fbpx

भारत और न्यूजीलैंड WTC यानि कि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में और ये फाइनल खेला जा रहा है इंग्लैंड में – ऐसा क्यों ? असल में ये पहले ही तय हो गया था कि WTC फाइनल लॉर्ड्स , इंग्लैंड में होगा – चाहे कोई भी टीम फाइनल खेलें। हाँ, कोविड की वजह से फाइनल को रोज बाउल ट्रांसफर कर दिया गया। भारत के नज़रिए से इस टेस्ट की एक ख़ास बात ये है कि भारत किसी न्यूट्रल ग्राउंड में पहली बार टेस्ट खेलने जा रहा है। ये एक तरह से अपनी पिच पर न खेलने वाली बात है और टेस्ट शुरू होते समय टीम इंडिया को ये रिकॉर्ड मालूम होना चाहिए कि चलो न्यूजीलैंड में खेलने से बच गए जहां पिछले 40 साल में 18 टेस्ट में से सिर्फ एक जीता है।

फाइनल टेस्ट शुरू होते ही भारत न्यूट्रल ग्राउंड में टेस्ट मैच खेलने वाला 11वां देश बन जाएगा। स्पष्ट है कि भारत इस क्लब में बड़ी देरी से शामिल हो रहा है। न्यूट्रल ग्राउंड में पहला टेस्ट 100 साल से भी पहले खेला गया था, जब दक्षिण अफ्रीका ने 1912 में मैनचेस्टर (इंग्लैंड) में ऑस्ट्रेलिया को से एक पारी और 88 रन से हराया था। तब एक प्रयोग हुआ था और टेस्ट मैचों का ट्रायंगुलर खेले थे। तीसरी टीम इंग्लैंड थी। दक्षिण अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध लॉर्ड्स में अपना दूसरा टेस्ट खेला और नॉटिंघम में तीसरा टेस्ट खेला गया। ऐसा प्रयोग फिर कभी नहीं हुआ।

न्यूट्रल ग्राउंड में अगला टेस्ट खेलने में 77 साल लग गए – पाकिस्तान ने एशियाई टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में ढाका में श्रीलंका को 170 रन से हराया। एक बार फिर किसी टेस्ट चैंपियनशिप की बदौलत ही न्यूट्रल ग्राउंड में कोई टेस्ट खेला गया।

उसके बाद न्यूट्रल ग्राउंड में किन्हीं दूसरी वजह से भी टेस्ट खेले जाने लगे। ज्यादातर संयुक्त अरब अमीरात (UAE), श्रीलंका और इंग्लैंड ने इन टेस्ट की मेजबानी की। हालत ये थी कि पकिस्तान में टेस्ट का आयोजन सुरक्षा के मामले की वजह से रुका तो वे अपने हिस्से की सीरीज ही न्यूट्रल ग्राउंड में आयोजित करते थे। भारत खुद भले ही न्यूट्रल ग्राउंड में टेस्ट नहीं खेला पर न्यूट्रल ग्राउंड टेस्ट का मेजबान बन चुका है – 2018 और 2019 में अफ़ग़ानिस्तान ने यहां कुल तीन टेस्ट खेले।

ऐसा नहीं है कि इससे पहले भारत के कभी न्यूट्रल ग्राउंड में टेस्ट खेलने की बात नहीं हुई। दो बार ऐसा हो चुका है जब भारत न्यूट्रल ग्राउंड में टेस्ट खेलने के बहुत करीब था।

टेस्ट मैचों की एक ट्राई सीरीज एशियाई टेस्ट चैंपियनशिप 1990 के दशक के आखिर में एशियन क्रिकेट कॉउंसिल की सोच की उपज थी। 1999 में श्रीलंका, पाकिस्तान और भारत को शामिल करते हुए इस चैंपियनशिप की योजना बनाई । इससे ठीक पहले पाकिस्तान ने भारत का दौरा किया तो कोलकाता में खेले तीसरे टेस्ट को एशियाई टेस्ट चैंपियनशिप का पहला टेस्ट मान लिया। ये वही टेस्ट था जो कई विवादस्पद बातों के कारण बड़ी चर्चा में रहा। पाकिस्तान ने खाली स्टेडियम में जीत हासिल की – 46 रन से। चैंपियनशिप में इससे आगे भारत ने कोलंबो में श्रीलंका के विरुद्ध ड्रॉ खेला और जब पाकिस्तान – श्रीलंका टेस्ट भी ड्रॉ हो गया तो इसका मतलब था कि पाकिस्तान और श्रीलंका फाइनल में पहुंचे और ये टेस्ट ढाका में खेला गया। इस तरह फाइनल में न पहुंचकर भारत अपना पहला न्यूट्रल ग्राउंड टेस्ट ढाका में खेलने से चूक गया।

2009 में तय हुआ कि अगले साल ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान जुलाई में इंग्लैंड में दो टेस्ट (और दो ट्वेंटी 20) खेलेंगे – आतंकवाद से प्रभावित पाकिस्तान के लिए नया ‘होम’ इंग्लैंड बना। यह 98 साल में पहला मौका था जब इंग्लैंड को टेस्ट क्रिकेट के लिए न्यूट्रल ग्राउंड बनाया गया। ये टेस्ट इंग्लैंड में रह रहे एशियाई मूल के लोगों की वजह से इतने लोकप्रिय साबित हुए कि इंग्लैंड ने प्रस्ताव रख दिया कि वे भारत – पाकिस्तान टेस्ट सीरीज की मेजबानी करने के लिए तैयार हैं। एशियाई मूल के लोगों से स्टेडियम भरने के पूरे – पूरे आसार थे। बहरहाल ये सीरीज भी आयोजित नहीं हो पाई – भारत ने ऐसी सीरीज खेलने में कोई रूचि नहीं ली।

तो भारत के लिए न्यूट्रल ग्राउंड में खेलने का रिकॉर्ड अब बनने जा रहा है।

  • चरनपाल सिंह सोबती
One thought on “सॉउथम्पटन में WTC फाइनल टीम इंडिया का न्यूट्रल ग्राउंड में पहला टेस्ट होगा”
  1. सर बहुत बढीया बडी विस्तृत से आपने जानकारी दियी की पहिली बार जानकारी मिली .अपने देश मे होस्ट होते हुवे भी, दुसरे देश में खेलना पडता हे मँच धन्यवाद सर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *