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24 अक्टूबर तक वर्ल्ड कप 2023 में खेले गए मैचों की एक सबसे ख़ास बात ये रही है कि बड़ी टीमों में से इंग्लैंड, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया ने सबसे ज्यादा निराश किया। ऐसा लिखने का मतलब कतई ये नहीं कि ये तीनों टीम 19 नवंबर के फाइनल के लिए ‘आउटसाइडर’ हो गईं- रिकॉर्ड सबूत है कि क्रिकेट में किसी भी आयोजन के बीच में ऐसा कुछ भी लिखना बड़े जोखिम का काम है।

पॉइंट्स टेबल में, मौजूदा चैंपियन इंग्लैंड 2 पॉइंट्स और अपने खराब नेट रन रेट की वजह से नंबर 9 पर यानि कि अफगानिस्तान और नीदरलैंड से भी नीचे और सिर्फ बांग्लादेश से ऊपर, 5 बार वर्ल्ड कप जीत चुका ऑस्ट्रेलिया नंबर 4 पर लेकिन पाकिस्तान और अफगानिस्तान के पास भी उनके बराबर 4 पॉइंट्स हैं। पाकिस्तान नंबर 5 पर- ये वह टीम है जिसके पास बाबर आजम है और ऐसा पेस अटैक जिसके बारे में कहते थे कि उन्हें खेलना मुश्किल हो जाएगा।

इन तीनों बड़ी टीमों से जुड़ी एक समानता पर किसी ने ध्यान नहीं दिया- वर्ल्ड कप के लिए आने से पहले इन तीनों टीम के क्रिकेटर अपने बोर्ड के साथ सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों/फीस पर उलझे हुए थे और वर्ल्ड कप की तैयारी के साथ-साथ इन पर भी बहस चल रही थी। वर्ल्ड कप में अब तक के इन के साधारण प्रदर्शन के लिए सिर्फ इसे ही वजह नहीं मान सकते पर इसे नजरअंदाज भी नहीं कर सकते।

विश्वास कीजिए- वर्ल्डकप के मैचों के दौरान भी तीनों ही टीम के ड्रेसिंग रूम में क्रिकेट के साथ-साथ कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों की भी चर्चा चलती रही। ऑस्ट्रेलिया टीम के साथ फैसला हो गया-औपचारिक घोषणा नहीं हुई है पर संकेत मिल चुके हैं कि क्या हो रहा है और ये सिर्फ ऑस्ट्रेलिया की बात नहीं है- साफ़ इशारा है कि क्रिकेट में खिलाड़ियों की बदौलत क्या बदलाव हो रहा है। कुछ घंटे बाद इंग्लैंड से भी नए कॉन्ट्रैक्ट पर खबर आ गई।

क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया अपने स्टार क्रिकेटरों को मल्टी ईयर कॉन्ट्रैक्ट दे रहा है- बात साफ़ है कि किसी को भी उन्हें छीनने से रोकने के लिए। खिलाड़ी इसके लिए मान गए हैं- पैट कमिंस और मार्नस लाबुशेन को 3 साल और 6 अन्य (ट्रैविस हेड, स्टीव स्मिथ, कैमरून ग्रीन, मिशेल स्टार्क, एलेक्स कैरी और जोश हेज़लवुड) को 2 साल का कॉन्ट्रैक्ट। टी20 फ्रेंचाइजी दुनिया की टॉप क्रिकेट टेलेंट को छीन रहे हैं- उसे रोकने के लिए क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन को यही रास्ता नजर आ रहा है। ये मल्टी ईयर डील बदलते समय का संकेत है- ख़ास तौर पर दक्षिण अफ्रीका और यूएई में नई लीग के बिग बैश लीग के साथ मुकाबले और आने वाले सालों में सऊदी अरब के नई लीग शुरू करने की संभावना की वजह से।

इसके हिसाब से कमिंस और लाबुशेन कम से कम 2025-26 एशेज समर तक ऑस्ट्रेलियाई ड्यूटी पर रहेंगे- मौजूदा कोच एंड्रयू मैकडॉनल्ड्स का कॉन्ट्रैक्ट भी 2025-26 सीज़न के अंत तक का है। लिस्ट में  कैरी और ग्रीन का नाम, ऑस्ट्रेलिया की भविष्य की स्कीम में उनकी जगह का संकेत है- हालांकि दोनों वर्ल्ड कप से बाहर हैं। लिस्ट में न तो नाथन लियोन हैं और न ही उस्मान ख्वाजा- उनकी बढ़ती उम्र और सिर्फ एक ही फॉर्मेट में खेलने की वजह से। डेविड वार्नर, जनवरी में पाकिस्तान सीरीज के अंत में टेस्ट से रिटायर हो रहे हैं और उनका एक साल का  कॉन्ट्रैक्ट है।

