भारतीय क्रिकेट की सबसे नई और सनसनीखेज खबर ये है कि बीसीसीआई ने पिछले जर्सी स्पांसर बायजू पर 158 करोड़ रुपये का भुगतान न करने का आरोप लगाकर एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में वसूली का केस कर दिया है। बीसीसीआई के स्पांसर से मतभेद- ये कोई बड़ी खबर नहीं, बड़ी खबर तो ये है कि मतभेद इस हद तक पहुंच गए कि बीसीसीआई को केस करना पड़ा। बीसीसीआई ने ऑफिशियल तौर पर इस केस की जानकारी अब दी है पर एनसीएलटी की वेबसाइट पर इसकी खबर पहले ही आ गई थी।
बीसीसीआई ने इस रकम की मांग का नोटिस 6 जनवरी 2023 को दे दिया था और जब रकम नहीं मिली तो आखिर में केस किया। कुछ रिपोर्ट में ये रकम 160 करोड़ लिखी है पर वास्तव में डिफ़ॉल्ट 158 करोड़ रुपये का है। केस 8 सितंबर को फाइल हुआ, इसे 15 नवंबर को दर्ज किया बायजू की मूल कंपनी, थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के विरुद्ध, आखिरी सुनवाई 28 नवंबर को थी और 22 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी। जानकार इस चर्चा में लगे हैं कि बीसीसीआई ने खुद एक कंपनी न होने के बावजूद नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में क्यों केस किया पर इन कानूनी मसलों को चर्चा में न लेकर यहां सिर्फ क्रिकेट की बात करते हैं। बायजू की तरफ से जवाब आ गया है- ‘हम इस मामले को सुलझाने के लिए बीसीसीआई के साथ बात कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि जल्द ही इसे सुलझा लेंगे।’
ये केस है क्या और ये रकम कौन सी है? ये मसला उठा बायजू के, अपने खर्चे कम करने के लिए, बीसीसीआई के साथ ब्रांडिंग पार्टनरशिप रिन्यू न करने के फैसले के बाद। ज्यादा पुरानी बात नहीं और वे एक-साथ बीसीसीआई, आईसीसी और फीफा (फेडरेशन इंटरनेशनेल डी फुटबॉल एसोसिएशन) के साथ ब्रांडिंग पार्टनर थे और 2023 में कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू होना था। कंपनी ने बहरहाल 2023 के साल की शुरुआत में ही कह दिया कि वे कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू नहीं करेंगे। बायजू ने साफ़ कहा कि वे अपने खर्चे कम कर रहे हैं। सब जानते हैं कि बायजू मुश्किल में है और हर रोज ये कम नहीं हो रहीं- बढ़ रही हैं। ईडी ने उन पर फेमा उल्लंघन का केस भी बना दिया है। 11 हजार से ज्यादा नौकरी से निकाले स्टाफ को अभी तक उनका पैसा नहीं दिया है।
ज्यादा पीछे नहीं जाते और 2017 से जर्सी स्पांसरशिप का सफर देखते हैं- उस साल चीन के फोन निर्माता ओप्पो ने 5 साल का कॉन्ट्रैक्ट किया 1100 करोड़ रुपये का। डील के कुछ साल बाद ही ओप्पो को लगने लगा कि ज्यादा पैसा दे दिया है और वे इस कॉन्ट्रैक्ट से बाहर निकलने का रास्ता तलाशने लगे। उसी अधूरे कॉन्ट्रैक्ट में दुनिया की सबसे ज्यादा वेल्यू की एडटेक बायजू की एंट्री हुई और ये सवाल तब भी उठा था कि जो सौदा ओप्पो को महंगा लग रहा था- उसमें कूदने की क्या जरूरत थी बायजू को? उन्होंने इसका बड़ा शानदार जवाब दिया- ओप्पो तो एक चीनी ब्रांड है जो भारत में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा था जबकि बायजू तो ऐसा मेड इन इंडिया ब्रांड है जो तब तक दुनिया में सबसे ज्यादा वेल्यू का एडटेक बन चुका था- वेल्यू थी 6 बिलियन डॉलर। जिसे देखो बायजू में पैसा इनवेस्ट करने की होड़ में था।
साथ में ये वह समय था जब बायजू उड़ान पर था और इंटरनेशनल स्तर पर यूके, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी पहुंच गए थे- नोट कीजिए ये तीनों न सिर्फ क्रिकेट प्रेमी देश हैं, यहां बड़ी गिनती में भारतीय रहते हैं। तो बायजू ने हर सोच क्रिकेट और ख़ास तौर पर टीम इंडिया के साथ जोड़ दी। उन्हें लगा कि क्रिकेट की बदौलत इन देशों में पैसा बरसेगा। अभी स्कीम शुरू ही हुई थी कि कोविड आ गया। सब कुछ ऑनलाइन होने लगा और बायजू की दुकान तो ‘सुपरफास्ट’ से सीधे ‘वंदे भारत’ बन गई। इन्वेस्टर लाइन लगाकर पैसा दे रहे थे। बायजू ने भी सब बटोर लिया पर ये हिसाब नहीं लगाया कि वसूली कितनी हो रही है? इस बीच उनकी अपनी वेल्यू 20 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई। ऐसे में जब जून 2022 में जर्सी का कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू होना था तो बायजू एक मिनट नहीं लगाया, कॉन्ट्रैक्ट में बीसीसीआई को 10% ज्यादा पैसा मिला और ये कॉन्ट्रैक्ट था नवंबर 2023 तक। टी20 वर्ल्ड कप और अन्य बड़े इवेंट में टीम इंडिया की जर्सी पर बायजू का नाम चमक रहा था।
यहां कोविड जाने लगा और उसी के साथ बायजू की खुशियां भी जाने लगीं। एकदम सब गलत होने लगा। मार्च 2021 को ख़त्म हुए साल के एकाउंट जारी करने में डेढ़ साल लगा दिया और जब सितंबर 2022 में ये सामने आए तो बाजार हिल गया- 4,400 करोड़ की बिक्री के अनुमान के सामने बिक्री थी सिर्फ 2,500 करोड़ की। सबसे ख़ास था नुकसान- 2020 साल की तुलना में ये बढ़कर 4,500 करोड़ हो गया यानि कि 20 गुना ज्यादा। अब इन्वेस्टर लाइन लगाकर अपना पैसा वापस मांगने लगे। खर्चे में कटौती होने लगी। ऐसे में जर्सी कौन स्पांसर करता और नवंबर 2022 में ही बायजू ने बाहर निकलने की कोशिश शुरू कर दी। बीसीसीआई को बताया जनवरी 2023 में। एक दम स्पांसर के इंकार पर बीसीसीआई ने नए जर्सी स्पांसर की तलाश शुरू कर दी पर पता था कि जल्दी से कोई नहीं मिलेगा। जुलाई 2023 में ही आखिरकार ड्रीम 11 बोर्ड पर आए। तो इस तरह से वास्तव में कॉन्ट्रैक्ट कब टूटा- उसी पर गफलत है और बायजू को बीसीसीआई ने एनसीएलटी में घसीट दिया।
बायजू ने माना था कि बीसीसीआई को कॉन्ट्रैक्ट का पैसा देना है। इसीलिए खुद बोर्ड से कहा कि 140 करोड़ की बैंक गारंटी की पेमेंट बैंक से ले लें और बचे लगभग 160 करोड़ की किश्त बनाने की मंजूरी ले ली। किस-किस को और कहां से पैसा देते? नतीजा- बीसीसीआई को कुछ नहीं मिला और अब ये केस है। इस समय बायजू अपने यूएस के ऑनलाइन बुक रीडिंग प्लेटफॉर्म एपिक को 400 मिलियन डॉलर से ज्यादा कीमत पर और इसी तरह डॉलर में ही कमाई वाली ग्रेट लर्निंग को भी बेच रहे हैं- इनसे जो पैसा आएगा उससे कर्जे उतारेंगे।
पता नहीं क्यों टीम इंडिया की जर्सी का स्पांसर बनना किसी को भी रास नहीं आया है? जिनका यहां जिक्र है उनमें से ओप्पो का काम बुरी तरह गिरा, बायजू जो एक मिसाल थे कर्जे में घिरे हुए हैं और ड्रीम 11 पर स्पांसर बनते ही सरकार ने 28 प्रतिशत का जीएसटी लगा दिया।
- चरनपाल सिंह सोबती