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तो भारत ने विदेश में एक और टेस्ट जीत लिया – ख़ास तौर पर लॉर्ड्स में जीत की तो बात ही कुछ और है।15 अगस्त के दिन का राष्ट्रगान टीम इंडिया के क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा बना। सबसे ख़ास बात ये कि इस टेस्ट में बहुत कुछ ऐसा हुआ जिसकी झलक का इंतज़ार था टीम इंडिया की क्रिकेट में।

आखिरी दिन का खेल शुरू हुआ तो भारत 154 रन से आगे था। इंग्लैंड के लिए लक्ष्य बढ़ाने की हर उम्मीद पंत पर टिकी थी। पंत फेल – भारत तब 167 रन से आगे और तीन विकेट बचे थे। इंग्लैंड ने कल्पना भी नहीं की होगी कि आगे क्या होगा – जिस भारतीय टेल की कमजोरी, टीम का सबसे चिंता वाला पहलू था, उसी की बदौलत लंच के दस मिनट बाद पारी तब समाप्त घोषित हुई जब शमी और बुमराह 89* रन जोड़ चुके थे 9 वें विकेट के लिए। जिस तरह कहते थे कि अच्छी ओपनिंग मिले तो जीत मिलती है – उसी तरह पिछले कुछ सालों का फार्मूला ये है कि जब टैलेंडर रन बनाएं तो दूसरी टीम का हौसला पस्त हो जाता है।

यही वह मुकाम था जब इंग्लैंड टेस्ट हार गया – इंग्लैंड टीम और ख़ास तौर पर कप्तान रुट ने जो गलतियां इस दौरान कीं, इंग्लैंड उनके मनोविज्ञान से निकल ही नहीं पाया।स्टेडियम में कई पुराने कप्तान मौजूद थे – कोई भी रुट की रणनीति या फील्ड सेटिंग्स को नहीं समझ नहीं पा रहा था। एक समय मार्क वुड दो टेलेंडर्स पर 93 मील प्रति घंटा की तेजी वाले रॉकेट दाग रहे थे और कप्तान ने पांच फील्डर बाउंड्री पर लगा दिए थे – एक फाइन थर्ड मैन, एक लॉन्ग लेग, एक डीप स्क्वायर लेग, एक डीप मिड- विकेट और डीप कवर और कोई स्लिप नहीं। बाद में बैटिंग में रोहित शर्मा और विराट कोहली ने कैच छोड़कर उनकी मदद की – तब भी नहीं बचे। शॉर्ट-पिच गेंदबाजी से इंग्लैंड ने भारत के निचले क्रम पर डराने वाली गेंदबाजी के साथ हमला किया – जाहिर तौर पर इंग्लैंड की पहली पारी के आखिर में जेम्स एंडरसन के साथ किए गए व्यवहार के जवाब में, पर ये इंग्लैंड को उल्टा पड़ा।

तब 30 मिनट बचे थे जब जीत हासिल की – इंग्लैंड को 120 रन पर आउट करने के बाद। 272 रन का लक्ष्य था – जीत नहीं सकते थे तो ड्रा भी नहीं कर पाए। टीम इंडिया के क्रिकेटर 5 दिन की क्रिकेट के बाद भी कितने जोश में थे इसका अंदाज़ा इसी से लगाइए कि जब तक एंडरसन ने अपना आखिरी स्ट्रोक पूरा किया – 6 में से 4 स्टंप उखड़ चुके थे। स्टैंड में जोशीले भारतीय प्रशंसक मौजूद थे जो जीत की खुशबू मिलते ही £20 (लगभग 2200 रुपए) के टिकट खरीदकर कुछ देर की क्रिकेट देखने के लिए सेंट जॉन्स वुड स्ट्रीट से एकदम स्टेडियम में आ गए थे।

विराट कोहली के लिए जीत – उनकी कप्तानी के लिए टॉनिक। एक कप्तान जो अब अपने बैट से कमाल नहीं कर पा रहा उसने इंग्लिश जमीन पर एक अलग तरीके और स्वैग के साथ जीत हासिल की :

