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सरफराज खान को आज भारत में  घरेलू क्रिकेट की रन मशीन कहने वाले कम नहीं पर टीम इंडिया के सेलेक्टर इन स्कोर से कब प्रभावित होंगे- कोई नहीं जानता। सरफराज को बस इस बात पर तसल्ली करनी होगी कि उन जैसे कई न सिर्फ भारत में, दूसरे देशों में भी रहे और आज भी हैं। ज्यादा पीछे नहीं जाते। एक नाम तो बिलकुल नया है- ग्लैमरगन के सैम नार्थईस्ट का।  पिछले दिनों ,इंग्लैंड में काउंटी चैंपियनशिप में, ग्लैमरगन-लेस्टरशायर मैच के दौरान एक ऐसा रिकॉर्ड बना जो बहुत कम देखने को मिलता है। मैच के तीसरे दिन सैम नार्थईस्ट का स्कोर 308* था- आखिरी  दिन लंच से पहले 102 रन और बनाए  यानि कि कुल स्कोर 410* और वहीं ग्लैमरगन ने पारी समाप्त घोषित कर दी। 410* भी बहुत बड़ा और रिकॉर्ड स्कोर है पर उस वक्त हर कोई पूछ रहा था- ब्रायन लारा के 501* के रिकॉर्ड को तोड़ने का मौका क्यों नहीं दिया? रिकॉर्ड के इतना नजदीक हर रोज नहीं पहुंचता कोई ! इस पारी में कॉलिन इनग्राम ने 139 और क्रिस कुक ने 191* बनाए- और कोई दिन होता तो इन स्कोर की भी तारीफ़ होती पर यहां सारी चर्चा नार्थईस्ट ले गए।जो दिसंबर 1948 में हुआ था वैसा कुछ नहीं हो रहा था यहां। तब बीबी निंबालकर 400 पार कर चुके थे- काठियावाड़ ने तीसरे दिन लंच पर  महाराष्ट्र से कहा पारी समाप्त घोषित करने के लिए- महाराष्ट्र ने ऐसा नहीं किया तो काठियावाड़ ने मैच वहीं छोड़ दिया और निंबालकर कई रिकॉर्ड तोड़ने से रह गए।

ग्लेमोरगन ने 795-5 पर पारी समाप्त घोषित की-  211 रन की बढ़त के साथ उनका सबसे बड़ा स्कोर। ये फैसला तब बिलकुल सही साबित हुआ जब लेस्टरशायर को एक पारी और 28 रन से हराया- दूसरी पारी में 183 रन पर आउट कर दिया। कई ख़ास रिकॉर्ड और भी बने सैम नॉर्थईस्ट के 410* के स्कोर से पर कुछ ख़ास :

  • काउंटी चैंपियनशिप में तीसरा सबसे बड़ा (इससे बड़े : लारा के 501 और आर्ची मैकलारेन के 424- 1895 में समरसेट के विरुद्ध लेंक शायर के लिए) और 400 का चौथा स्कोर (ग्रीम हिक- 1988 में समरसेट के विरुद्ध वूस्टरशायर के लिए 405* रन)।
  • 1994 में वारिकशायर के लिए ब्रायन लारा के 501* के बाद और 21वीं सदी में काउंटी चैंपियनशिप में सबसे बड़ा स्कोर (उनसे पहले : 2004 में इंग्लैंड के विरुद्ध वेस्टइंडीज के लिए लारा के 400*)।
  • आखिरी दिन लंच से पहले का सैशन तो गजब का था- कई  रिकॉर्ड तोड़ने वाला- 232 रन बने और दोनों बल्लेबाजों ने सैशन में शतक बनाया।
  • अब तक कुल 11 स्कोर फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 400 रन के- इनमें से लारा और बिल पॉन्सफोर्ड ने दो बार रिकॉर्ड बनाया ।
  • लेस्टरशायर ने अपनी पहली पारी में 584 रन बनाए- तब भी पारी के अंतर से हार गए। 584- काउंटी क्रिकेट में एक टीम का ऐसा सबसे बड़ा स्कोर जिसमें बाद में टीम एक पारी से हार गई (पिछला रिकॉर्ड : 1995 में नॉर्थम्प्टनशायर के विरुद्ध नॉटिंघमशायर के 527 रन)। 1993 में कार्डिफ़ में ग्लैमरगन ने 562-3 के स्कोर के बावजूद मिडलसेक्स से 10 विकेट से हार का सामना किया।
  • सिर्फ 10 स्कोर, इससे बड़े ऐसे हैं जो बनाकर भी टीम हारी- संयोग से इस लिस्ट में भी ग्लैमरगन टॉप पर- 2004 में चेम्सफोर्ड में एसेक्स के 642 के स्कोर के बावजूद जीत हासिल की थी।
  • दो रिकॉर्ड पार्टनरशिप : दक्षिण अफ्रीका के इंटरनेशनल क्रिकेटर कॉलिन इनग्राम (139) के साथ 306 रन जो सातवें ओवर में 9/2 से शुरू हुई और 461* कुक के साथ- फर्स्ट क्लास क्रिकेट के इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी, 6 वें  विकेट की पार्टनरशिप और काउंटी चैंपियनशिप में सबसे बड़ी।
  • दूसरे विकेट के गिरने के बाद, पारी के स्कोर में जोड़े गए सबसे ज्यादा रन: 

900 तमिलनाडु 12/2 से 912/6 

891 विक्टोरिया 168/2 से 1059 

835 सिंध 116/2 से 951/7

825 मुंबई 30/2 से 855/6

816 झारखंड 64/2 से 880

801 डर्बीशायर 0/2 से 801/8

786 ग्लेमरगन 9/2 से 795/5

32 साल के नार्थईस्ट को लंबे समय से इंग्लैंड के सबसे बेहतर बल्लेबाजों में से एक माना जाता है पर इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेला। इंग्लैंड अंडर-19 के लिए खेले, 2009 में बांग्लादेश के विरुद्ध एक यूथ टेस्ट में दो शतक लगाए पर सीनियर क्रिकेट में तब भी मौका नहीं मिला। यहां तक कि इंग्लैंड लायंस के लिए भी मौका नहीं मिला। काउंटी बदलते रहे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। संयोग से ग्लैमरगन में उनका पहला ही सीजन उनके करियर के सबसे शानदार सालों में से एक में बदल गया।इंग्लैंड के लिए खेलने का मौका कब मिलेगा?

–  चरनपाल सिंह सोबती

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