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ये महज एक चर्चा नहीं है- सच्चाई भी हो सकती है। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के ‘मिकी आर्थर को ऑनलाइन कोच’ बनाने की बात पर ये चर्चा शुरू हुई। कोविड ने ‘वर्क फ्रॉम होम’ की जो नई कल्चर शुरू की वह अब क्रिकेट ग्राउंड पर भी पहुंच रही है पर अलग वजह से। इस पर पीसीबी को बुरी तरह ट्रोल किया गया पर सवाल ये है कि ऐसा क्या हुआ कि उनके लिए, नौबत यहां तक पहुंच गई?

पीसीबी को सीनियर टीम के लिए कोच की तलाश है और कोई बड़े नाम वाला विदेशी उन्हें मिल नहीं रहा। ऐसे में फिर से पहुंच गए अपने पुराने चीफ कोच मिकी आर्थर के पास। वे तैयार हैं पर इस शर्त के साथ कि अपने डर्बीशायर काउंटी क्रिकेट क्लब के फुल टाइम वाले कोच की ड्यूटी नहीं छोड़ेंगे। तो रास्ता निकाला गया- पाकिस्तान सीनियर टीम के साथऑन लाइन जुड़े रहेंगे, खिलाड़ी उनसे बात कर सकेंगे और वे जो बताएंगे उसे ग्राउंड में मौजूद असिस्टेंट कोच लागू कर देंगे। उस पर जब भारत में वनडे विश्व कप जैसी मुश्किल इवेंट आ गई तो वे खुद भी टीम के साथ आ जुड़ेंगे।

पीसीबी ने सफाई दी- हम डिजिटल मीडिया युग में हैं और ये कदम डिजिटल मुहिम को बिल्कुल नए स्तर पर ले जाएगा। सुनने में अच्छा है पर क्या खिलाड़ियों को ऑनलाइन गाइड करने से काम चल जाएगा? इसका मतलब तो ये हुआ कि एक कोच, एक साथ, कई असाइनमेंट ले सकता है- घर बैठ कर ही।

खबर सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई और आम तौर पर किसी को भी पाकिस्तान क्रिकेट का ये फैसला रास नहीं आया। कुछ ने कहा ये सच नहीं तो कुछ का कहना था कि सिर्फ पाकिस्तान में ही ऐसा हो सकता है। सच ये है कि ये पीसीबी के नए चीफ नजम सेठी की कोशिश का नतीजा है- वे जब से वापस पीसीबी में आए हैं, बदलाव ला रहे हैं और उसी कड़ी में नए कोच की जरूरत आ पड़ी।

क्या वास्तव में कोई कोच घर से, एक ऐसी टीम को, जो जीतने के लिए जूझ रही है, ऑनलाइन कोचिंग से चैंपियन में बदल सकता है? शाहिद अफरीदी ने तो साफ़ कहा कि टीम के ऑनलाइन कोचिंग से खेलने का मामला समझ से बाहर है। वे तो वैसे भी टीम मैनेजमेंट के लिए विदेशी कोच के बजाय घरेलू कोच की पॉलिसी के समर्थक हैं- ‘पाकिस्तान के पास अपने अच्छे कोच हैं। मुझे मालूम है कि देश की मौजूदा राजनीति का भी ध्यान रखना पड़ता है पर होना ये चाहिए कि क्रिकेट में इन बातों को अलग रखें ताकि ऐसा कोच मिले जो सख्त पर सही फैसला ले और तभी एक अच्छी टीम बन सकेगी। हमारे पास ऐसे लोग हैं जो टीम को सही राह पर डाल सकते हैं क्योंकि मेरी नजर में आज कोचिंग सिर्फ मैन मैनेजमेंट है।’

मिकी आर्थर एक कामयाब और अनुभवी कोच हैं- इंटरनेशनल स्तर पर दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और श्रीलंका के कोच रह चुके हैं। वह 2022 सीज़न से पहले ही तो डर्बीशायर से जुड़े और पहले ही सीजन में टीम की फॉर्म बदलने में मदद की और वाइटैलिटी ब्लास्ट ग्रुप स्टेज में क्लब ने रिकॉर्ड 9 जीत हासिल कीं।

पाकिस्तान क्रिकेट में सच क्या है- इसका संकेत बड़ी मुश्किल से मिलता है। कुछ रिपोर्ट कहती हैं कि मिकी आर्थर आ जाते पर पाकिस्तान क्रिकेट में किसी भरोसे वाला माहौल न होने से नहीं आ रहे। ये उनका पुराना अनुभव भी है। ये रिकॉर्ड में है कि वे 2016 से पीसीबी के साथ थे और 2019 में विश्व कप के दौरान एहसान मणि वाले पीसीबी ने उनसे वायदा किया था कि उनका कॉन्ट्रैक्ट आगे बढ़ाया जाएगा पर वायदा पूरा नहीं किया। इसीलिए अब उन्हें डर है कि अगर डर्बीशायर के साथ लांग टर्म कॉन्ट्रैक्ट तोड़ कर पाकिस्तान आ भी जाएं तो इस बात की कोई गारंटी नहीं कि पाकिस्तान क्रिकेट में माहौल को देखते हुए उनके कॉन्ट्रैक्ट को बीच में तोड़ा नहीं जाएगा। इसलिए ये सलाहकार वाली बात आई जिसे ऑनलाइन कोचिंग का नाम दिया गया।

वसीम अकरम तो साफ़ कहते हैं कि कोई बड़ा विदेशी कोच पाकिस्तान नहीं आना चाहता। जो आर्थर का डर है- वही उनका भी। पता नहीं कब बोर्ड में कोई बदलाव हो जाए और बोर्ड में बदलाव का मतलब है कोच की भी छुट्टी। इसलिए वे भी अफरीदी से सहमत हैं- विदेशी कोच नहीं मिल रहा है, तो पाकिस्तान के कोच को ड्यूटी दो। ये दलील तो ठीक है पर पाकिस्तान क्रिकेट के इतिहास में झांकें तो उनके अपने किसी भी कोच के लिए ये जिम्मेदारी ‘मुसीबत’ से कम साबित नहीं हुई। ये भारत नहीं है जहां एक भी ऐसी मिसाल नहीं कि किसी क्रिकेटर ने भारतीय कोच का (सोच में सहमति न होने के बावजूद) अपमान किया हो। पाकिस्तान के पुराने कोच/सपोर्ट स्टाफ वाले साफ़ कहते हैं कि खिलाड़ी अक्सर कोच का सम्मान नहीं करते और इसके ढेरों एपिसोड हैं।

एक सीनियर क्रिकेटर और सेलेक्टर सिकंदर बख्त ने एक किस्सा बताया- ‘मैंने एक बार टीम में शामिल किए एक खिलाड़ी को कुछ बताने की कोशिश की तो उसने पलट कर जवाब दिया- आप 26 टेस्ट खेले हैं और मैं 40 खेल चुका हूं। आप मुझे सिखाने की कोशिश कर रहे हैं?’ भारत में किसी भी सीनियर क्रिकेटर (एमएसडी से लेकर विराट कोहली तक) ने कभी चीफ कोच से तो क्या संजय बांगर और विक्रम राठौड़ से भी ऐसा नहीं कहा।

ये बात पीसीबी को मालूम है और इसीलिए वे किसी विदेशी कोच को लाने में ज्यादा रूचि लेते हैं क्योंकि आम सोच ये है कि खिलाड़ी उनसे ‘डरते’ हैं। वसीम अकरम जैसे खुद कभी कोच बनने के लिए आगे नहीं आते- कौन गाली सुने? जावेद मियांदाद, वकार यूनुस, सकलेन मुश्ताक और मोहम्मद यूसुफ जैसे भी टीम को मैनेज नहीं कर पाए। वहां तो एक रिपोर्ट में लिखा था कि एक पुराना खिलाड़ी, हर रोज ये दुआ करता था कि उसे पीसीबी कोई ड्यूटी न दे- इतनी मुश्किलें और दबाव है वहां।

आईसीसी वर्ल्ड टी20 के वक्त मैथ्यू हेडन और वर्नोन फिलेंडर को कोच बनाया- मिसबाह उल हक और वकार यूनुस की जगह, पर टिका कोई नहीं। मिसबाह उल हक और वकार यूनुस की जोड़ी ने इस्तीफा दिया था। ये सितंबर 2019 में सीनियर टीम के कोच बने थे और अभी उनके कॉन्ट्रैक्ट में एक साल बाकी था पर हालात ऐसे बना दिए गए थे कि इस्तीफा देने के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं बचा था ।उसके बाद, सकलैन मुश्ताक और अब्दुल रज्जाक को न्यूजीलैंड सीरीज के लिए अंतरिम कोच बनाया।

अब नई रिपोर्ट ये है कि यासिर अराफ़ात (11 वनडे, 13 टी 20 और 3 टेस्ट) कोच की ड्यूटी पूरी करेंगे मिकी आर्थर की गैर मौजूदगी में। अराफात का नाम अलग है- वे एक तरह से प्रोफेशनल कोच हैं- ऐसे जिन्हें घरेलू स्तर पर कोचिंग का अनुभव तो है साथ में इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) से लेवल 4 कोचिंग कोर्स किया है- ऐसा कोर्स पूरा करने वाले पहले पाकिस्तान टेस्ट क्रिकेटर। आलोचना के बाद ‘ऑनलाइन कोचिंग’ को दफ़न किया जा रहा है और मिकी आर्थर को पाकिस्तान के ‘टीम डायरेक्टर’ के तौर पर लाने की तैयारी है। वे डर्बीशायर के कॉन्ट्रैक्ट को तोड़ेंगे नहीं और आना-जाना करते रहेंगे।

वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में पाकिस्तान ‘बॉटम हॉफ’ में है और इस ग्राफ को ऊपर ले जाने से बड़ी चुनौती और कोई नहीं।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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