2011 वर्ल्ड कप जीत को सचिन तेंदुलकर के लिए जीतने और इसे सचिन तेंदुलकर को समर्पित करने की बात और किसी ने नहीं, उस दिग्गजों की टीम में अभी अपनी पहचान बनाने के लिए खेल रहे विराट कोहली ने शुरू की थी। इस बार, भले ही ये बात चर्चा में है कि टीम को विराट के लिए वर्ल्ड कप जीतना है- किंग कोहली अपनी जमीन पर देश के गौरव के लिए ये वर्ल्ड कप जीतना चाहते हैं। अब तक की जो फार्म है उसमें तो यही इरादा दिखाई दे रहा है।
बांग्लादेश के विरुद्ध मैच के 100 को भले ही कुछ लोग हजम न कर पा रहे हों और उन पर सिर्फ 100 के लिए खेलने का आरोप लगा रहे हों पर सच ये है कि विराट कभी अपने व्यक्तिगत रिकॉर्ड के लिए नहीं खेले- खेले होते तो उनका रिकॉर्ड जो है, उससे भी कहीं बेहतर होता। बांग्लादेश के विरुद्ध मैच से एक झलक- इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन की लिस्ट में महेला जयवर्धने (25957) का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 26000 रन पूरे किए, इस वर्ल्ड कप में पहली बार 6 लगाया 192 गेंद खेलने के बाद- जो समय के साथ उनकी बल्लेबाजी स्टाइल में आए बदलाव का सबूत है, इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज्यादा 50+ स्कोर की गिनती में जैक्स कैलिस (211) का रिकॉर्ड तोड़ा, इस वर्ल्ड कप में पहला 100 और कुल रिकॉर्ड- वनडे में 48, इंटरनेशनल क्रिकेट में 78, वर्ल्ड कप में 3, बांग्लादेश के विरुद्ध 5, भारत में 22, एशिया में 33, लक्ष्य का पीछा करते हुए 27, कप्तान रोहित के नेतृत्व में 4 और 2023 में 4 शतक। क्या ये वर्ल्ड कप जीतने का इरादा नहीं है?
2011 में वर्ल्ड कप जीतने के बाद, विराट कोहली ने सचिन तेंदुलकर को अपने कंधों पर उठा लिया था- उस क्षण की फोटो, इस वर्ल्ड कप की सबसे चर्चित फोटो में से एक है। समय बड़ी तेजी से बीता और अब भारत में वे शायद अपना आखिरी वर्ल्ड कप खेल रहे हैं पर जोश वही किसी युवा बल्लेबाज जैसा ही। यह टूर्नामेंट टीम इंडिया की जीत और उसी की चर्चा का है पर हर निगाह कोहली पर है। वे अनबन की खबर, रोहित की कप्तानी में खेलने से कतराने जैसी चर्चाओं से बहुत आगे निकल आए हैं और इस वर्ल्ड कप में हर टीम, पाकिस्तान भी- जिस खिलाड़ी की सबसे ज्यादा चर्चा कर रही है, वह विराट कोहली हैं।
जनता के प्रिय, लाखों फॉलोअर्स पर उससे भी ज्यादा कोहली में इस वर्ल्ड कप को अपना बनाने की चाह है। अगर पूरी दुनिया में क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ रही है तो इसके लिए विराट कोहली भी बहुत कुछ जिम्मेदार हैं- जो क्रिकेट नहीं जानते, वे भी उन्हें चाहते हैं। अब,नई चुनौती 50 ओवर क्रिकेट का वर्ल्ड कप है और एक बार फिर कोहली अपने बैट से नया इतिहास लिखने के लिए तैयार हैं। कौन कहता है कि ये टीम ‘उनकी नहीं’- वे कप्तान नहीं तो क्या हुआ, कोहली का मानना है कि वह जिस भी टीम के लिए खेलते हैं, वह उनकी ही है। जीत के इरादे के साथ, एक अभियान शुरू हो चुका है।
एक बार किंग कोहली के बारे में विव रिचर्ड्स ने कहा था- वे काफी हद तक उनके जैसे हैं। 1983 का वर्ल्ड कप फाइनल वेस्टइंडीज ने रिचर्ड्स के आउट होते ही खो दिया था- कोहली भी आज टीम इंडिया में ऐसे ही मुकाम पर हैं। क्या वे भारत के लिए इसे जीतेंगे? सब कुछ उनके साथ- करोड़ों प्रार्थना और दुआ, एक सही टीम जो अपने इरादे को पूरा करने तेजी से आगे बढ़ रही है।
कोहली 12 साल पहले, बांग्लादेश में मीरपुर में उस उमस भरी दोपहर से बहुत आगे निकल आए हैं जब सचिन तेंदुलकर और गौतम गंभीर के आउट होने के बाद, भारतीय ड्रेसिंग रूम ने उम्मीद की थी कि युवा कोहली पिच पर सीनियर वीरेंद्र सहवाग के लिए सपोर्ट बनेंगे पर वहां तो कुछ और ही देखने को मिला- सहवाग तो अपने अंदाज में खेले ही, कोहली ने सिर्फ 83 गेंद में शानदार 100 रन बनाकर भारत को उस स्कोर पर पहुंचाया जहां से जीत का रास्ता बना और कप के पहले मैच में बड़ी जीत हासिल की।
चेन्नई में कैरेबियन टीम के विरुद्ध 50 ने उनका कद और बढ़ा दिया। तब से वे देश की उम्मीद हैं। आईसीसी टूर्नामेंट न जीतने के भारत के रिकॉर्ड की बहुत चर्चा होती है पर वजह चाहे जो हो रिकॉर्ड तो यही है कि नहीं जीते। इस बार, अपनी पिचों पर खेल रहे हैं और कोहली जानते हैं कि दोबारा चैंपियन बनने के लिए टीम को किसी ख़ास कोशिश की जरूरत होगी। एक ऐसा करियर जो वास्तव में क्रिकेट को ही समर्पित रहा- उसमें सबसे बड़ा बदलाव ये है कि अपने हिसाब से रन बनाने की क्षमता है, अकेले चुनौती बनने की क्षमता है। रिचर्ड्स चूक गए थे- कोहली से उम्मीद है वे ऐसा नहीं होने देंगे। 2011 में बार-बार बोला- ‘क्या भारत इसे सचिन के लिए जीतेगा’ और अब सवाल है- क्या विराट कोहली इसे भारत के लिए जीतेंगे?
- चरनपाल सिंह सोबती