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वैसे तो किसी भी टीम के लिए मैच में हार दर्द देने वाली होती है पर क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023 में पहले ही मैच में, मौजूदा चैंपियन इंग्लैंड के लिए हार इससे भी कुछ ज्यादा है। ख़ास तौर पर जिस अंदाज में न्यूजीलैंड से हारे, वह इंग्लिश टीम को झटका देने वाला है। इस हार पर प्रतिक्रया तो होनी ही थी और जैसी कि उम्मीद थी, इंग्लिश टीम और इसके ज्यादातर सपोर्टर, टीम की वर्ल्ड कप की गलत तैयारी से ज्यादा वर्ल्ड कप के ‘गलत’ शेड्यूल और भारत में बेकार ट्रेवल इंतजाम को दोष दे रहे हैं। 

अभी 28 सितंबर को टीम, गुवाहाटी में 2 वार्म-अप मैच के लिए पहुंची ही थी कि जॉनी बेयरस्टो ने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में लिख दिया कि 38 घंटे से ज्यादा के सफर से बुरी तरह थकावट हो गई है। इस बात पर भी बौखलाहट थी कि गुवाहाटी की फ्लाइट में. अन्य यात्रियों के साथ इकॉनमी क्लास में बैठे थे और उनके लंबे खिलाड़ियों को टांगें लंबी करने (उदहारण के लिए- 6 फुट 8 इंच के रीस टॉपले और 6 फुट 5 इंच के गस एटकिंसन) की भी जगह नहीं मिली। वे वर्ल्ड कप के लिए इतनी देरी से क्यों आए कि लगातार इतना सफर करना पड़ा? जोस बटलर की टीम ने, न सिर्फ ट्रेंट ब्रिज में एक प्रैक्टिस मैच खेला आयरलैंड के विरुद्ध- समर सीजन के कैलेंडर ने भी उन्हें हिलने न दिया। उस वार्म-अप को खेलने की जगह वे जल्दी भारत आ सकते थे।

ऐसा नहीं कि सभी ने शोर किया- मार्क वुड ने सिर्फ ट्रेवल की थकान को दोष देने से इनकार कर दिया- ‘मैं कोई बहाना नहीं बताऊंगा। ट्रेवल मुश्किल हो रहा है लेकिन कोई बहाना नहीं। हमें एक बेहतर टीम ने हराया।’ बेयरस्टो की पोस्ट ने बहरहाल जो चिंगारी पैदा की, पहले मैच की हार ने उसे भड़का दिया। अब कुछ फैक्ट नोट कीजिए:

