fbpx

सबसे पहले तो ये देखें कि जिस खबर की चर्चा है वह है क्या? कई महीने की अटकलों के बाद 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक प्रोग्राम में 5 नए खेलों को एंट्री मिली- इनमें से एक क्रिकेट है। अन्य खेल : स्क्वैश, बेसबॉल/सॉफ्टबॉल, लैक्रोस और फ़्लैग फुटबॉल। खबर से जुड़े कुछ ख़ास फैक्ट : 

  • ये फैसला आईओसी के 141वें सेशन के दौरान हुआ
  • इसे क्रिकेट की 123 साल बाद ओलंपिक खेलों में वापसी का नाम देकर क्रिकेट के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। 
  • इसमें क्रिकेट टी20 फॉर्मेट में खेला जाएगा।  
  • इन 5 खेलों की एंट्री का प्रस्ताव LA28 आयोजन समिति का था- इनकी एंट्री पर फैसले के लिए, सेशन के दूसरे दिन हुई वोटिंग में 99 आईओसी सदस्य में से, जो वोटिंग में शामिल हुए उनमें से, सिर्फ दो ने विरोध में वोट दिया।
  • फैसले की घोषणा आईओसी प्रेसीडेंट थॉमस बाक ने की- ‘मैं ओलंपिक प्रोग्राम में आप सभी का स्वागत करता हूं।’ 
  • ओलंपिक में क्रिकेट को इससे पहले सिर्फ एक बार खेले थे- 1900 में पेरिस में और गोल्ड के मुकाबले में इंग्लैंड ने फ्रांस को हराया था।

आम तौर पर माना ये जा रहा है कि इस एंट्री के लिए आईसीसी ने अपनी तरफ से कोशिश में कोई कमी न रखी और सबसे ख़ास बात ये है कि क्रिकेट की एंट्री उस शहर के ओलंपिक में हो रही है जो न तो खुद और न ही उसका देश क्रिकेट के लिए मशहूर हैं। तब भी आईसीसी ने इन्हें क्रिकेट से जोड़ने में मदद की और एलए28 के स्पोर्ट्स डायरेक्टर निकोलो कैंप्रियानी (इटली के पूर्व ओलंपिक चैंपियन निशानेबाज) ने इस बात को माना भी-

  • अमेरिका को वेस्टइंडीज के साथ अगले टी20 वर्ल्ड कप की मेजबानी दी। 
  • अमेरिका में खेली मेजर लीग क्रिकेट (एमएलसी) को ऑफिशियल मंजूरी दी।  
  • कैंप्रियानी ने कहा- ‘यह ओलंपिक आंदोलन के लिए एक गेम-चेंज है। न सिर्फ आईओसी और क्रिकेट के लिए, एलए 28 के लिए भी जीत है। सोच थी कि उन ग्लोबल खेलों को भी ओलंपिक में पेश करें जो अभी अमेरिकी बाजार में उतने विकसित नहीं हैं।’  
  • टी20 वर्ल्ड कप के बाद (जो अगले साल 4 जून से शुरू है) जहां इस वर्ल्ड कप के मैच खेले, उन्हीं स्टेडियम में क्रिकेट खेलने का इरादा है- हाल फिलहाल सोच ये है कि ओलंपिक के लिए कोई नया क्रिकेट स्टेडियम नहीं बनाएंगे।
  • एलए 28 में क्रिकेट खेल लिए तो ब्रिस्बेन 2032 में भी क्रिकेट देखने की उम्मीद रहेगी। 
  • कैंप्रियानी के अनुसार कॉमनवेल्थ गेम्स (महिला मुकाबले) में भी क्रिकेट खेलने ने इस फैसले में काफी मदद की।

इस खबर को क्रिकेट के लिए एक बड़ी कामयाबी का नाम दिया जा रहा है। वास्तव में ऐसा ही लिखते थे- चूंकि क्रिकेट एक ओलंपिक खेल नहीं इसलिए ये अभी तक ग्लोबल खेल नहीं। सच ये है कि ये भी लिखना चाहिए कि जिस मुकाम पर ये एंट्री मिली- ओलंपिक को भी क्रिकेट की बहुत ज्यादा जरूरत है। आईओसी इस समय फाइनेंस की जबरदस्त दिक्कत के दौर में है और साथ ही ओलंपिक के लिए क्रिकेट की ग्लोबल बढ़ती लोकप्रियता को नजरअंदाज करना मुश्किल हो गया था।

क्रिकेट ओलंपिक खेल क्यों बन गया है- इस सवाल का जवाब तो अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारत-पाकिस्तान मैच में ही मिल गया। एक लाख से ज्यादा क्रिकेट प्रेमी स्टेडियम में और कई करोड़ टेलीविजन/मोबाइल दर्शक। जब ये दोनों टीम इंग्लैंड में पिछले वर्ल्ड कप में खेली थीं तो 273 मिलियन दर्शकों ने उस मैच को देखा था। तब से, भारत में, डिजिटल विस्फोट हो चुका है तो जरूरी दर्शक इससे भी ज्यादा रहे होंगे।

इस तरह की गिनती और ओलंपिक आंदोलन की नए क्षेत्रों में बढ़ावे की स्कीम में- ओलंपिक को भी क्रिकेट की जरूरत है। सच ये है- क्रिकेट को ओलंपिक में एंट्री की जितनी जरूरत थी- उससे ज्यादा ओलंपिक को क्रिकेट की जरूरत है। आईओसी को ओलंपिक आंदोलन को ज़िंदा रखने के लिए पैसा चाहिए और ये पैसा क्रिकेट से आ सकता है- ख़ास तौर पर क्रिकेट की एशिया में लोकप्रियता से। सबूत मिल ही चुका है। अभी तो क्रिकेट गोल्ड के लिए ओलंपिक में मैच खेलने का फैसला ही हुआ है- एशिया में 2028 ओलंपिक के ब्रॉडकास्ट अधिकार की कीमत बढ़कर 220 मिलियन पौंड (लगभग 221.85 करोड़ रुपये ) मानी जा रही है। ओलंपिक को ऐसा पैसा क्रिकेट के अतिरिक्त और कौन देगा?

ऐसा नहीं कि क्रिकेट को फायदा नहीं होगा- ओलंपिक में एंट्री से अचानक ही ऐसे देश, जो अभी कोई ख़ास क्रिकेट नहीं खेल रहे, जैसे चीन, क्रिकेट में भी एक पॉवर बनने का सपना देखने लगेंगे। इसमें सालों लगेंगे पर क्रिकेट को एक ग्लोबल मंच मिल सकेगा और खिलाड़ी ओलंपिक माहौल से परिचित हो जाएंगे। अगर अहमदाबाद में 2036 ओलंपिक खेलने का सपना देखा जा रहा है तो क्रिकेट को ओलंपिक खेल बनाना बहुत ज़रूरी था। भारत ने 1980 के बाद से सिर्फ दो ओलंपिक गोल्ड जीते हैं। क्रिकेट अकेला ऐसा खेल है जो ग्लोबल मंच पर भारत की सबसे बड़ी पहचान है। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *