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आईसीसी ने 2023-27 के सालों के फ्यूचर टूर प्रोग्राम में आईपीएल के लिए विंडो मंजूर की लगभग ढाई/तीन महीने की यानि कि हर साल अप्रैल, मई और जून के शुरू के दिनों में कोई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं। इसका मतलब ये तो निकला ही कि साल का लगभग एक चौथाई हिस्सा तो आईपीएल के नाम हो गया पर क्या ये ध्यान दिया कि ये कौन से महीने हैं? ये वे महीने हैं जब देश के ज्यादातर हिस्से में भयंकर गर्मी पड़ती है- खेलना छोड़िए, घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में क्रिकेट!
और कोई खेल ऐसा नहीं जो खिलाड़ियों को क्रिकेट की तरह देर तक सीधे गर्मी में रहने पर मजबूर करता हो। गर्म मौसम के क्रिकेट पर असर को देखना है तो इस 2022 के साल को ही देख लीजिए। पूरे भारत में 100 सालों में सबसे खराब गर्मी वाला साल घोषित हो चुका ये- तब भी आईपीएल खेले। अप्रैल में, मध्य भारत का औसत अधिकतम तापमान 37.8C रहा- 1901 में रिकॉर्ड रखे जाने के बाद से सबसे ज्यादा। भारत क्या, पूरे दक्षिण एशिया में बेहद गर्मी रही और आगे की चेतावनी आ चुकी है।
आईपीएल में स्ट्रेटजी ये रही कि दोपहर 3.30 बजे वाले मैच में टॉस जीतो तो पहले बल्लेबाजी चुनो और टीम को भयंकर दोपहर में फील्डिंग से बचाओ। ठीक है मैच मुंबई और उसके आसपास खेले पर जबरदस्त गर्मी वहां भी थी। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर टीम 8 मई के मैच में हरे रंग की जर्सी पहन कर खेली- उसके बारे में टीम वीडियो में, विराट कोहली ने कहा-‘मौसम में बदलाव, हमारे दरवाजे पर है, और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उस एकमात्र ग्रह की देखभाल करें जिसे हम अपना घर कहते हैं।’
इस साल दिल्ली में पारा 47C तक गया और मुंबई में 35C तक पर वहां उसके साथ नमी इसे भीषण गर्मी बना देती है। टॉस जीतो- गर्मी से कुछ तो बचो। कई विदेशी खिलाड़ियों ने कहा असहनीय गर्मी पर पैसे के चक्कर में खेलते रहे। कई फील्डिंग पारी के दौरान खिलाड़ियों ने तीन-चार बार शर्ट बदली। ब्रेक में, 12 वां खिलाड़ी- पानी के साथ आइस पैक लाया। टेस्ट मैचों में और बुरी हालत क्योंकि धूप में कई घंटे तक रहना पड़ सकता है। पाकिस्तान में एक ऐसी मिसाल मौजूद है जब बैटर- गर्मी से ऐसा बेसुध हो गया कि सिक्योरिटी गार्ड से पानी की बोतल छीन ली। आईपीएल में हाइड्रेशन का मुद्दा फिजियोथेरेपिस्ट और डॉक्टरों की निगरानी का एक ख़ास पहलू था। अफ़सोस इतनी खराब हालत पर न तो आईपीएल खिलाने और न खेलने वालों ने कुछ भी ऐसा बोला जिससे आईपीएल पर कोई आंच आती और इसी के साथ ये मुद्दा वैसी चर्चा बना ही नहीं, जो जरूरी थी।  
उधर मई में बांग्लादेश-श्रीलंका पहले टेस्ट के दौरान अंपायर रिचर्ड केटलबोरो को गर्मी के कारण ग्राउंड से बाहर जाना पड़ा- चिलचिलाती गर्मी थी उस दिन चट्टोग्राम में। टीवी अंपायर जो विल्सन ने तब ग्राउंड पर ड्यूटी दी। इस बदलाव के दौरान, खिलाड़ियों ने फ़टाफ़ट एक और ड्रिंक ब्रेक ले लिया- बड़ी छतरियों के नीचे।
आज क्रिकेट की दुनिया इस बारे में खुल कर बोल रही है क्योंकि यूरोप के ठंडे देश भी जबरदस्त गर्मी झेल रहे हैं और इनमें से कई देशों में ‘समर’ के नाते ये क्रिकेट का सीजन है- क्रिकेट के लिए सबसे बेहतर दिन। ख़ास तौर पर इंग्लैंड में तो ये वे दिन हैं जब सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, ढेरों खेल खेलते हैं। इस साल जुलाई में इंग्लैंड में कई जगह पारा 40C तक पहुंचा- विश्वास कीजिए ये सच है। लंदन में, जहां कुछ साल पहले तक ठिठुरते एशियाई खिलाड़ी फील्डिंग के दौरान भी जेब से हाथ निकालने से डरते थे- उन्हें दिल्ली बेहतर लगा। ब्रिटेन का ज्यादातर हिस्सा हीट वेव की चपेट में था और पारे ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए। कई खिलाड़ियों ने कहा- ऐसा लग रहा है दुबई या अबू धाबी में खेल रहे हैं। देखिए 18 और 19 जुलाई 2022 के दो सबसे गर्म दिनों में जो हुआ इंग्लैंड में उसकी कुछ मिसाल :

