34 की औसत से 1043 फर्स्ट क्लास रन बनाए थे। इसलिए भारत के ये नीचे के बल्लेबाज़ ,उतने खराब नहीं जितने लगते हैं पर ‘टीम मांगे मोर’।

अब जबकि निचले क्रम के बल्लेबाज़ों (नंबर 8 से 11) की बैटिंग की बात चल ही रही है तो आप को कुछ और रिकॉर्ड जानने में जरूर रूचि होगी :

  • अगर हर टीम का सर्वकालीन नंबर 8-11 का बैटिंग का टेस्ट रिकॉर्ड (जैसे भारत का 1932 से 2021 के लॉर्ड्स टेस्ट तक) देखें तो हैरान करने वाली बात ये है कि भारत के बल्लेबाज़ की औसत 16.40 है (दक्षिण अफ्रीका के बराबर) और सिर्फ न्यूजीलैंड (16.68) और आयरलैंड (19.63) का रिकॉर्ड इससे बेहतर है। इसका मतलब है- उतने खराब नहीं, जितना समझा जाता है। भारत का रिकॉर्ड – 3002 पारी में 36687 रन- 18 सेंचुरी के साथ।
  • ये रिकॉर्ड कैसे संभव हुआ? इस रिकॉर्ड के लिए जिम्मेदार हैं कुछ ख़ास बल्लेबाज़ जो खेले तो नंबर 8-11 में पर बहुत अच्छी बैटिंग कर गए। जैसे कि न्यूजीलैंड के रिकॉर्ड को सुधारा डेनियल वेटोरी ने 137 पारी में 3502 रन बनाकर- 30+ औसत से जिसमें 5 सेंचुरी थीं। भारत के लिए इन नंबर की बैटिंग में हरभजन सिंह (2204 रन), अनिल कुंबले (2113), कपिल देव (1967), आर अश्विन (1723), सैयद किरमानी (1598), ज़हीर खान (1221), किरन मोरे (1180) और रविंदर जडेजा (1165) ने 1000+ रन बनाए।
  • चरनपाल सिंह सोबती
One thought on “ENG- IND 2021 : टीम का मिजाज ही एकदम बदल जाता है जब ये निचले बल्लेबाज़ रन बनाते हैं”
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