fbpx

जब बीसीसीआई ने पुरुष क्रिकेटरों की (रिटेनर राउंड 1 अक्टूबर 2023 से 30 सितंबर 2024) सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट घोषित की उसके बाद हर चर्चा में ईशान किशन और श्रेयस अय्यर का ही जिक्र था क्योंकि इन्हें कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिला। इसके आसार तो पहले ही नजर आने लगे थे (पढ़ें : https://allaboutcric.com/news/hindi/neglecting-domestic-cricket/) और लिस्ट जारी करते हुए भी बीसीसीआई सेक्रेटरी जय शाह ने कहा कि सभी एथलीट कॉन्ट्रैक्ट के दौरान,  इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेल रहे तो घरेलू क्रिकेट को वरीयता दें। इसी सोच के लागू होने से श्रेयस अय्यर और ईशान किशन नई सालाना कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट से आउट हो गए।

इसके बाद ध्यान गया हार्दिक पांड्या पर। ग्रेड ए कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट में रविचंद्रन अश्विन, मोहम्मद शमी, केएल राहुल, मोहम्मद सिराज और शुभमन गिल जैसे नियमित टेस्ट खेलने वालों के साथ हार्दिक भी हैं हालांकि लगातार टेस्ट खेलना तो दूर, पिछले वर्ल्ड कप के बाद से कोई क्रिकेट नहीं खेले हैं। बीसीसीआई ने पॉलिसी बनाई है तो उसे सभी क्रिकेटरों पर लागू करो। वे तो ग्रेड ए का कॉन्ट्रैक्ट ले गए।

ऐसा क्यों? हार्दिक रेड बॉल क्रिकेट नहीं खेलते यानि कि सिर्फ वाइट बॉल क्रिकेटर और उस नजरिए से भी उन्हें घरेलू टीम के लिए सैयद मुश्ताक अली और विजय हजारे ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट खेलना चाहिए पर वे कहां खेलते हैं? ऐसे में नियमित टेस्ट खिलाड़ियों के ग्रेड में कैसे फिट हो गए? बेन स्टोक्स, ख़राब फिटनेस के चलते बल्लेबाज के तौर पर ही अगर टेस्ट खेल सकते हैं तो हार्दिक भी बल्लेबाज के तौर पर रणजी ट्रॉफी क्यों न खेलें? जिम में ट्रेनिंग से हर तरह से बेहतर है घरेलू क्रिकेट का कोई भी मैच।

तो इस तरह हार्दिक न रणजी खेले और न वाइट बॉल के टूर्नामेंट पर सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट ले गए और सीधे टीम इंडिया में भी आ जाएंगे। ये ‘स्पेशल’ रियायत नहीं तो और क्या है? बीसीसीआई ऐसा क्यों कर रहा है कि उनके हर नखरे और मनमर्जी झेलें? उनके खेलने से टीम इंडिया को इतना फायदा नहीं होता जितना उनके न खेलने से नुकसान क्योंकि जो उनकी जगह खेलकर टीम का संतुलन बनाते हैं- वे उनके आने से आउट हो जाते हैं बिना कसूर के। क्या हार्दिक पांड्या इतने बड़े खिलाड़ी हैं? और तो और, इसके बावजूद वे कप्तान बनने के दावेदार नंबर 1। ऐसी बीसीसीआई पॉलिसी किस काम की जो हर खिलाड़ी पर लागू न हो- ये सोच का दोगलापन है और इसीलिए हार्दिक के मामले में वे आलोचना का निशाना बने।  

हार्दिक फिट नहीं थे- उसके बाद एनसीए में रिहैबिलिटेशन और फिट हुए पर वे क्यों घरेलू क्रिकेट में पसीना बहाते? बीसीसीआई ने खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट खेलने के निर्देश वाला मेल भेजा (हार्दिक को भी) पर ये पॉलिसी उन पर लागू नहीं की। और देखिए- रिकॉर्ड में दर्ज है कि हार्दिक ने बीसीसीआई को बता दिया है कि उनका शरीर रेड बॉल क्रिकेट की मेहनत और जरूरी फिटनेस को नहीं झेल सकता। आखिरी फर्स्ट क्लास मैच दिसंबर 2018 में खेला था (रणजी ट्रॉफी में बड़ौदा-मुंबई) और आखिरी टेस्ट (इंग्लैंड के विरुद्ध साउथेम्प्टन में) उसी साल अगस्त-सितंबर में था। उसी साल पहली बार पीठ की तकलीफ की शिकायत की। तब से जो खेले सिर्फ वाइट बॉल क्रिकेट खेले।

2018 एशिया कप- एक गेंद फेंकने के बाद जमीन पर गिर पड़े थे और उन्हें स्ट्रेचर पर ले जाना पड़ा। इलाज धीरे-धीरे सर्जरी तक पहुंच गया जो सितंबर 2020 में हुई और लगभग एक साल नहीं खेले। वापसी आईपीएल 2022 में हुई और गुजरात टाइटंस ने पहले सीज़न में टाइटल जीता। इससे प्रमोशन मिली और टी20 इंटरनेशनल टीम के कप्तान बना दिए गए। वनडे वर्ल्ड कप में वास्तव में उन्होंने टूर्नामेंट के बीच में टीम से हटकर, टीम का जो संतुलन बिगाड़ा उसकी फाइनल में भारत ने बड़ी कीमत चुकाई। 

इस तरह टीम इंडिया के लिए वनडे और टी20 नियमित खेलते नहीं, टॉप फिटनेस नहीं और घरेलू क्रिकेट से गायब तो कैसे ग्रेड ए कॉन्ट्रैक्ट के हकदार हुए? इन दिनों भी अपनी फिटनेस पर जो मेहनत की उसमें पहली वरीयता में मुंबई इंडियंस के लिए खेलना है- क्रुणाल पांड्या और ईशान के साथ बड़ौदा में ट्रेनिंग करते रहे पर घरेलू क्रिकेट नहीं खेले। इरफान पठान ने गलत नहीं कहा- टेस्ट क्रिकेट खेलना नहीं चाहते तो टीम इंडिया में जगह के लिए कम से कम घरेलू वाइट बॉल क्रिकेट तो खेलें। 
इसीलिए कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट एक सवाल बन गई- हार्दिक ग्रेड ए कॉन्ट्रैक्ट कैसे ले गए? अब इस पर बीसीसीआई का ऑफिशियल जवाब भी आ गया है जिसमें यही लगता है कि बीसीसीआई उनके लिए वकालत कर रहे हैं :-

  • वायदा किया है कि जब भारत के लिए खेलने से फुर्सत होगी तो सैयद मुश्ताक अली टी20 और विजय हजारे ट्रॉफी खेलेंगे।
  • भले ही बड़ौदा में प्राइवेट ट्रेनिंग ले रहे हैं पर अपनी फिटनेस की रिपोर्ट लगातार एनसीए को दे रहे हैं जो उन रिपोर्ट को मॉनिटर कर रहे हैं।
  • बीसीसीआई मेडिकल टीम के आंकलन के मुताबिक वह रेड बॉल टूर्नामेंट में गेंदबाजी की स्थिति में नहीं इसलिए उनका रणजी ट्रॉफी खेलना चर्चा से बाहर है।

अगर सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट के मसले पर बोर्ड हार्दिक से बात कर सकता है तो अपनी बात कहने का मौका श्रेयस और ईशान को क्यों नहीं दिया? वे भी वायदा करने में देर न लगाते। श्रेयस तो मुंबई के रणजी मैच न खेलने के दिनों में कोलकाता नाइट राइडर्स कैंप में थे- उन्हें तो उसका भी बेनिफिट नहीं दिया। जो पॉलिसी बनाई- सभी के लिए एक ही तरह से लागू हो। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *