पाकिस्तान टीम के क्रिकेट डायरेक्टर मिकी आर्थर का ऐसा कहना कि भारत के साथ पाकिस्तान का अहमदाबाद मैच, माहौल के मामले में, किसी वर्ल्ड कप मैच से ज्यादा बीसीसीआई मैच जैसा था- कतई हैरानी की बात नहीं।130,000 दर्शकों की क्षमता वाला नरेंद्र मोदी स्टेडियम खचाखच भरा था और उस पर भारत ने वर्ल्ड कप में अपनी बेहतरीन शुरुआत को आगे बढ़ाते हुए 7 विकेट से जीत हासिल की।
मैच हो गया और सब जानते है कि ये फाइनल से पहले का सबसे बड़ा मैच था। यहां तक कि जो उद्घाटन समारोह नहीं किया था- वह सब इस मैच में कर दिया। अब अगले कुछ साल में चर्चा के लिए कई टॉपिक मिल गए- मसलन मैच के बहाने भारत का एक पॉलटिकल पावर के तौर पर प्रदर्शन, पाकिस्तानी क्रिकेट प्रेमियों और जर्नलिस्ट को मैच के लिए वीज़ा में देरी, यहां तक कि दावा कि स्टैंड्स में ग्रीन जर्सी में सिर्फ 3 लोग थे और ये भी कि ‘दिल दिल पाकिस्तान’ बार-बार सुनाई नहीं दिया। ये जख्म इस रिकॉर्ड से और भी गहरे हो जाते हैं कि दोनों टीम के बीच वर्ल्ड कप में आपसी मैचों में स्कोर भारत के लिए 8-0 है।
दोनों टीम, इस मैच से पहले तक, इस वर्ल्ड कप में अपराजित थीं और ख़ास तौर पर पाकिस्तान के लिए ये इस इवेंट का पहला बड़ा मैच था। इस सब चर्चा में पाकिस्तान टीम के मनोविज्ञान को भी समझना जरूरी है- 27 सितंबर को हैदराबाद पहुंचे, तो उत्साहित थे तो सावधान और अनिश्चित भी- पता नहीं क्या होने वाला है? 10 साल से ज्यादा के बाद, वर्ल्ड कप में भारत में खेलने की बात और उनके सिर्फ दो खिलाड़ी जानते थे कि भारत में खेलना क्या होता है? बाकी सब क्या सुनकर आए थे- इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। इसलिए क्रिकेट से ज्यादा बिरयानी का स्वाद या बीफ की डिश न मिलना जैसे मुद्दे चर्चा में रहे।
पाकिस्तान ने हैदराबाद में नीदरलैंड और श्रीलंका को और भारत ने चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया और दिल्ली में अफगानिस्तान को हराकर वर्ल्ड कप की शुरुआत की। भला हो, पीसीबी का जो अपने ट्वीट में पाकिस्तान टीम को मिले स्वागत, हवाई अड्डे पर भीड़, ‘पाकिस्तान जिंदाबाद!’ के नारे भी- इनकी फुटेज देते रहे। 2016 के वर्ल्ड टी20 के बाद से पाकिस्तान टीम पहली बार भारत में खेल रही थी और इन सब सालों में दोनों देश के बीच क्रिकेट कम, गहरी कड़वाहट और विरोध ज्यादा चर्चा में रहे। इसलिए ही तो भारत, पाकिस्तान टूर पर जाने से इंकार करता है। हाल ही में एशिया कप मैच खेलने भी नहीं गए।
तब भी बीसीसीआई ने इस मैच के कमर्शियल फायदे को नजरअंदाज नहीं किया और इसे ‘इंडिया शो’ में बदलने में कोई कमी नहीं रखी और रोहित शर्मा की टीम ने इस मामले में, उनका पूरा साथ दिया। सब जानते हैं कि जब दोनों देश के बीच राजनीतिक संबंध अच्छे न हों तो वीजा जैसे काम लटकते ही हैं- 1987 वर्ल्ड कप में क्रिकेट प्रेमी सुबह अमृतसर से लाहौर जाते थे मैच देखने और शाम को लौट आते थे। नाइंटीज में दोनों देशों में टेस्ट सीरीज़ खेली गई थीं- 2005 और 2007 में भारत में और 2004 और 2006 में पाकिस्तान में और तब ऐसी किसी दिक्कत का जिक्र नहीं था। 2016 में, जब भारत ने आखिरी बार किसी ग्लोबल टूर्नामेंट की मेजबानी की थी- तब ऐसा कुछ नहीं हुआ था। 2011 वर्ल्ड कप में भी नहीं, जब बीसीसीआई ने सिर्फ मोहाली सेमीफाइनल के लिए पाकिस्तानी प्रशंसकों को 6500 वीजा दे दिए थे।
अब जबकि बीसीसीआई को इस आपसी मुकाबले का फाइनेंशियल फायदा मिल रहा है- पाकिस्तान को नहीं और यही पाकिस्तान की सबसे बड़ी परेशानी है। वे मल्टी टीम टूर्नामेंट में खेलने भारत आ जाते हैं- भारत की टीम वहां नहीं जाती। क्या पाकिस्तान में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी के वक्त भी यही सब कुछ होगा जो एशिया कप के समय हुआ? उस पर उनके खिलाड़ियों को आईपीएल में खेलने का मौका भी नहीं मिलता- हालांकि वे टॉप ड्रा साबित हो सकते हैं।
जो वर्ल्ड कप अब तक धीमा था- अहमदाबाद में इस मैच से गियर बदलकर एकदम तेजी के मोड में आ गया है। नरेंद्र मोदी स्टेडियम में 1.30 लाख दर्शक, होटल खचाखच भरे, टिकट ब्लैक-मार्किट में कई गुना महंगी कीमत पर और आखिर में नतीजा वह जो ‘ब्लू’ भीड़ चाहती थी। इस जीत के बाद सट्टा बाजार में भारत की जीत का भाव और मजबूत हो गया है- टूर्नामेंट में सबसे पसंदीदा टीम, अपनी पिचों पर खेल रहे हैं, परिस्थितियों को उनसे बेहतर कौन जानता है और पहले दिन से जबरदस्त समर्थन।
अगर मिकी आर्थर ने ये स्पष्ट कर दिया कि वे सपोर्ट की कमी को हार के बहाने के तौर पर इस्तेमाल नहीं करना चाहते तो अच्छा ही किया- इससे कोई फायदा नहीं होता। वर्ल्ड कप मेजबान ने पहले भी जीते हैं तो सिर्फ भारत पर किसी भी तरह का आरोप क्यों? हां, व्यवहार के मामले में अहमदाबाद में क्रिकेट प्रेमी कुछ चूक गए- यही तो वह बात है जो पाकिस्तान के विरुद्ध मैच को, अन्य टीम के विरुद्ध मैच से अलग करती है।
- चरनपाल सिंह सोबती