अभी कुछ महीने पहले ही तो सीए और ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर्स एसोसिएशन के बीच नए फीस ढांचे पर सहमति हुई थी पर वह जबरदस्ती का सौदा ज्यादा था क्योंकि सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट की बजाय बीबीएल को ज्यादा पैसा दिया था। इसका असर क्रिस लिन के नए उदाहरण में दिखाई दे गया- वे ब्रिस्बेन हीट छोड़ कर यूएई फ्रेंचाइजी के पास चले गए। पिछले साल बीबीएल क्लबों ने साइन करने के लिए वार्नर और स्मिथ के लिए ख़ास फीस मंजूर की। सीए को मालूम है कि टी-20 फ्रेंचाइजी खिलाड़ियों को झपट रहे हैं और इसलिए वे मल्टी ईयर कॉन्ट्रैक्ट ले आए। ऑस्ट्रेलिया में कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम 1986-87 में शुरू हुआ था। पहले भी मल्टी ईयर कॉन्ट्रैक्ट की मिसाल है पर तब वजह अलग थी- रिकी पोंटिंग और ब्रेट ली अकेले दो ऐसे खिलाड़ी थे जिन्हें अलग-अलग समय पर, मल्टी ईयर कॉन्ट्रैक्ट दिया।

ऑस्ट्रेलिया ने खिलाड़ियों के कॉन्ट्रैक्ट का सिस्टम सबसे पहले शुरू किया था- इंग्लैंड ने 1999 में। अब वे भी मल्टी ईयर कॉन्ट्रैक्ट देना चाह रहे हैं पर खिलाड़ी मान नहीं रहे। वे आईपीएल की तर्ज पर शुरू लीग ख़ास तौर पर यूएई, अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में नई लीग से परेशान हैं। एक ख़तरा और टी20 लीग बनाने में सऊदी अरब की रुचि से मंडरा रहा है। बेन स्टोक्स ने तो कह भी दिया कि 5 साल में वहां 50 मिलियन डॉलर की फीस मिलने लगेगी। इंग्लैंड के क्रिकेटर मल्टी ईयर कॉन्ट्रैक्ट से इंकार कर रहे हैं क्योंकि वे आकर्षक टी20 लीग के सौदों के लिए उपलब्ध रहना चाहते हैं। इसी पर बातचीत रुक गई।

वर्ल्ड कप से पहले ही इंग्लैंड मैनेजमेंट इस बात के लिए तैयार थी कि कुछ खिलाड़ी मल्टी ईयर कॉन्ट्रैक्ट से इंकार करेंगे। इन लीग की बराबरी वे कर नहीं सकते क्योंकि इतना पैसा नहीं है। इंग्लैंड ने हाल ही में पुरुष और महिला मैच फीस बराबर की है और इससे अगले साल 1.5 मिलियन पौंड और खर्च होने की उम्मीद है। महिला टीम की फीस में भारी बढ़ोतरी की तो उम्मीद भी नहीं थी पर पुरुष क्रिकेटरों की फीस पर बातचीत से उन्हें भी फायदा मिल गया- महिला फीस हर साल लगभग 3 लाख पौंड के बजट से बढ़कर 1.8 मिलियन पौंड हो गई है। इससे बजट पर दबाव आ गया। तब भी ईसीबी के पास नए कॉन्ट्रैक्ट देने के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं था और इस तरह से फैसला हुआ- 

बेन स्टोक्स : 3 साल का कॉन्ट्रैक्ट दे रहे थे- वे 1 साल के लिए माने। 
जोस बटलर और जोफ्रा आर्चर : 3 साल का कॉन्ट्रैक्ट दे रहे थे- वे 2 साल के लिए माने। हैरी ब्रुक, जो रूट और मार्क वुड : 3 साल का कॉन्ट्रैक्ट। अन्य 15 खिलाड़ियों ने 2 और 8 ने 1 साल का कॉन्ट्रैक्ट लिया।7 खिलाड़ियों – गस एटकिंसन, हैरी ब्रुक, ब्रायडन कारसे, बेन डकेट, मैथ्यू पॉट्स और जोश टंग और रेहान अहमद – को पहली बार कॉन्ट्रैक्ट मिला।  अहमद, जो अभी सिर्फ 19 साल के हैं- इस कम उम्र में कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने वाले उनके पहले क्रिकेटर हैं।  रिटायर स्टुअर्ट ब्रॉड को छोड़कर, इस समर एशेज में खेले हर खिलाड़ी को कॉन्ट्रैक्ट मिला। डेविड विली को छोड़कर, वर्ल्ड कप के हर खिलाड़ी ने कॉन्ट्रैक्ट किया। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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