  • जब टीम गुवाहाटी पहुंची तो समय था 21:21, कुछ घंटे बाद वार्म-अप मैच था और सही मायने में इंग्लिश क्रिकेटरों को ‘जेट लैग’ से भी बाहर आने का समय नहीं मिला- साढ़े 4 घंटे का फर्क है दोनों देश के समय में। 5 अक्टूबर के टूर्नामेंट शुरू करने वाले मैच से पहले इंग्लैंड के भारत और बांग्लादेश के विरुद्ध प्रैक्टिस मैच यहीं थे
  • इंग्लैंड ने यहीं से ये हिसाब लगाना शुरू कर दिया कि अगर फाइनल में पहुंचे तो वर्ल्ड कप के दौरान कितने किमी का सफर कर चुके होंगे?
  • इंग्लैंड के 9 ग्रुप स्टेज मैच 8 अलग-अलग शहर में हैं- सिर्फ चेन्नई और हैदराबाद नहीं जाएंगे वे। धर्मशाला, दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, लखनऊ, अहमदाबाद, पुणे और कोलकाता जाएंगे पर कहीं चैन से टिकेंगे नहीं।
  • ग्रुप-स्टेज मैचों के दौरान लगभग 10 हजार किमी सफर करेंगे और इसी पर वे परेशान हैं। वर्ल्ड कप जीतना है तो 11300 किमी के करीब का सफर।
  • इंग्लैंड टीम ने गुवाहाटी तक पहुंचने के लिए 38 घंटे लिए। फिर न्यूज़ीलैंड से खेलने के लिए अहमदाबाद जाने के लिए चार घंटे और मैच से सिर्फ 48 घंटे पहले वहां पहुंचे।
  • न्यूज़ीलैंड से शर्मनाक हार का दर्द भी खत्म नहीं हुआ था कि सिर्फ 12 घंटे बाद, वे धर्मशाला में बांग्लादेश के विरुद्ध मुकाबले के लिए 1290 किमी दूर नार्थ की चार्टर्ड फ्लाइट में थे।
  • भारत जैसे देश में इतने लंबे सफर की थकान के साथ जुड़ी सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि मैच-दर-मैच बहुत अलग मौसम में खेलते हैं। उदाहरण के लिए शुरुआती गेम के दौरान अहमदाबाद में 35 डिग्री सेल्सियस की गर्मी थी पर बांग्लादेश के विरुद्ध मैच में धर्मशाला में बिलकुल अलग मौसम- खेल शुरू होने पर ठंडा लेकिन हिमालय में 1,500 मीटर की ऊंचाई एक नई चुनौती पेश करती है।
  • उनकी सबसे लंबी फ्लाइट- अक्टूबर के आखिर में श्रीलंका और मेजबान भारत के विरुद्ध मैचों के लिए साउथ में बेंगलुरु और नार्थ में लखनऊ के बीच (लगभग 2150 किमी) जबकि ग्रुप राउंड को पूरा करने के लिए वेस्ट में पुणे और ईस्ट में कोलकाता के बीच 1870 किमी की एक और लंबी फ्लाइट।
  • एक बार, हर दूसरी टीम से खेलने के बाद, इंग्लैंड अगर ग्रुप टेबल में टॉप पर रहे तो मुंबई में पहले सेमीफाइनल के लिए, कोलकाता से लंबी फ्लाइट लेंगे और यदि नंबर 2 /3 रहे तो दूसरे सेमीफाइनल के लिए कोलकाता में रहेंगे। 
  • इंग्लैंड और भारत, इस वर्ल्ड कप में वे दो टीम हैं जो हर पूल मैच के बाद ट्रेवल करेंगे। बीसीसीआई का कहना है कि ये तो वास्तव में इंग्लैंड टीम की तारीफ का सबूत है- मेजबान टीम के अलावा, इंग्लैंड टीम को भारत में सबसे आकर्षक टीम मानते हैं और इसीलिए उन्हें ज्यादा शहरों में खेलने को कहा। हुआ ये कि इससे इंग्लैंड का प्रोग्राम, बाकी टीम के मुकाबले बहुत मुश्किल हो गया
  • न्यूजीलैंड टीम की बात करें तो वे भले ही दो प्रैक्टिस मैच अलग-अलग शहर में खेले पर उनका बाकी का शेड्यूल इतना मुश्किल नहीं- कैप्स एक ही शहर में, तीन बार लगातार मैच खेल रहे हैं जिसका मतलब है जहां इंग्लैंड ग्रुप राउंड के दौरान 8 फ्लाइट लेंगे, न्यूजीलैंड 5 फ्लाइट।

इसका साफ़ मतलब है वर्ल्ड कप जीतने के लिए इंग्लैंड को सिर्फ दुनिया के टॉप खिलाड़ियों से ही मुकाबला नहीं करना होगा- ऐसे शेड्यूल को भी झेलना होगा जो संयोग से टूर्नामेंट में सबसे बड़ी औसत उम्र वाली टीम के लिए चुनौती का डिज़ाइन लगता है। ये बात कप्तान बटलर ने इंग्लैंड में ही कह दी थी- भले ही मजाक किया था। इसलिए ये सवाल गलत नहीं कि वर्ल्ड कप के लिए इंग्लैंड की स्कीम में सबसे ख़ास सवाल ये भी है कि इस तरह के शेड्यूल से  कैसे निपटा जाए?

जिस एक और ख़ास बात ने, उन्हें परेशान कर रखा है वह ये कि ऐसे प्रोग्राम और भाग-दौड़ में खिलाड़ियों का चोटिल/अनफिट होना कोई हैरानी की बात नहीं। इंग्लैंड टीम में हालांकि 6 पेसर हैं- तब भी वोक्स या वुड चोटिल हुए तो टीम गड़बड़ा जाएगी। जब 2019 में वर्ल्ड कप जीता था तो इंग्लैंड के सीमर में से एक को भी चोट नहीं लगी और उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में सिर्फ 13 खिलाड़ियों का इस्तेमाल किया। उम्र और शेड्यूल को देखते हुए, इस मामले में इंग्लैंड के फिर से इतना भाग्यशाली होने की उम्मीद नहीं है। अगर वनडे में अपना टाइटल बरकरार रखना है तो टीम की जीत जरूरी होगी।

विदेशी टीम के लिए शेड्यूल को पहली बार ‘भारत दर्शन’ नहीं कहा जा रहा है- नार्थ में हिमालय की तलहटी में धर्मशाला से लेकर साउथ में बैंगलोर, वेस्ट में अहमदाबाद और ईस्ट में कोलकाता तक। भारत एक विशाल देश है, क्रिकेट पूरे देश में लोकप्रिय और बीसीसीआई की अपनी भी मजबूरी है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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