  परंपराओं से बंधे एमसीसी ने लॉर्ड्स में मिडिलसेक्स-ससेक्स काउंटी चैंपियनशिप मैच के दौरान, अपने सख्त पवेलियन ड्रेस कोड में ढील दी- सदस्यों के लिए जैकेट पहनना जरूरी नहीं पर टाई पहनना तब भी जरूरी। लॉर्ड्स में मजबूरी में, 2018 में भी ऐसी ढील दी थी।  भीषण गर्मी के कारण दो काउंटी चैंपियन मैच (ग्लूस्टरशायर- हैम्पशायर और नॉर्थेंट्स- लेंकशायर में दिन का जो खेल शाम 6 बजे तक चलता उसे शाम 4.30 बजे रोक दिया।*  रिवरसाइड में इंग्लैंड-दक्षिण अफ्रीका, वन डे इंटरनेशनल के बीच दर्शकों को, स्टेडियम की बड़ी स्क्रीन पर, बार-बार हिदायत दी गई कि धूप और डि हाईड्रेशन से बचें। पारा 37C तक गया- 2019 के पिछले रिकॉर्ड से चार डिग्री ज्यादा गर्म।-  मैथ्यू पॉट्स की हालत ये थी कि 4 ओवर फेंकने के बाद ग्राउंड से बाहर गए, तभी बचे।  –  खिलाड़ियों के लिए नियम से ज्यादा ड्रिंक ब्रेक, गीले तौलिये, आइस पैक और ब्रेक के दौरान छतरी। –  ग्राउंड के बाहर भी यही नजारा था- रिवरसाइड एक खुला ग्राउंड है और छत वाले स्टैंड न के बराबर। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती गई दर्शक हटते गए।  
–  डरहम क्लब ने वह सब किया किया जो वे कर सकते थे- अपने सभी एयर कंडीशन कमरे और ऑफिस खोल दिए- कोई भी वहां राहत ले ले, कई दर्शक घर चले गए, वाटर स्टेशन की गिनती बढ़ा दी- मुफ्त पीने का ठंडा पानी, दर्शकों की सुरक्षा के बारे में सोचकर नौबत ये आ गई थी कि ईसीबी ने मैच को रद्द करने पर सोचना शुरू कर दिया था।  –  बेन स्टोक्स ने खुद को ठंडा रखने के लिए एक बर्फ के तौलिये को गले पर लपेट लिया। 
कोशिश हो रही हैं पर कैसे और कितनी? 2016 में, मुंबई हाई कोर्ट के आदेश से ही आईपीएल मैचों को महाराष्ट्र से हटाया गया- गंभीर सूखा और फसल का नुकसान हो रहा था। इस साल, ऑस्ट्रेलिया के कप्तान, पैट कमिंस,ने ‘क्रिकेट फॉर क्लाइमेट’ की स्थापना की- सिडनी में एक कॉन्फ्रेंस की जिसमें ये चर्चा थी कि कैसे खेल अपने कार्बन फुट प्रिंट कम कर सकता है। वक्त आ गया है- क्रिकेट, खिलाड़ियों और दर्शकों को बचाने का।

  • चरनपाल सिंह सोबती
One thought on “वक्त आ गया है – क्रिकेट, खिलाड़ियों और दर्शकों को बचाने का”
  1. बहुत बढीया जानकारी . मौसम के बदलते रूख और खिलाडी तथा दर्शक कैसे बचे

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