  • टीम में चार तेज गेंदबाज।
  • टीम का नंबर 1 स्पिनर टीम से बाहर।
  • जो क्रिकेट खेली वह पारंपरिक रेड-बॉल और वाइट-बॉल क्रिकेट का मिला – जुला कौशल थी।
  • इंग्लैंड को बाँध दिया और खुद बैकफुट पर गए नहीं – स्लेजिंग का जवाब स्लेजिंग से।

क्या किसी इंग्लिश टेस्ट टीम को, इससे पहले कभी, किसी घरेलू टेस्ट में इस तरह के मुकाबले का सामना करना पड़ा है? 1970 और 1980 के दशक के वेस्टइंडीज ने आमतौर पर गेंद और बैट से झटका दिया – शब्दों से नहीं। 1980 और 1990 के दशक की ऑस्ट्रेलिया टीमों का हौसला बढ़ाने वाले इससे तीन-चौथाई हिस्सा भी दर्शक नहीं होते थे। यहां जो रूट की टीम के साथ हुआ – वे उसे भुला नहीं पाएंगे। मैच के पहले 13 सैशन में दोनों टीम की क्षमता में कोई ख़ास अंतर नजर नहीं आया। आखिरी दो में – पहले मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह के बैट और फिर इन दोनों की गेंदबाज़ी ने इंग्लैंड पर पूरा कंट्रोल बना दिया – मानो कोई एडल्ट टीम, इंग्लैंड की बच्चों की टीम से खेल रही हो। इतना तो होना ही चाहिए था कि इंग्लैंड धीमी पिच पर 60 ओवर खेल सके। 11 गेंदों के अंतराल में, दोनों ओपनर गए और सब बदल गया। देखिए :

  • सैम कुरेन – लॉर्ड्स में किंग पेयर बनाने वाले पहले खिलाड़ी।
  • शमी (6 चौके और 1 छक्का) – 53 टेस्ट में अपना सबसे बड़ा स्कोर और सिर्फ दूसरा 50 का स्कोर (50 पूरे किए मिड-विकेट पर एक बड़ा छक्का लगाकर) – लंच से ठीक पहले मोइन अली के एक ओवर में 10 रन।
  • 33 टेस्ट पारियों में सिर्फ तीसरी बार बुमराह ने बैट से दो अंक वाला स्कोर बनाया।
  • भारत के तेज गेंदबाजों ने नॉटिंघम में 20 में से 20 विकेट चटकाए और लॉर्ड्स में 20 में से 19 – बचा एक रनआउट था।
  • इंग्लैंड की हार इसलिए भी ख़ास कि वे टॉस जीतकर हारे। टॉस हारने के बावजूद भारत से बाहर सबसे ज्यादा टेस्ट मैच जीतने वाले भारतीय कप्तान:- 6 – विराट कोहली, 5 – सौरव गांगुली, 4 – एमएस धोनी ,3 – नवाब पटौदी।
  • आखिरी दिन लंच के बाद टेस्ट की तीसरी पारी घोषित कर जीत हासिल करने वाली टीमें: 1984 में कैंडी में न्यूजीलैंड ने श्रीलंका को हराया और अब भारत ने लॉर्ड्स 2021 में इंग्लैंड को।

शाम 7 बजे से थोड़ा पहले, जैसे ही लॉर्ड्स पर सूरज डूबा, पिच से धूल उड़ रही थी – ग्राउंडस्टाफ पिच की सफाई कर रहे थे तो ऐसा लगा किसी युद्ध के मैदान को शुद्ध और पवित्र कर रहे हैं। इंग्लैंड अब अपने जख्मों को भरने के लिए अभी से लीड्स की ओर देख रहा है। ये तो समय ही बताएगा कि इस करारी हार ने उनके इरादों को कितना तोड़ा?

  • चरनपाल सिंह सोबती
One thought on “ENG- IND 2021 : ये टीम इंडिया के नए जोश की जीत है”

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